कश्मीर के कारीगरों और बुनकरों के हुनर को निखारने के लिए पायलट परियोजनाएं शुरू कीं

जम्मू एवं कश्मीर, 29 नवंबर 2021 : केंद्रीय कौशल विकास औऱ उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज दो परियोजनाओं की शुरुआत की घोषणा की। ये परियोजनायें हैं -1. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 3.0 के तहत कश्मीर के नमदा शिल्प का पुनरुद्धार करने के लिए विशेष पायलट परियोजना। 2. पूर्व कौशल को मान्यता देने (आरपीएल) के कार्यक्रम, जो पीएमकेवीवाई का महत्वपूर्ण घटक है, के तहत स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को कौशल में दक्ष बनाने के लिए परियोजना शुरू। इन प्रोजेक्ट का उद्देश्य कश्मीर की पारंपरिक नमदा शिल्प का संरक्षण करना, आरपीएल असेसमेंट और सर्टिफिकेशन से स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों की उत्पादकता में सुधार के लिए उन्हें अपने कौशल में दक्ष बनाना है। नमदा प्रोजेक्ट से कश्मीर के 6 जिलों (श्रीनगर, बारामूला, गांदरबल, बांदीपोरा, बडगाम और अनंतनाग) में 30 नमदा समूहों के 2250 लोगों को फायदा होगा। आरपीएल की पहल का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर के 10,900 कारीगरों और बुनकरों के कौशल को और निखारना और संवारना है।
नमदा शिल्प सामान्य बुनाई प्रक्रिया की जगह फेल्टिंग तकनीक से भेड़ के ऊन से बना गलीचा होता है। कच्चे माल की कम उपलब्धता, कुशल और प्रशिक्षित कारीगरों तथा मार्केटिंग तकनीक की कमी से इस शिल्प का निर्यात 1998 से 2008 तक करीब 100 प्रतिशत विलुप्त हो गया। इसलिए पीएमकेवीवाई की विशेष परियोजना के तहत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने इस विलुप्त प्राय कला के संरक्षण के लिए शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कोर्स को डिजाइन किया है। इस परियोजना को 25 बैचों में ट्रेनिंग के 3 तीन चक्र से अमल में लाया जाएगा। हर ट्रेनिंग प्रोग्राम करीब साढ़े 3 महीने का होगा। इसके नतीजे के तौर पर यह सभी चक्र करीब 14-16 महीनों में समाप्त हो जाएंगे।
नमदा परियोजना एक उद्योग-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा जिसमें नमदा शिल्प उत्पादन से जुड़े लाभार्थी शामिल होंगे, जो कश्मीर में नमदा शिल्प से जुड़ी समृद्ध विरासत को संरक्षित और पुनर्जीवित करने में अपना योगदान देंगे। इससे कश्मीर में नमदा शिल्प समूह से जुड़े मौजूदा कारीगरों की पहुंच बढ़ेगी। इसी के साथ रोजगार मिलने की संभावनाओं में भी सुधार आएगा।
केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रोद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने इस पहल का शुभारंभ करते हुए कहा, “भारत की विरासत काफी समृद्ध है। यहां पारंपरिक कला के कई रूप देखने को मिलते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार को पारंपारिक और विरासत संबंधी कौशल को फिर से जीवित करने, उसे बढ़ावा देने और कारीगरों और शिल्पकारों को पूरा समर्थन देकर उनकी आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाने में पूर्ण विश्वास है। केवल यही नहीं, हमें उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे दुनिया हमारी जीवंत संस्कृति से परिचित हो सके। जब मैंने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया तो राज्य के लोगों ने अनुकूल कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहयोग मांगा। इसीलिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने स्थानीय नौजवानों की आकांक्षाओं को पूरा करने और उन्हें विकास के पथ पर बढ़ावा के लिए इस परियोजना को आकार दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि स्थानीय इंडस्ट्रीज के साथ आने से हम कालीन निर्यात को 600 करोड़ से बढ़ाकर 6000 करोड़ तक ले जाने में सक्षम होंगे। इससे 8 लाख लोगों के लिए रोजगार का सृजन होगा।”
