“उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए डिजिटल कौशल के ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है, एक मजबूत उद्योग-कौशल संबंध बनाना”: पीएम मोदी

दिल्ली, फरवरी 2022: बजट 2022 में घोषित पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के तरीकों पर विचार-मंथन और चर्चा करने के लिए, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) और शिक्षा मंत्रालय द्वारा अन्य मंत्रालयों के साथ स्किल इंडिया वेबिनार में एक सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र की थीम ‘मजबूत उद्योग-कौशल संबंध को बढ़ावा देने की दिशा में’ है। यह सत्र माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए जा रहे सेमिनारों की एक श्रृंखला का एक हिस्सा है।

प्रधानमंत्री जी का स्पष्ट विज़न है कि डिजिटल टूल्स डिजिटल कंटेंट को कैसे बेहतर तरीके से डिलीवर किया जाए, इसके लिए हमें टीचर्स को भी ऑनलाइन प्रशिक्षण देने पर जोर देना होगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए ग्लोबल टैलेंट डिमांड के लिहाज से भी डायनामिक स्किलिंग बहुत अहम है। पुराने जॉब रोल्स जिस तेजी से बदल रहे हैं उसके अनुसार हमें अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड को तेजी से तैयार करना होगा। इसके लिए एकेडेमिया और इंडस्ट्री को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। डिजिटल इकोसिस्टम फॉर स्किलिंग एण्ड लाइलीवुड (देश-स्टैक ई-पोर्टल) और ईस्किलिंग लैब की जो घोषणा बजट में की गई है उसके पीछे यही सोच है।

उल्लेखनीय है कि शिक्षा और कौशल क्षेत्र के लिए बजट 2022 में पहुंच बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सुधार करने, क्षमता निर्माण करने और डिजिटल स्किल ईकोसिस्टम को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस सत्र में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की बातचीत के दौरान, डिजिटल कौशल को बढ़ाकर कौशल ईकोसिस्टम को मजबूत करने के व्यापक पहलुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।

सत्र को संबोधित करते हुए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता के सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि हमें देश के युवाओं को अच्छे से अच्छा कौशल देना है। शिक्षा एवं उद्योगों को एक गहनता से जोड़ना हमारे मंत्रालय का संकल्प है।

डीपीआईआईटी के सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा कि पीएम गतिशक्ति मूल रूप से डिपार्टमेंटल साइलोज़ को तोड़ने के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है। पीएम गति शक्ति के इस अप्रोच और कनसेप्ट के साथ हम नेशनल मास्टर प्लान पर कार्य कर रहे हैं।

नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (एनसीवीईटी) के अध्यक्ष श्री एन.एस कलसी ने कहा कि कोविड के बाद जॉब रोल्स में बहुत अधिक बदलाव आया है। आने वाले समय में भारतीय युवाओं के लिए नए अवसर पैदा होंगे। नई तकनीक के द्वारा हमारे युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। एनसीवीटी विभिन्न उद्योगों के साथ भागीदारी करके रोजगार के अवसर बढ़ाने का प्रयास कर रही है। 21वीं सदी में डिजिटल स्किल बहुत जरूरी है। एनएसडीसी के सहयोग से 100, 120 और 90 घंटे के कोर्स चलाए जा रहे हैं ताकि युवाओं को कम समय में कुशल बनाया जा सके। युवाओं की स्किल, रीस्किल और अपस्किल करना समय की प्राथमिकता है।

श्री एन.एस कलसी ने यह भी कहा कर्मा प्रोजेक्ट के द्वारा विभिन्न इंडस्ट्री भागीदारों के सहयोग से शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म स्किल बेस्ड प्रोग्राम संचालित किए जा रहे हैं। एआईसीटीसी पहले ही इस योजना को लॉन्च कर चुका है जिसमें 2 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया विजन को साकार करने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने की दिशा में अग्रसर करेगी।

टीमलीज सर्विसेज के उपाध्यक्ष श्री मनीष सभरवाल ने कहा कि, इस बार के बजट में स्किल पर अधिक ध्यान दिया गया है। इंडिया के पास जमीन और वर्कफोर्स की कोई कमी नहीं है। इस वर्कफोर्स को कुशल बनाना ही हमारी प्राथमिकता है। आने वाले वर्षों में कौशल शिक्षा का महत्वपूर्ण भाग होगा।

सत्र में पर्यटन मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल श्री जी. कमलावर्धना राव ने कहा कि कोरोना का सबसे अधिक प्रभाव पर्यटन के क्षेत्र पर पड़ा है। पूरे विश्व में 33.34 करोड़ लोग पर्यटन सेक्टर से जुड़े हैं। पर्यटन सेक्टर एक डायनामिक सेक्टर है। डिजिटल टेक्नोलॉजी के कारण इस सेक्टर में नए अवसर हैं। वर्ष 2022 के बजट में ड्रोन शक्ति और पीएमगतिशक्ति की घोषणा से इस सेक्टर को बहुत अधिक ताक़त मिलने वाली है।

कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “पिछले पांच वर्षों में हमने कौशल विकास में जो हासिल किया है, उस पर आगे बढ़ने की जरूरत है। स्किल इंडिया के अंतर्गत किए जा रहे प्रयासों को शिक्षा के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है ताकि छात्र आसानी से स्किल इकोसिस्टम तक पहुंच सकें। स्थानीय और वैश्विक स्तर पर तेजी से बदलते उद्योगों की गतिशील मांगों के साथ तालमेल करते हुए रोजगार और उद्यमिता के परिणामों को हमारी कौशल पहलों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। हमें देश स्टैक ई-पोर्टल के लॉन्च के साथ ही कौशल विकास ढांचे को बढ़ावा देने में सक्षम होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत विश्व पटल पर प्रौद्योगिकी में अग्रणी बन जाए।

नागर विमानन मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अम्बर दुबे ने कहा कि आज ड्रोन संचालित करना बहुत आसान है। ड्रोन पायलट का लाइसेंस समाप्त कर दिया गया है। ड्रोन संचालन के किसी भी डीजीसीए अधिकृत ड्रोन स्कूल में जाया जा सकता है। इन स्कूलों में युवाओं को ड्रोन उडाने का प्रशिक्षण मिलेगा जिसके बाद वे आसानी से ड्रोन उड़ा सकते हैं। वर्तमान में ये ड्रोन स्कूल 14 हैं जो आने वाले 1-2 वर्षों में 1400 हो जाएँगे। इस समय एग्री स्किल काउंसिल, एविएशन स्किल काउंसिल और ड्रोन फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग के लिए एक साथ कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा जमीनी स्तर पर ड्रोन मेलों का आयोजन किया जाएगा।

श्री रविकांत यमार्थी, सीओओ, सेक्टर स्किल काउंसिल फॉर लॉजिस्टिक ने कहा कि यह देश में लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने के लिए एक गेम चेंजिंग पहल होगी। लॉजिस्टिक्स सेक्टर में दक्षता में किसी भी सुधार का परिणाम सीधे अन्य सेक्टर्स को फायदा पहुँचाएगा। श्री रचित भटनागर, सीईओ – एयरोस्पेस एंड एविएशन सेक्टर स्किल काउंसिल ने कहा कि हम 6 से 7 क्षेत्रों में ड्रोन संचालन में अपने स्किलिंग ईकोसिस्टम को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

इस सत्र में आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर अभय कारन्दिकर सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने विचार रखे। सत्र का संचालन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के सीईओ श्री वेद मणि तिवारी द्वारा किया गया।

error: Content is protected !!