बाल यौन अपराधों पर हैंडबुक लॉन्च की

मेरठ पुलिस ने पैसे देकर यौन शोषण हेतु बच्चों की मांग करने वाले ग्राहकों को दंड देने के लिए पेश किया मैनुअल: इस मांग को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने वाला प्रथम जिला बना
~मेरठ के एडीजी ने यौन शोषण के लिए बच्चों को खरीदने वाले ग्राहकों पर पॉक्‍सो अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए बाल यौन अपराधों पर हैंडबुक लॉन्च की~
~पुलिस अधिकारियों को संभावित अपराधियों में भय पैदा करने के लिए अधिक से अधिक आरोपियों का दोष साबित करने की दिशा में काम करने की सलाह ~

18 जनवरी 2019: मेरठ जोन पुलिस का नेतृत्‍व करने वाले श्री प्रशांत कुमार, अतिरिक्‍त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) ने पूर्व आईपीएस अधिकारी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) के निवर्तमान प्रोफेसर डॉ. पीएम नायर के साथ आज पुलिस हेतु मानक संचालन पद्धति (एसओपी) को लॉन्च किया। यह एसओपी माननीय लोकसभा सांसद श्री राजेन्द्र अग्रवाल द्वारा शुरू की गई मेरठ फोकस्ड टास्क यूनिट (एफटीयू) के तहत ‘ग्राहकों’ के खिलाफ मुकदमा चलाकर बच्चों के व्यावसायिक यौन शोषण (सीएसई) से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए मांग में कमी लाने पर केंद्रित है।

ये मानक संचालन पद्धतियां कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए तैयार किया गया अपनी तरह का पहला प्रकाशन है, जो पुलिस को उन अपराधियों के खिलाफ आईपीसी के अलावा पॉक्‍सो के तहत बाल यौन तस्करी के मामलों को दर्ज करने का अधिकार देता है, जो व्यावसायिक यौन शोषण के लिए बच्चों और नाबालिगों की मांग करते हैं।

इस हैंडबुक के मुताबिक, चूंकि बच्‍चे को अनिवार्य रूप से बाल कल्‍याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया जाएगा, ऐसे में पुलिस के लिए यह जरूरी है कि वह बचाए गए व्‍यक्ति की उम का प्रारंभिक आकलन करे, जिससे उचित सलाहकारों की मदद से पीडि़त व्‍यक्ति अपराध में शामिल ‘ग्राहकों’ का पता लगाने में मदद मिल सके।

मेरठ जोन के अतिरिक्‍त महानिदेशक ने कहा, “मानक परिचालन पद्धतियों के विकास के पीछे मुख्‍य उद्देश्य पीड़ित या अपराध के गवाह बच्‍चों को प्रभावी और बच्चों के अनुकूल ढंग से संभालने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना है। इसके साथ ही इसका उद्देश्‍य प्रमुख प्रशासनिक और गैर-सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग के लिए एक रूपरेखा को बढ़ावा देना है, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए पुलिस के प्रयासों में मदद करते हैं और सीएसई के अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाते हैं। मेरठ ज़ोन पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि हम नाबालिग से दुर्व्‍यवहार करने वाले हर अपराधी के खिलाफ पॉक्‍सो के तहत मुकदमा दायर करें।”

पैसे देकर बच्चों से सेक्स करने वाले पुरुषों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है, क्योंकि ध्यान हमेशा तस्करों पर केंद्रित रहता है। जबकि वास्तव में, यह एक बच्चे के ‘बलात्कार की मांग’ है जो पूरी हो गई है। ’ग्राहकों’ पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए, मजबूत खुफिया तंत्र पर पुलिस के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और ‘ग्राहकों’ के खिलाफ प्रभावी अभियोजन के साथ ही प्रशिक्षण से प्राप्‍त परिणामों को लिपिबद्ध करना बेहद महत्वपूर्ण है।

बच्चों के बाल तस्करी से संबंधित मामलों की जटिलता को देखते हुए, मेरठ पुलिस प्रशासन यह देखेगी कि एसओपी सभी प्रासंगिक पुलिस कर्मियों के पास अपेक्षित प्रशिक्षण और परिचालन सहायता के साथ अवश्‍य पहुंचे, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चों का उत्‍पीड़न करने वाला एक भी दोषी बिना सजा के न छूटे। श्री कुमार ने उल्लेख किया कि एसओपी मेरठ पुलिस के सभी अधिकारियों के लिए है, जिसमें एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू), जांच अधिकारी, पर्यवेक्षक और प्रशासनिक पदों पर वरिष्ठ पुलिस शामिल हैं।

एसओपी तैयार करने में तकनीकी रूप से मदद देने वाले विशेषज्ञ डॉ.नायर ने कहा, “तथाकथित “ग्राहकों” को दंडित करने की यह अनोखी पहल है, ये “ग्राहक” पूरी आजादी के साथ हमारे बच्चों का यौन शोषण करते हैं, यह पहल इस खतरे से निपटने की जबरदस्त क्षमता रखती है। इस एसओपी का शुभारंभ कई बच्चों को इस दुर्भाग्य से बचाने के साथ अपेक्षित परिणाम प्राप्‍त करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय कर सकता है।”

अपनी शुरुआत के बाद से एफटीयू ने बाल यौन तस्करी के अपराधियों के खिलाफ कई छापे मारे हैं और उन रणनीतियों पर चर्चा की है जो सीएसई में बच्चों की मांग पर अंकुश लगा सकती हैं। इन रणनीतियों में, ‘अंतिम ग्राहक’ का पॉक्‍सो के तहत अभियोजन, अपराधियों का नाम उजागर करना और उन्‍हें शर्मिंदा करना और बच्‍चों के साथ यौन संबंध बनाने के इच्‍छुक पुरुषों में भय पैदा करने के लिए पुलिस तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से एक सशक्‍त जन जागरुकता अभियान शुरू करना शामिल है।

मेरठ फोकस्ड टास्क यूनिट – पृष्ठभूमि
फोकस्ड टास्क यूनिट (एफटीयू) की स्थापना अप्रैल 2018 में माननीय सांसद श्री राजेंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में की गई थी। इसका उद्देश्‍य वर्ष 2019 तक मेरठ को “यौन अपराध करने वाले यौन अपराधियों के लिए ज़ीरो-टॉलरेंस वाला जिला बनाना है।” यह वास्तविक अपराधियों को दंडित कर व्यावसायिक यौन शोषण (सीएसई) के लिए मांग को स्थायी रूप से खत्‍म कर बच्चों के सीएसई पर अंकुश लगाने के लिए स्थापित किया गया था। यह तथाकथित ‘ग्राहक’, वे पुरुष हैं जो छोटे और कमजोर बच्चों के बचपन को खराब कर देते हैं। एफटीयू में सरकारी प्रशासन, पुलिस कर्मी, नागरिक समाज संगठनों और मीडिया के सदस्य शामिल हैं जो यौन तस्‍करी में बच्चों को धकेले जाने की मांग को रोकने में सहयोग के लिए मिल कर काम करते हैं।
For more information, please contact: PRO, ADG Office Meerut

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