उन्होंने कहा, “यह कार्यक्रम स्थानीय युवकों का कौशल विकास, उन्हें अपने हुनर में और दक्ष बनाने और अपनी स्किल्स का दोबारा विकास कर उनके कॅरियर को ऊंचाइयों तक पहुंचाने की सीढ़ी प्रदान करेगा। यह कार्यक्रम युवाओं को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के मजबूत स्तंभ बनाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निवेश कर रही है और पारंपरिक कला को आगे बढ़ाकर कारीगरों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है। राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “जम्मू कश्मीर के विकास पर लगातार तेज नजर रखते हुए काम कर रही है। सरकार ने सभी मोर्चों पर अपने वादों को पूरा किया है।” उन्होंने एमएसडीई, नेशनल स्किल डिवेलपमेंट कार्यक्रम और सेक्टर स्किल काउंसिल के अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की क्योंकि राज्य के स्थानीय य़ुवाओं के अनुकूल बनाए किए गए कार्यक्रम की परिकल्पना, प्रोसेसिंग और मंजूरी केवल 2 महीने के रेकॉर्ड समय में दी गई। अनुकूल रूप से डिजाइन किया गया यह कार्यक्रम नए नजरिए का प्रतीक है, जिस पर सरकार अपने कौशल विकास कार्यक्रम को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह कार्यक्रम कारीगरों और शिल्पकारों को लगातार उनके कौशल में दक्ष बनाने, उनकी प्रतिभा को निखारने और उनके हुनर को और तराशने के सिद्धांत पर आधारित है, जिसके नतीजे के रूप में रोजगार की पक्की गारंटी मिलेगी। इस कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में इंडस्ट्री भी महत्वपूर्ण हितधारक है।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा, “हमारी टीम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत इस प्रोजेक्ट पर काफी उत्साह से काम कर रही है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने नमदा को संरक्षित रखने के लिए शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कोर्स डिजाइन किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमे इस विलुप्त होने की कगार पर पहुंची कला को न केवल पुनर्जीवित कर सकेंगे, बल्कि इसे आर्थिक रूप से ज्यादा व्यावाहरिक बना जाएगा। इसके तहत रोजगार का सृजन कर स्थानीय कारीगरों की मदद की जाएगी। मंत्रालय जम्मू-कश्मीर के कारीगरों और शिल्पकारों के समूह की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्रोजेक्ट आदिवासी समाज के उत्थान और विरासत को संरक्षण देने का प्रयास है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इसे पूरी लगन और मेहनत से लागू किया जाए। मैं सभी भागीदारों, जिसमें शिक्षक, छात्र और इंडस्ट्री के पार्टनर शामिल हैं, को इस प्रोजेक्ट के लिए बहुत-बहुत शुभकमानाएं देता हूं।”
इसके अलावा रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) के तहत कारीगरों को हुनर को निखारने और तराशने की परियोजना से हस्तशिल्प और कालीन उद्योग की असंगठित वर्क फोर्स के कौशल में सुधार की उम्मीद है। कारीगरों और बुनकरों को मानकीकृत एनएसक्यूएफ (राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क) से जोड़ा जाएगा। इससे मौजूदा कारीगरों और बुनकरों की स्थायी आजीविका तक पहुंच में सुधार होगा। उनमें कौशल और तकनीकी ज्ञान बढ़ेगा। इसके अलावा इस परियोजना से मार्किंग स्किल्स और तकनीक में भी बढ़ोतरी होगी। यह उन्हें बाजार की मौजूदा मांग के अनुसार डिजाइन बनाने में मदद करेगा। यह पहल भारत सरकार के सत्यापन और अपस्किलिंग ब्रिज मॉड्यूल के माध्यम से पांरपिक हस्तिशिल्प के प्रॉडक्ट्स में वैल्यू एडिशन करेगी। अपस्किलिंग की पहल के लिए ट्रेनिंग डिलिवरी पार्टनर मीर हैंडीक्राफ्ट, श्रीनगर कारपेट ट्रेनिंग एंड मार्केटिंग है। 10 प्रतिशत परफॉर्मर्स के लिए स्पेशल वैल्यू एडिशन होगा।
