एमएफआईएन और यूपीएमए ने उत्तर प्रदेश राज्य पुलिस के साथ मिलकर एक इंटरफेस आयोजित किया

लखनऊ, 13 फरवरी, 2019: भारत की माइक्रोफाइनांस इंडस्ट्री के प्रमुख उद्योग संगठन तथा आरबीआई द्वारा मान्यता-प्राप्त एक स्व-नियामक संस्था माइक्रोफाइनांस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) ने यूपी के माइक्रोफाइनांस संस्थानों के प्रमुख संगठन उत्तर प्रदेश माइक्रोफाइनांस एसोसिएशन (यूपीएमए) के साथ मिलकर एक विशेष इंटरफेस कार्यक्रम ‘स्ट्रेंथनिंग फाइनैंशियल इन्क्लूजन: रोल ऑफ माइक्रोफाइनांस’ का आयोजन किया। यूपी पुलिस को नॉन-बैंकिंग फाइनांस कंपनी-माइक्रोफाइनांस इंस्टीट्यूशंस (एनबीएफसी-एमएफआईज) जैसे विनियमित माइक्रोफाइनांस प्रदाताओं, लघु वित्तीय बैंकों आदि के परिचालन मॉडल के बारे में संवेदनशील बनाना इस सत्र को आयोजित करने का उद्देश्य था। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो प्रशिक्षण केंद्र में संपन्न हुआ।

इस कार्यक्रम में डीजी (ईओडब्ल्यू) राजेंद्र पाल सिंह और एडीजी (ईओडब्ल्यू) अभय प्रसाद ने अपनी सम्माननीय उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजन में कुल 130 प्रतिनिधि मौजूद थे, जिनमें से 90 लोग यूपी पुलिस(ईओडब्ल्यू और एसआईटी) से संबंधित थे, जबकि अन्य लोग एमएफआईएन, यूपीएमए तथा दूसरी माइक्रोफाइनांस संस्थानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान विनियमित माइक्रो क्रेडिट प्रदाताओं द्वारा झेली जा रही चुनौतियों तथा माइक्रोफाइनांस ग्राहकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी और माइक्रोफाइनांस अपराधों के बारे में पुलिस को जागरूक किया गया।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एमएफआईएन के सीईओ हर्ष श्रीवास्तव ने कहा, “राज्य के सभी विनियमित वित्तीय संस्थानों तथा यूपी पुलिस के सदस्यों को एक साथ लाने वाला कोई मंच तैयार करना हमारा उद्देश्य था। इससे न सिर्फ हमें पुलिस को एमएफआईज की कार्यप्रणाली और उनके सामने सर उठाने वाली वास्तविक कठिनाइयों के प्रति संवेदनशील बनाने का अवसर मिला, बल्कि इसने हमें पुलिस का इस बारे में दृष्टिकोण जानने में भी मदद की कि वे कौन-से बुनियादी कार्य हैं, जिनको अमल में लाकर माइक्रो क्रेडिट प्रदाता स्वयं और अपने ग्राहकों के लिए जोखिम घटा सकते हैं। हमें आशा है कि राज्य के माइक्रोफाइनांस संस्थानों और यूपी पुलिस के बीच समन्वय बढ़ेगा।”

यूपी पुलिस के डीजी (ईओडब्ल्यू) राजेंद्र पाल सिंह का कहना था – “माइक्रोफाइनांस कंपनियां कम आय वाले परिवारों की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के क्षेत्र में शानदार काम कर रही हैं। पुलिस माइक्रोफाइनांस कंपनियों और उनके संगठन एमएफआईएन के प्रत्येक प्रयास में पूरी ईमानदारी से हर तरह की मदद करने को राजी है।”

माइक्रोफाइनांस ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो (जीएलपी) के मामले में उत्तर प्रदेश छठवें स्थान की रैंकिंग के साथ सबसे बड़े राज्यों में शुमार है, जिसके पास 26 लाख ग्राहक (मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाएं) हैं। देश में माइक्रो-क्रेडिट के लाभार्थियों में महिलाओं का 99% हिस्सा है। माइक्रो क्रेडिट देने वाले एनबीएफसी-एमएफआई, लघु वित्तीय बैंक आदि संस्थान भारत की बैंकिंग सेवा और बैंक-प्रणाली से वंचित आबादी को वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। ये संस्थान ऐसी महिलाओं के अनफंडेड क्रेडिट गैप को भरते हैं, जिनके पास बदले में कुछ रखने या किसी प्रकार की सुरक्षा-निधि देने का साधन नहीं है। दूरस्थ ग्रामीण इलाकों के ग्राहकों को भी स्वयं आगे बढ़कर वित्तीय सेवाएं प्रदान करके ये संस्थान सरकार के वित्तीय समावेशन एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं।

माइक्रोफाइनांस संस्थानों के नेटवर्क के बारे में
एमएफआईएन भारत की माइक्रोफाइनांस इंडस्ट्री का प्रधान उद्योग संघ और एक स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) है। इसके वर्तमान प्राथमिक सदस्यों में 51 एनबीएफसी-एमएफआई के साथ-साथ बैंकों, लघु वित्तीय बैंकों (एसएफबीज) और एनबीएफसीज के 37 एसोसिएट शामिल हैं। एमएफआईएन माइक्रोफाइनांस के माध्यम से वृहत्तर वित्तीय समावेशन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए नियामकों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ नजदीक से काम करता है।

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