किशोरी क्‍लब के तहत बिहार के दो जिलों के किशोर- किशोरियों को दिया गया प्रशिक्षण

राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ने ‘किशोरी क्लब’ के तहत बिहार के 2 जिलों में असंख्य किशोर- किशोरियों को प्रशिक्षण दिया गया। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण सत्र में मिले ज्ञान व अनुभवों को साथ लेकर यह किशोर-किशोरियां संपूर्ण बिहार राज्य में बदलाव की नयी लहर ला रहे है। बीते महीने में ‘किशोरी क्लब’ में प्रशिक्षित किशोर – किशोरियों का एक समूह बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री। मंगल पांडे से भी मिला था। इस दौरान इन युवाओं ने युवा क्लिनिक के साथ किशोर- किशोरियों के लिए कुछ और मांगे भी रखी। उन्ही में से कुछ किशोरी ने सबों को बेहद प्रभावित किया।

इसमें पहला नाम आता है 19 वर्षीय मौसम कुमारी का, जो नवादा जिले के रजौली ब्लॉक में रहती हैं। मौसम गरीब घर से आती हैं व उनके माता-पिता खेती करते हैं। जिले में 2016 में बने एक किशोरी क्लब की वह लीडर हैं। पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया से प्रशिक्षण लेने के बाद मौसम को महसूस हुआ कि आर्थिक रूप से कमजोर घरों से आने वाली लड़कियों को परामर्श की कमी के साथ ही सेनेटरी नैपकिन जैसी जरूरतमंद चीज़ की कमी से भी झूझना पड़ता हैं। मौसम सरकार से यह मांग करती हैं। सेनेटरी नैपकिन जैसी जरूरतमंद चीज़ बिलकुल मुफ्त में मिलनी चाहिए।

दूसरी किशोर 17 वर्षीय निधि है, जो दरभंगा के सिंघवाड़ा ब्लॉक में रहती हैं, पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के एक प्रशिक्षण सत्र का हिस्सा हैं। अन्य किशोर-किशोरियों को दिशानिर्देश करने में निधि काफी सक्रिय हैं। इतना ही नहीं निधि ने अपनी एक सहेली, काजल का बाल विवाह होने से रोका। काजल ने अचानक एक दिन स्कूल जाना तथा घर से बाहर निकलना बंद कर दिया। निधि ने काजल के माता पिता को समझाया की बाल विवाह न सिर्फ गलत है बल्कि गैर कानूनी भी हैं। अपनी मेहनत व दृढ़ निश्चय से निधि ने एक बाल विवाह होने से व एक किशोरी की जिंदगी बर्बाद होने से बचा लिया।

वहीं, कुमकुम कुमारी ने भी इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्‍सा लिया। 17 साल की कुमकुम कुमारी दरभंगा के सिंघवाड़ा ब्लॉक से हैं। पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े 3दिवसीय प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के बाद कुमकुम न सिर्फ अपने गांव में बल्कि पडोसी गावों में भी जाकर किशोरवस्थया से जुडी जानकारी देती हैं। जब कुमकुम ने अपने गाँव के आंगनवाड़ी केंद्र में किशोरी क्लब से जुडी बैठक करनी चाही तब उन्हें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन कुमकुम ने हार नहीं मानी व आखिर आंगनवाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं को मना ही लिया। इतना ही नहीं बल्कि कुमकुम ने अपने ज्ञान के आधार पर एक महिला जी जान भी बचायी। कुमकुम के ब्लॉक में एक गर्भवती महिला रहती थी जिनके ससुरालवाले चाहते थे की उनके बच्चे की डिलीवरी अस्पताल में न होकर घर पर ही हो। कुमकुम ने न ही उन्हें मनाया बल्कि उस महिले के ससुराल वालों ने कुमकुम को धन्यवाद भी दिया।

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