भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने विश्व बैंक के साथ प्रथम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की घोषणा की

नयी दिल्ली, मार्च, 2023: कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने विश्व बैंक के साथ मिलकर राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) के तहत भारत में “ब्लेंडेड लर्निंग इकोसिस्टम फॉर हायर एजुकेशन इन एग्रिकल्चर” थीम पर प्रथम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन करने की घोषणा की है। आईसीएआर- आईएएसआरआई (इंडियन एग्रिकल्चरल स्टैटिसटिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट) की मेज़बानी में नयी दिल्ली में 21 से 23 मार्च तक होने वाला यह तीन दिवसीय आयोजन, उच्च कृषि शिक्षा के लिए अत्याधुनिक मिश्रित शिक्षा प्रणाली के विकास की दिशा में गठबंधन को सहयोग प्रदान करने वाला एक बहु साझीदार वैश्विक मंच है।

इस सम्मेलन का उद्देश्य अकादमिक क्षेत्र, उद्योग, सरकार और बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय संगठनों से साझीदारों का एक वैश्विक पारितंत्र विकसित करने की सुविधा प्रदान करना है जहां ये संगठन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) के तहत रेसिलिएंट एग्रिकल्चरल एजुकेशन सिस्टम (आरएईएस) के सभी पहलुओं की डिजाइन एवं पूर्ण रूप से क्रियान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि उपलब्ध कराएंगे। एनएएचईपी एक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम, कंटेंट रिपोसिटरी और प्रणालीगत क्षमता निर्माण की परियोजना है। इस सम्मेलन में परिचर्चा के अलावा कृषि एवं मिश्रित ज्ञान के क्षेत्र में विभिन्न सेवाओं और पेशकश की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

इस सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्घाटन कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा किया जाएगा। एआईसीटीई, आईआईटी, आईआरआरई जैसे वैश्विक संस्थानों के साथ ही विभिन्न मंत्रालय भी इसमें प्रतिभाग करेंगे। इस सम्मेलन के प्रमुख वक्ताओं में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉक्टर हिमांशु पाठक, आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉक्टर आरसी अग्रवाल और विश्व बैंक के कंट्री हेड डॉक्टर अगस्ते तानो कोउआमे आदि शामिल हैं।

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर, कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के महानिदेशक डॉक्टर हिमांशु पाठक ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक, भारत में कृषि क्षेत्र, अर्थव्यवस्था में 17-18 प्रतिशत का सकल मूल्य वर्धित योगदान करता है और 40 प्रतिशत से अधिक कार्यबल को इसमें रोजगार मिला हुआ है। किसान फसल स्वास्थ्य और उत्पादन सुधारने एवं उस पर नजर रखने के लिए नयी प्रौद्योगिकियां अपना रहे हैं। मिश्रित सीख को सही मायने में अपनाने में जबरदस्त संभावना है और यह कृषि अर्थव्यवस्था को नयी ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।”

आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉक्टर आरसी अग्रवाल के मुताबिक, “इस सम्मेलन का ध्येय रिमोट लर्निंग, डिजिटल शिक्षा और मिश्रित शिक्षा प्रणालियों के क्षेत्र में काम कर रही विभिन्न क्रियान्वयन एजेंसियों के बीच गठबंधन को मजबूत करना है। यह एनएएचईपी के तहत रेसिलिएंट एग्रिकल्चरल एजुकेशन सिस्टम (आरएईएस) को लागू करने में तेजी लाने के लिए डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसे महती कार्यक्रमों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में भी मदद करेगा।”

इस सम्मेलन का आयोजन मिश्रित अध्यापन-अध्ययन, मिश्रित सीख के लिए प्रौद्योगिकियों, ब्लेंडेड लर्निंग इकोसिस्टम में टिकाऊपन, ब्लेंडेड टीचिंग-लर्निंग इकोसिस्टम पर नजर रखने के लिए भागीदारों की क्षमता का निर्माण और कृषि शिक्षा के लिए समकालीन पाठ्यक्रम आदि क्षेत्रों विषयों पर केंद्रित रहेगा। आईसीएआर द्वारा वित्त वर्ष 2017-18 में पांच वर्षों के लिए कुल 16.5 करोड़ डॉलर की लागत से एनएएचईपी को तैयार किया गया है जिसमें आधा खर्च विश्व बैंक और आधा खर्च भारत सरकार वहन करेगी। इसे देश में राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए चलाया गया है।

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