इस संपूर्ण कार्यक्रम को अलग-अलग चरणों में लागू किया जाएगा, जिसमें कारीगरों और बुनकरों का चयन, उन्हें कौशल में दक्ष बनाने और प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण देने का काम (टीओटी) ब्रिज मॉडूयल के साथ आरपीएल के माध्यम से किया जाएगा । सबसे पहले कारीगरों और बुनकरों का चयन परंपरागत शिल्प समूहों से किया जाएगा। शिल्प, मौजूदा अनुभव और कौशल के आधार पर उन्हें चुना जाएगा। प्रशिक्षकों का चयन या तो एसएससी डेटा बेस से किया जाएगा या प्रस्तावित शिल्पकारों और बुनकरों के समूह के लिए ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर (टीओटी) कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। टीओटी नए बाजारों के महत्वपूर्ण विकास के साथ मानकीकरण तकनीकों, सॉफ्ट स्किल्स, फाइनेंशियल प्लानिंग के साथ उद्यम निर्माण के दूसरे पहलुओं में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। अंत में कारीगरों और शिल्पकारों को हस्तशिल्प के प्रॉडक्ट्स बनाने की नवीन और अपग्रेड की गई तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ट्रेनिंग के बाद सभी शिल्पकार और बुनकर अपने-अपने समूह में स्थापित सूक्ष्म इकाइयों में काम करेंगे। इस अवधि में लाभार्थियों को बाहरी लोगों से संपर्क बढ़ाने और विचार-विमर्श करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे बाद के चरणों में अपने आप वह मार्केट लिंक को मैनेज कर सके। हर बैच को 12 दिनों की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें 12 घंटे का ओरिएंटेशन प्रोग्राम होगा और 60 घंटे का ब्रिज मॉड्यूल होगा।
ब्रिज मॉड्यूल कार्यक्रम के अलावा ओरिएंटेशन प्रोग्राम के बाद, शिल्पकारों और बुनकरों को रिकिग्शन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल), टाइप 1 (ब्रिज मॉड्यूल सर्टिफिकेशन) का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। एमएसडीई के करीबी सहयोग से हैंडीक्राफ्ट और कारपेट सेक्टर स्किल काउंसिल (एचसीएसएससी) इस पूरे प्रोजेक्ट की दिन-पर-दिन होने वाली प्रगति की निगरानी करेंगे।
अनुच्छेद 370 और 35 ए के रद्द होने के बाद, कश्मीर भी शेष भारत के साथ समान स्तर पर खड़ा है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग परियोजना को नया जीवन प्रदान किया गया, जिन्हें पिछले राजनैतिक शासन की ओर से नजरअंदाज कर दिया था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब 77 मंत्री केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। भारत सरकार युवाओं की स्किलिंग, रिस्किलिंग और अपस्किलिंग के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। सरकार ने पहले ही प्राइवेट सेक्टर से मजबूत संबंध बना लिया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से की गई विभिन्न पहलों में बाहरी निवेशकों को किराए पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी और जम्मू-कश्मीर में दो विशाल आईटी पार्क बनाए जाएंगे। इस क्षेत्र में युवा स्टार्टअप के लिए कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ठोस और तकनीक पर आधारित प्रयास किए जाएंगे। मोदी सरकार के दिशा-र्निदश के तहत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने घाटी के युवाओं को फिल्म मेकिंग में प्रशिक्षण देने का फैसला किया है। इससे जॉब में उन्हें नई-नई भूमिकाएं मिलेंगी।
पिछले महीने श्री राजीव चंद्रशेखर ने नागालैंड और जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। अपने इस दौरे के बाद उन्होंने इस क्षेत्र में दम तोड़ती पारंपरिक शिल्पकला के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए परियोजना की शुरुआत करने पर जोर दिया6 क्योंकि वहां हस्तशिल्प क्षेत्र ही प्रमुख रूप से रोजगार का सृजन करता है। यह देखा गया है कि विरासत और पारंपरिक शिल्प समूहों को नागालैंड और जम्मू-कश्मीर में पारंपरिक शिल्प की मांग को पूरा करने के लिए गांवों के कारगीरों का जरूरत पड़ती है। इस पहल का उद्देश्य सूक्ष्म उद्यमिता को प्रोत्साहित करते हुए उद्योग और बाजार को जोड़ना है।
इसी तरह की पायलट परियोजना नागालैंड में 4 हजार से ज्यादा कारीगरों और शिल्पकारों को कौशल से दक्ष करने, उनके हुनर और प्रतिभा को फिर से निखारने, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों के सृजन के साथ शिल्प समूहों को मजबूत करने के लिए शुरू की जाएगी।

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