ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C तक सीमित रखने के लिए छह कदम

नई दिल्ली, 30 सितंबर 2021: पेरिस समझौते को पूरा करने और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए एनर्जी ट्रांजिशंस कमीशन (ईटीसी) ने उन कार्रवाइयों अथवा कदमों को निर्धारित किया है, जिसे 2020 में देशों और कंपनियों को पूरा करना है।

पेरिस जलवायु समझौते के हिस्से के रूप में किया गया मौजूदा राष्ट्रीय डीकार्बोनाइजेशन संकल्प (जिसे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान या एनडीसी के रूप में जाना जाता है), ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने से रोकने की दिशा में जरूरी प्रयासों से बहुत कम है। उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त 17-20 गीगा टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) कटौती और मीथेन उत्सर्जन में 40% की कमी की आवश्यकता होगी। हालांकि, ईटीसी की रिपोर्ट कीपिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस अलाइव: क्लोजिंग द गैप इन द 2020, तकनीकी रूप से उन व्यावहारिक कार्रवाइयों के बारे में विस्तार से बताती है, जो उस अंतर को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद कर सकती है और जिसे ग्लासगो में नवंबर में होने वाले आगामी COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन में समझौतों की मदद से आगे बढ़ाया जा सकता है।

इनमें से कई कार्रवाइयां न्यूनतम लागत पर आधारित है और इससे अन्वेषण व हरित आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, और उन सभी को व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझौते की आवश्यकता के बिना, अग्रणी देशों और कंपनियों की प्रतिबद्धताओं के माध्यम से COP26 में प्रोत्साहन दिया जा सकता है। लेकिन वनों की कटाई को समाप्त करना और मौजूदा कोयला संचालित संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने वाले दो उच्च प्राथमिकता वाले कार्यों को समृद्ध विकसित देशों की तरफ से जलवायु वित्त की आवश्यकता होगी।
इन अनुशंसाओं में छह क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिसमें मीथेन उत्सर्जन में कटौती, वनों की कटाई और अन्य प्रकृति-आधारित समाधानों को समाप्त करना, कोयला को छोड़कर दूसरे विकल्पों की तरफ बढ़ना, सड़क परिवहन विद्युतीकरण में तेजी लाना, प्रमुख औद्योगिक और अन्य “कठिन से कम” क्षेत्रों को डीकार्बनाइज करना और ऊर्जा दक्षता में सुधार प्राप्त करना शामिल है।

COP26 के मनोनीत प्रेसिडेंट आलोक शर्मा ने कहा, ‘’ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए दुनिया को अगले दशक में उत्सर्जन को आधा करने और सदी के मध्य तक शून्य करने की दिशा में काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘’यह रिपोर्ट हमें 1.5 डिग्री के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्राप्त करने योग्य उत्सर्जन की एक स्पष्ट और विश्वसनीय कार्य योजना निर्धारित करती है। COP26 से पहले हम सभी देशों से उत्सर्जन को कम करने और कोयले, कारों, पेड़ों और मीथेन के मामले में कार्रवाई करने के लिए उन्नत योजना प्रस्तुत करने का आग्रह करते हैं।”

एनर्जी ट्रांजिशंस कमीशन के चेयर अडायर टर्नर ने कहा, “ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए वर्तमान राष्ट्रीय प्रतिबद्धता एक उपयोगी कदम है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग को स्वीकार्य स्तर तक सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।” उन्होंने कहा, “लेकिन हमारे पास शून्य या कम लागत पर बहुत तेजी से कटौती करने की तकनीक है, और यह रिपोर्ट दिखाती है कि इसे कैसे किया जा सकता है। जो कुछ भी करने की जरूरत है, उसके लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझौतों की आवश्यकता नहीं है, लेकिन प्रमुख देशों और कंपनियों की साझेदारी के जरिए इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए COP26 की भूमिका उत्प्रेरक की होनी चाहिए।”

COP26 में यूके हाई लेवल क्लाइमेट एक्शन चैंपियन निगेल टॉपिंग ने कहा: “ईटीसी देशों और कंपनियों के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालता है। जीरो डिग्री के मामले में नेतृत्व और वैश्विक समर्थन काफी महत्वपूर्ण है और ईटीसी की सिफारिशें दर्शाती हैं कि अगले दशक में सामूहिक कार्रवाई को प्राप्त करना तकनीकी और आर्थिक रूप से संभव है। यदि हम ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना चाहते हैं, इसके लिए प्रयासों में तेजी आ रही है और अब यह महत्वपूर्ण है कि हम 2020 में तेजी से क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करें।”

