नसों-माँसपेशियों की समस्यां, कोविड नेगेटिव होने के लम्बे समय बाद भी लोगों को नहीं होने दे रही सामान्य

कोविड महामारी की दूसरी लहर व्यापक स्तर पर वयस्कों से बच्चों तक सभी को प्रभावित कर रही है। बहुत से लोग पूरी तरह से ठीक भी हो रहे है लेकिन एक बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी है जिन्हें नेगेटिव होने के बाद भी कई सारी जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा हैं। इसी कड़ी में हम आज उन मरीजों की तरफ इशारा कर रहें है जो संक्रमण मुक्त होने के कई दिनों व महिनों बाद भी अपनी प्रि-कोविड स्थिति में नहीं लौट पायें है- संक्रमण के कारण उन्हें नसों-माँसपेशियों की समस्यां हो चुकी है जिससे वह रोजमर्रा के काम भी बिना सहायता के नहीं कर पा रहें है जैसे चलना-फिरना, खान-पान, नहाना आदि।

ऐसा नहीं हैं कि कोविड पश्चात नसों -माँसपेशियों की समस्या सिर्फ गंभीर कोविड के मामलों में ही देखी जा रही है (जिन्हें आई.सी.यू. या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी थी)। यह समस्यां उन लोगों में भी एक बड़ी मात्रा में देखी जा रही है जो पहले से ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, स्ट्रोक आदि समस्याओं से प्रभावित थे और फिर उसके बाद कोविड संक्रमण की चपेट में आ गयें। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पृथ्वी गिरी बताते हैं कि हम ऐसे मरीज हर रोज अपनी ओ.पी.डी. में देख रहें है जो नसों-माँसपेशियों की कमजोरी के कारण रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पा रहें है, ऑफिस नहीं जा पा रहें है, व्हीलचेयर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है आदि जिसके कारण उनमें डिप्रेशन व सुसाइडल भावनायें आ रही है। ऑफिस नहीं जा पाने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। एक तरह से यह समस्यां मरीज के जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रही है- आर्थिक, मानसिक, शारीरिक आदि। चिन्ता का एक यह विषय भी है कि ऐसे मरीजों में एक बड़ी संख्या उन मरीजों की हैं जो गंभीर संक्रमण के कारण पहले कोविड आई.सी.यू. में भर्ती थे। संक्रमण मुक्त तो हो गये लेकिन नसों-माँसपेशियों में अत्याधिक कमजोरी के कारण अब कई दिनों से नॉन-कोविड आई.सी.यू. में भर्ती है। आगे जाकर यह समस्यां हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत दबाव डाल सकती है क्योंकि नॉन-कोविड आई.सी.यू. ऐसे मरीजों से भरे रह सकते है जिससे दूसरी बीमारी के मरीजों को आई.सी.यू. में जगह ही न मिल पायें।

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पृथ्वी गिरी बताते हैं कि कोविड नेगेटिव होने के कई दिनों या महिनों बाद भी अगर मरीज नसों-माँसपेशियों में कमजोरी महसूस कर रहा है और रोजमर्रा के काम करने में असमर्थ है तो इसे हल्के में न लें और तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट को दिखायें। समय रहते आवश्यक डायग्नोस्टिक टेस्ट, टारगेटेड ट्रीटमेंट एवं रिहेबिटेलेशन द्वारा मरीज को कई हद तक ठीक किया जा सकता है। पूर्ण रिकवरी के लिए जल्द एवं टारगेटेड उपचार अनिवार्य है।

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