बोलने से रोकने पर भड़कीं जयललिता, छोड़ी पीएम की बैठक

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में भाषण को बीच में रोके जाने पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता भड़क गई और बैठक का वॉकआउट कर दिया। जयललिता ने बोलने के लिए कम वक्त देने का आरोप लगाते हुए बैठक का वहिष्कार किया। बताया जाता है कि 10 मिनट खत्म होते ही घंटी बज गई और मुख्यमंत्री को बीच में रोक दिया गया। इतने वक्त में उनका सिर्फ एक तिमाई भाषण ही खत्म हुआ था।

कम वक्त दिए जाने पर पर गुस्साईं जयललिता बैठक से बाहर आ गई। उन्होंने कहा कि इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोलने का मौका देना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बैठक के शुरू में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और उन पर हो रहे अत्याचार पर बने कानूनों में संशोधन किया जाएगा। पीएम ने साफ कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। उनकी सुरक्षा की ओर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है जो महिलाओं की सुरक्षा पर बने कानून कारगार हो रहे हैं या नहीं इसकी देखरेख करेगी। इस बीच, उन्होंने देश के आर्थिक हालात पर चिंता जताई है। आर्थिक मंदी की वजह से देश की विकास दर में कमी आई है। इसके बावजूद देश में गरीबी में गिरावट देखी गई है। वहीं, 12वीं पंचवर्षीय योजना में विकास दर का लक्ष्य 8 फीसद रखा गया है।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों का असर 12वीं पंचवर्षीय योजना [2012-17] पर भी दिख रहा है। आम जन के हितों पर फोकस करते हुए सरकार ने अगले पांच साल के लिए सामाजिक विकास के एजेंडे को सबसे ऊपर कर लिया है। इसके लिए सरकार ने 12वीं योजना में सभी प्रमुख केंद्र प्रायोजित स्कीमों के आवंटन में भारी भरकम वृद्धि की है। गुरुवार को होने वाली राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में सरकार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ इस योजना के दस्तावेज पर चर्चा करेगी।

बैठक के लिए तैयार दस्तावेज के मुताबिक सरकार ने सभी प्रमुख 16 स्कीमों के आवंटन को 11वीं योजना के मुकाबले 123 फीसद बढ़ाया है। सूत्रों के मुताबिक सबसे ज्यादा राशि समेकित बाल विकास सेवा के लिए बढ़ाई गई है। पिछली योजना के मुकाबले 12वीं योजना में इसके आवंटन में 395.86 फीसद की बढ़ोतरी की गई है। 11वीं योजना में इस स्कीम के लिए सरकार ने 11,320 करोड़ रुपये रखे थे। 2012-17 तक चलने वाली पंचवर्षीय योजना में इस मद में 1,08,503 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार इन स्कीमों को ज्यादा आवंटन देकर उन राज्यों के विरोध की धार को कुंद करना चाहती है जो केंद्र से कम मदद का हवाला देकर उसकी आलोचना करते हैं। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश में जानलेवा बीमारियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से सरकार ने इस योजना में नेशनल हेल्थ मिशन पर खास जोर देने का फैसला किया है। इसके आवंटन में 12वीं योजना में 278.06 फीसद की वृद्धि की गई है। इसी तरह सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील, राजीव गांधी पेयजल व सफाई मिशन,जेएनएनयूआरएम और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी कई योजनाओं के आवंटन में सौ फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है।

योजना आयोग द्वारा तैयार दस्तावेज के मुताबिक केंद्र से राज्यों को दी जाने वाली मदद 11वीं योजना के मुकाबले बढ़ी तो है, मगर कुल बजट आवंटन में इस मदद का अनुपात पिछली योजना के बराबर ही रहा है। अलबत्ता, दस्तावेज यह अवश्य बताता है कि विकास की दौड़ में पिछड़ रहे बीमारू राज्य बीते पांच साल में छलांग लगाकर विकास की राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच गए हैं। 2005 तक 2.9 प्रतिशत की रफ्तार से विकास करने वाले बिहार की विकास दर 2010 में 10.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है। बिहार ने इस क्रम में गुजरात समेत पांच राज्यों को पीछे छोड़ा है। हालांकि, अभी भी केंद्र प्रायोजित स्कीमों के तहत मिलने वाली धनराशि के इस्तेमाल के मामले में बिहार कई राज्यों से पीछे है।

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