ईटीसी की तरफ से कार्रवाई योग्य पहचानी गई निम्न छह श्रेणियां हैं:
1. मीथेन उत्सर्जन में उल्‍लेखनीय और तेजी से कमी। यूएन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की नवीनतम रिपोर्ट से पता चलता है कि मीथेन उत्सर्जन पिछले ग्लोबल वार्मिंग का लगभग 40% है, और इन उत्सर्जन को कम करना ग्लोबल वार्मिंग को जल्द से जल्द सीमित करने के लिए सबसे शक्तिशाली और उपलब्ध विकल्प है। लेकिन कई एनडीसी मीथेन पर अपर्याप्त ध्यान देते हैं। कम लागत वाली कार्रवाइयां 2030 तक जीवाश्म ईंधन से संबंधित उत्सर्जन में 60% की कटौती कर सकती हैं, जबकि कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन से उत्पन्न होने वाले उत्सर्जन में संभावित रूप से 30% की कटौती की जा सकती है।
2. वनों की कटाई को रोकना और वृक्षारोपण शुरू करना। वनों की कटाई को रोकना, वृक्षारोपण शुरू करना और अन्य भूमि उपयोग प्रथाओं में सुधार करना 2030 तक प्रति वर्ष 6.5 गीगा टन तक उत्सर्जन को कम कर सकता है। इसे प्राप्त करने के लिए समृद्ध विकसित देशों से वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी और प्रतिबद्ध जलवायु वित्त का उपयोग इसके लिए प्राथमिकता में होना चाहिए।
3. बिजली क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करना और कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में तेजी लाना। कोयले से होने वाला बिजली उत्पादन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का इकलौता सबसा बड़ा स्रोत है, लेकिन यह नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में तुलनात्मक रूप से अलाभकारी है। नए कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के निर्माण पर तत्काल प्रतिबंध, मौजूदा कोयला संयंत्रों के एक चरण के साथ संयुक्त रूप से 2030 तक प्रति वर्ष 3.5 जीटी अतिरिक्त उत्सर्जन में कमी ला सकता है। सभी समृद्ध विकसित देशों को 2030 तक इसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, और फिर विकसित अर्थव्यवस्थाओं से होने वाले जलवायु वित्त के प्रवाह की मदद से विकासशील देशों में धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से इसे समाप्त करने में सहायता करनी चाहिए।
4. सड़क परिवहन के विद्युतीकरण में तेजी लाना। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाए जाने की वजह से न केवल उपभोक्ताओं के ईंधन लागत और रखरखाव खर्च में कमी आती है, बल्कि साथ में वायु प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोत को भी खत्म करने में मदद मिलती है। 2035 तक स्थापित आंतरिक दहन इंजन लाइट ड्यूटी वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध इस बदलाव को मजबूती प्रदान करेगा। प्रमुख बेड़े संचालकों द्वारा अपने वाहन बेड़े को अभी भी पहले की तारीखों में पूरी तरह से विद्युतीकृत करने की प्रतिबद्धता परिवर्तन की दिशा में एक शक्तिशाली चालक साबित होगा। 2030 तक इस तरह की कार्रवाइयों से प्रति वर्ष अतिरिक्त 2.3 गीगा टन उत्सर्जन में कमी आ सकती है।
5. इमारतों, भारी उद्योग और भारी परिवहन में डीकार्बनाइजेशन की आपूर्ति को तेज करना। इन क्षेत्रों से उत्सर्जन को समाप्त करने की अवधि 2030 से आगे बढ़ जाएगी। लेकिन प्रौद्योगिकी में प्रगति और लागत में कमी अधिकांश एनडीसी की तुलना में तेजी से कटौती को संभव बना रही है। स्टील, सीमेंट, शिपिंग और विमानन में अग्रणी कंपनियों और देशों की प्रतिबद्धताओं से प्रति वर्ष अतिरिक्त 1 जीटी उत्सर्जन में कमी हो सकती है, साथ ही तेज गति से होने वाले विद्युत ताप के विद्युतीकरण की वजह से प्रति वर्ष 1 जीटी संभावित आपूर्ति के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
6. ऊर्जा और संसाधन दक्षता को फिर से मजबूत करना। ऊर्जा और संसाधन दक्षता में सुधार के माध्यम से कम लागत वाले उत्सर्जन में कमी प्राप्त करने के बड़े अवसरों के बावजूद, हाल की प्रगति निराशाजनक रूप से धीमी रही है। लेकिन इमारतों और उपकरणों में दक्षता में सुधार लाने के लिए मौजूदा पहलों पर निर्माण, सीओपी 26 में कार्रवाई के माध्यम से प्रगति को तेज किया जा सकता है।
रिन्यू पावर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुमंत सिन्हा ने कहा, ‘’देशों के एनडीसी वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की दिशा में आवश्यक से काफी कम हैं। बिजली, परिवहन, उद्योगों और इमारतों में विशिष्ट कार्यों के साथ ऊर्जा क्षेत्र में लक्षित कार्यों के साथ अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की आवश्यकता है। इन्हें जीरो-कार्बन पावर की तेजी से तैनाती, प्रमाणित उत्सर्जन में कमी करने वाली टेक्‍नोलॉजीज, सभी क्षेत्रों में टेक्‍नोलॉजी प्रसार को सुनिश्चित करने के लिए सही नीतिगत वातावरण के निर्माण का समर्थन मिलना चाहिए। अब हम जो कदम उठाएंगे, वह तय करेगा कि हम किस तरह धरती को अपनी विरासत के रूप में छोड़ते हैं।’’

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