राखियाँ बनाकर वोकल फॉर लोकल अभियान को गति दे रहीं जेएसएस की महिलाएं

नई दिल्ली: अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए ‘वोकल फॉर लोकल’ पर जोर दिया था। उन्होंने अपने संबोधन में देशवासियों से अपील की थी कि वे लोकल चीजों का ज्यादा प्रयोग करें, ताकि स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल के साथ ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने दिलाई जा सके। उन्होंने स्वदेशी उत्पाद खरीदने के साथ ही उनका गर्व से प्रचार करने की भी अपील की थी। उन्होंने हर वो चीज, जिसे भारत आयात करता है, उसे देश में ही कैसे बनाया जाये और भविष्य में भारत उसका निर्यातक कैसे बने।

आपदा को अवसरों में बदलने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने का जो संकल्प प्रधानमंत्री मोदी ने लिया है, आज उस संकल्प को पूरा करने में समाज का हर तबका पूरी प्रतिबद्धता के साथ अपना योगदान दे रहा है। इस कड़ी में जन शिक्षण संस्थान की महिलाओं ने भी इस मुहीम में अपनी मज़बूत भागीदारी सुनिश्चित की है, जो आपदा को अवसर में बदलकर वोकल फॉर लोकल अभियान को नई गति प्रदान कर रही हैं।

दरअसल कोरोना के इस संकटकाल में चीनी वस्तुओं पर लगाम ही नहीं बल्कि उन्हें भारतीय बाजार से बाहर करने की मुहिम देशभर में चल रही है। परिणामस्वरूप इसे एक नए अवसर में परिवर्तित कर, यह महिलाएं कोरोना काल में सरकार द्वारा बनाये गए सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, उपलब्ध संसाधनों के साथ अपने सामर्थ्य एवं हुनर के दम पर बेहतरीन क्वालिटी की हस्त निर्मित राखियों का निर्माण कर रही हैं। इन महिलाओं की यह तैयारी न केवल भाई बहन के पवित्र रिश्ते के लिए है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में अहम भारतीय बाजारों की मजबूती पर भी केंद्रित है।

आज हैदराबाद, रायगढ़, कोरबा, आदिलाबाद, समस्तीपुर, श्योपुर, पश्चिम दिल्ली, सिलचर, कोटा, सीहोर एवं दतिया समेत देश के कई जन शिक्षण संस्थानों की यह महिलाएं अपने कौशल के दम पर न सिर्फ अपने लिए आत्मनिर्भरता एवं आजीविका उत्पन्न करने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं बल्कि समाज की अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अपना योगदान दे रही हैं। महिलाएं अपने हुनर से राखी बना रही हैं, जिसे व्यापारी हाथों हाथ खरीद रहे हैं। इसके साथ ही इन राखियों की आपूर्ति आस-पास के बाज़ारों में भी की जा रही है। यही नहीं, अब यह राखियां ग्राहकों के लिए ई-कॉमर्स साइट्स पर भी उपलब्ध रहेंगी। जिसके लिए अमेजन जैसे अन्य कई साइट्स ने जन शिक्षण संस्थानों के साथ हाथ मिलाया है।

इतना ही नहीं, कोविड-19 संक्रमण के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना जन कल्याण कार्यों हेतु तत्पर रहने वाले कोरोना वॉरियर्स जैसे – डॉक्टर, जिला प्रशासन, सुरक्षा गार्ड, पुलिसकर्मियों, सफाई कर्मचारियों आदि को भी जेएसएस की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियां प्रदान की जाएंगी ताकि उन सभी कोरोना वॉरियर्स का आभार प्रकट किया जा सकें। इस मुश्किल समय में कोरोना वॉरियर्स ने नागरिकों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी है।

जेएसएस की महिलाओं ने पारंपरिक राखी बनाने के अलावा इस बार नए-नए प्रयोग करते हुए कई अन्य प्रकार की राखियां भी बनाई हैं। जिनमें विशेष रूप से तैयार की गई बीज राखी भी शामिल है जिसके बीज राखी के बाद पौधे लगाने के काम में आ सकते हैं। इसके अलावा सिल्क, मोती, मौली, ब्रीस्लेट, चंदन के साथ ही बच्चों के लिए कार्टून, फ्लोरल, गणेश राखी, ज़रदोज़ी, स्वास्तिक समेत लटकन वाली लुम्बा राखी भी बड़ी मात्रा में बनाई जा रही है।

इन महिलाओं के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज उन्हें स्थानीय स्तर से लेकर राज्य सरकारों की भी हर संभव सहायता प्राप्त हो रही है, जो इनके प्रयासों को बढ़ाने के साथ ही इनमें आत्मविश्वास की एक नई किरण जगा रहा है। यही नहीं, आज इन महिलाओं के साथ-साथ जेएसएस रायगढ़ के दिव्यांगजन भी स्थानीय सहायता के चलते अपने हुनर को प्रदर्शन करते हुए राखी निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं, जिससे न सिर्फ इनके हुनर को धार मिल रही है, बल्कि इनके स्वरोजगार का रास्ता भी साफ़ हो रहा है।

डॉ. महेंद्र नाथ पांडे, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री ने कहा, “देश भर में स्किल डेवलपमेंट का मॉडल तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाना हमारा संकल्प है। उद्योगों के अनुरूप स्किल की आपूर्ति को और अधिक जवाबदेह बनाना हमारा उद्देश्य है। हम कौशल विकास के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाकर उद्योगों और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच संबंधों में एक सामंजस्य बना रहे है। इसी का परिणाम है कि आज महिला सशक्तिकरण की दिशा में जन शिक्षण जैसे संस्थान न सिर्फ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि महिलाओं को उद्योगों से संबंधित कामकाज को समझने का एक शानदार अनुभव प्रदान कर रहे हैं। हम इस ध्येय के साथ कार्य कर रहे हैं कि हर ज़रुरतमंद के हाथ में अपना हुनर हो, अपना रोजगार हो। हम “हर हाथ कौशल, हर हाथ काम” की धारणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों हम ऐसे कुशल वर्कफोर्स का निर्माण सुनिश्चित करेंगे जो भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देगी।”

कोरोना के इस संकटकाल में लोकल ने ही हमारी डिमांड पूरी की है, इस विषम परिस्थिति में हमें लोकल ब्रांड्स का अच्छा सहयोग मिला है। आज लोकल न केवल हमारी ज़रुरत है, बल्कि हमारी ज़िम्मेदारी है। आज इस मुश्किल हालातों ने हमें सिखाया कि दूसरों पर निर्भरता ख़त्म कर आत्मनिर्भर बनने का समय आ चुका है। आज कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय जिस तरह अपनी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से जनता को कौशलयुक्त बनाने का कार्य कर रहा है, वो बहुत ही प्रशंसनीय है।

error: Content is protected !!