अफवाह की पता चली सच्चाई, पर तबाही के डर से करोड़ों की कमाई

साल 2012 में महाविनाश के अफवाह ने किसी की जेब खाली की तो दूसरे के लिए भरपूर कमाई का जरिया बनी। लेकिन एक बात तो समान थी वो है अफवाहों का डर। दुनिया के सात अरब लोगों का डर इंटरनेट पर बेचा गया। पूजा-पाठ पर भारी मात्रा में लोगों ने खर्च किया। आम लोगों की कौन कहें खास तक ने इन अफवाहों पर विश्वास करके खूब खरीदारी की। जीवन रक्षक उपाय खोजे गए। यहां तक कि वैज्ञानिकों ने बंकर बुक कराया। आपको बता दें कि इस तरह की अफवाह 1844 और 1845 में भी खूब चला।

21-12-12 दिन दुनिया खत्म होने की अफवाहों ने माहौल को गर्म कर रखा था। 5 हजार साल पुराना माया कैलेंडर समाप्त हो रहा था। इसी कैलेंडर को आधार बनाकर 21-12-12 को महाप्रलय की आशंका जताई जा रही थी।

गौरतलब है कि नासा ने अपनी वेबसाइट पर भी कहा था कि 2012 में दुनिया खत्म नहीं होगी। पिछले चार अरब साल से अधिक समय से पृथ्वी चल रही है और वैज्ञानिकों को 2012 से जुड़े किसी खतरे की जानकारी नहीं है। वैज्ञानिकों ने बताया कि सुमेर सभ्यता के समय खोजे गए एक संभावित ग्रह निबिरु के पृथ्वी से टकरा जाने की अफवाह से इस खबर को बल मिला था कि 2012 में दुनिया का खात्मा हो जाएगा। नासा ने यह भी स्पष्ट किया था कि माया सभ्यता का कैलंडर दिसंबर 2012 में नहीं खत्म हो रहा।

महाप्रलय के इस अफवाह की वजह से प्राचीन माया सभ्यता के क्षेत्रों जिनमें मेक्सिको, बेलीज, ग्वाटेमाला, होंडुरस और अल स्लवाडोर शामिल हैं में धरती के समाप्त होने की संभावना के कारण टूरिज्म भारी वृद्धि हुई थी। माया सभ्यता से जुड़े तमाम जगहों पर खूब आवाजाही हुई।

रिपोर्टो के मुताबिक यहां साउंड एंड लाइट शो, पारंपरिक कार्यक्त्रम और गोष्ठियों के आयोजन रखे गए ताकि लोगों को माया सभ्यता के बारे में बताया जा सके। लेकिन चहल-पहल सिर्फ माया सभ्यता से जुड़े स्थलों पर ही नहीं रही बल्कि दुनियाभर में धार्मिक जगहों पर लोगों का जमावड़ा हुआ।

मीडिया में आई रिपोर्टो के मुताबिक ब्राजील के गांव आल्टो पारायसो में प्रलय में बिश्वास रखने वाले लोगों के भारी तादाद में पहुंचें। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां रहस्यमयी शक्तियां हैं जो सालों से प्रलय का इंतजार कर रही हैं। उधर अब 2036 में प्रलय आने की खबरें इंटरनेट पर आने लगी हैं।

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