नयी दिल्ली, 11 अगस्त, 2021- भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) सॉफ्टवेयर एवं सॉल्यूशंस उपलब्ध कराने वाली देश की अग्रणी कंपनी एसरी इंडिया ने अगले 3 साल में भारत में जीआईएस प्रौद्योगिकियों में 2 लाख से अधिक विद्यार्थियों को कुशल बनाने के लिए अभियान चलाने की घोषणा की है।
भारत सरकार के अनुमानों के मुताबिक, जियोस्पेश्यिल डेटा की अर्थव्यवस्था मौजूदा 30,000 करोड़ रूपये से बढ़कर वर्ष 2030 तक करीब एक लाख करोड़ रूपये पर पहुंचने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि सरकार स्मार्ट शहरों, अमृत, जल संसाधनों, कृषि, बीमा, भूमि प्रबंधन एवं स्वामित्व और जनोपयोगी सेवाओं जैसे कई क्षेत्रों में जीआईएस टेक्नोलॉजी के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। जियोस्पेश्यिल डेटा के डिरेलुगेशन को लेकर इस साल की शुरूआत में सरकार द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों के साथ निजी क्षेत्र में जीआईएस का उपयोग भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ने की संभावना है।
जैसा कि जीआईएस का उपयोग अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रत्येक विद्यार्थी को जीआईएस सीखने का अवसर मिले। यह हासिल करने के लिए एसरी इंडिया ने सेंटर ऑफ कंपिटेंस (सीओसी) स्थापित कर जीआईएस ढांचा स्थापित करने और उसे बढ़ाने में विश्वविद्यालयों और संस्थानों की मदद के लिए एक समग्र कैंपस कार्यक्रम की घोषणा आज की। यह सीओसी विद्यार्थियों को उन्नत जीआईएस टेक्नोलॉजी में कौशल हासिल करने के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव प्राप्त करने का अवसर देगा। जीआईएस कौशल को एआईध्एमएल, बिग डेटा, 3डी, एआरध्वीआर, रीयल्टी कैप्चर, डेटा साइंस, क्लाउड कंप्यूटिंग आदि उभरती नयी प्रौद्योगिकियों के साथ उपयोग करने से एक जबरदस्त अंतर पैदा हो सकता है और रोजगार की संभावना बढ़ सकती है। यह पहल विद्यार्थियों को ज्ञान, विशेषज्ञता, सर्वोत्तम व्यवस्था और सॉफ्टवेयर ढांचा उपलब्ध कराएगी जहां तक किसी भी उपकरण से कभी भी और कहीं से भी पहुंच स्थापित किया जा सकता है।
एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री अगेन्द्र कुमार ने कहा, श्आर्थिक वृद्धि में जीआईएस के बढ़ते महत्व के साथ इस देश में भू-स्थानिक साक्षरता बढ़ाने की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, जियोस्पेश्यिल डेटा गाइडलाइन और ड्रोन नीति जैसी नयी नीतियों के जरिये सरकारी हस्तक्षेप से भी रोजगार और उच्च मूल्य सृजन के लिए अवसर उपलब्ध होंगे। हमें इस देश में अति आवश्यक कौशल आधार का निर्माण करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में जीआईएस सीखने का ढांचा तेजी से बढ़ाना होगा।श्
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बहु क्षेत्रीय बनने की व्यवस्था की गई है। इस नीति में यह भी कहा गया है कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के पाठ्यक्रम सामुदायिक संलग्नता और सेवा, पर्यावरण संबंधी शिक्षा और मूल्य आधारित शिक्षा के क्षेत्रों में परियोजनाओं पर केंद्रित होंगे।
अगेन्द्र ने कहा, श्इस पहल के जरिये हमारा लक्ष्य सभी क्षेत्रों के विद्यार्थियों को जीआईएस प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना है। यह विद्यार्थियों को उनके अध्ययन के दौरान स्थानिक सोच की दिशा में सशक्त करेगा। उदाहरण के तौर पर सप्लाई चेन मैनेजमेंट का विद्यार्थी कैंपस में रहते हुए जीआईएस कौशल सीख सकता है और बाद में वह अपने पेशेवर जीवन में संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला प्रक्रिया में रीयल टाइम स्थिति पर नजर रखने के लिए इसका उपयोग कर सकता है।श्
इस पहल के तहत विद्यार्थियों, अनुसंधानकर्ताओं और प्रोफेसरों की पहुंच माईएसरीलर्निंग पोर्टल पर उपलब्ध ई लर्निंग कंटेंट और एसरी के लर्न हब के जरिये गाइडेड अध्यायों तक होगी। इस कार्यक्रम के तहत एसरी इंडिया फैकल्टी ट्रेनिंग और स्टूडेंट इंगेजमेंट प्रोग्राम की भी पेशकश करेगी।
एसरी इंडिया दो दशकों से अधिक समय से अकादमिक संस्थानों के साथ काम करती रही है। कोर जीआईएस पाठ्यक्रमों और अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 800 से अधिक कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने जीआईएस प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। यह कंपनी जीआईएस अकादमियां काउंसिल ऑफ इंडिया और एसरी इंडिया यंग स्कॉलर प्रोग्राम सहित अन्य कार्यक्रमों के जरिये जीआईएस की जानकारी का भी प्रसार करती है।