फिल्म लाडला के एक गाने को माँ को समर्पित किया था खेसारीलाल ने

मदर्स डे के मौके पर ना सिर्फ बॉलीवुड स्टार्स बल्कि भोजपुरी स्टार्स भी इस दिन को खास अंदाज में सेलिब्रेट कर रहे हैं। यही नहीं भोजपुरी सिनेमा में कई ऐसी फिल्में हैं जो मां पर केंद्रित हैं।
वैसे तो मां के लिए हर दिन खास होता है लेकिन मदर्स डे के तौर पर एक दिन खास इसलिए माँ के नाम किया गया है कि लोग जो अपने कामों में काफी व्यस्त हैं कम से कम इस दिन उन्हें अपनी माँ की याद आ जाये क्योंकि माँ के लिए बेटा या बेटी तो हर दिन एक समान हैं और वे हर समय उसके साथ रहते हैं बेशक असल में ना होकर ख्यालों और यादों में ही क्यों ना हों।

भोजपुरी सिनेमा में माँ की अहमियत दर्शाती अनेक फ़िल्में आयीं हैं जहाँ माँ केंद्र में थी। हालाँकि अधिकांश फिल्मों में माँ की मौजूदगी तो होनी एकदम आवश्यक है क्योंकि हो न हो भोजपुरी फ़िल्में अब भी गाँव से कनेक्टेड तो हैं और जो गाँव से कनेक्टेड है उस पर आप कितने भी दूसरे लांछन लगा लें, शहर वालों से ज्यादा रिश्तों की क़दर करता है इसलिए भोजपुरी फिल्मों में माँ की भूमिकाएं थोड़ी सी ही हों, होती ज़रूर हैं। भोजपुरी सिनेमा में माँ की भूमिकाये निभाने वाले कुछ मशहूर और कॉमन चेहरे हैं, बंदिनी मिश्रा, माया यादव, नीलिमा सिंह, किरण यादव,शकीला मजीद ,पुष्पा वर्मा ,पुष्पा शुक्ला,रूपा सिंह आदि।

भोजपुरी फिल्मों में माँ पर खूब गाने बने हैं और गाये गए हैं जैसे एक पुरानी फिल्म ‘रूस गईलें सईयाँ हमार’ का गाना ‘माई के ममता’, माई के अचरवा में चारो धाम, काफी खूबसूरत गाना है। एक ऐसा ही गाना है पंडित जी बताई न बियाह कब होई में जिसे एक छोटा बच्चा अपनी माँ के लिए गाता है, ‘माई जइसन हो के करी दुनिया में प्यार

माँ की अपने बच्चे के लिए ममता और प्रेम का एक सुन्दर उदहारण है गंगा किनारे मोरा गाँव फिल्म का एक गाना जो एक लोरी है, ‘जईसे रोज आवेलू तू टेर सुनके’ जिसे उषा मंगेशकर ने अपनी आवाज़ दी है और यह गाना तब भोजपुरी क्षेत्र में काफी मशहूर हुआ था।

सुपरस्टार खेसारीलाल ने भी अपनी फिल्म लाडला फिल्म में माँ को समर्पित एक गाना गया है, ‘ममता के अनमोल खजाना’। यह फिल्म भी माँ और बेटे के रिश्ते को केंद्र में रखकर बनाई गयी थी और कहानी और पटकथा के हिसाब से सुन्दर बनी है। खेसारी की एक और फिल्म रिलीज़ होगी ईद के औसर पर माँ के ऊपर ही है ”कुली नंबर वन” ।

फिल्मों से इतर भोजपुरी संगीत में लोक गायकों ने भी माँ के लिए गाने गाये हैं जो काफी मशहूर हुए हैं। जैसे सुभाष यादव का लिखा गीत ‘केहू केतनो दुलारी बाकी माई ना हुई’, माँ के प्यार और दुलार की गहराई और प्रगाढ़ता दर्शाता है। लोक-गायिका अलका झा ने भी माँ के लिए अनेक गीत गाये हैं जो काफी पसंद किये गए।

अगर फ़िल्मी दुनिया की बात करें तो फिल्मों के ये सितारे असल ज़िन्दगी में भी अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को देते हैं। जैसे रवि किशन ने अपने इंटरव्यू में बताया है कि वह जब घर से मुंबई के लिए निकले थे तो माँ ने उन्हें 500 रूपये दिए थे तब उनकी उम्र 17 साल थी और उनके घर की हालत खस्ता थी। उनकी माँ ने कहा था कि बेटा जाओ और तुम ज़रूर सफल होओगे। हकीकत में ऐसा ही हुआ एक बी ग्रेड फिल्म से सफ़र की शुरुआत करने वाले रविकिशन आज ना केवल भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार, बल्कि भारत की कई भाषाओँ में काम करने वाले उम्दा अभिनेता कहे जाते हैं।

खेसारीलाल ने भी अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बताते हुए अपनी माँ के बारे में ज़िक्र किया है। जब वह पैदा हुए तब उनका घर कच्चा था जो बारिश की वजह से ढह गया था, इसलिए उनकी माँ ने उन्हें पड़ोसी के पक्के मकान में जन्म दिया और फिर उसी ग़रीबी में उनका पालन-पोषण किया। बाद में जब खेसारी अपने पिता के साथ दिल्ली के ओखला में रहते थे तो माँ ने उनको अपने गानों का एल्बम बनाने के लिए काफी प्रेरित किया और अपने बचाए पैसे भी दिए जिसमें खेसारी ने कुछ और पैसे मिलाकर अपना एल्बम किया और बाद में एक मशहूर लोकगायक बने और फिर भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार बने।

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