नई दिल्ली, जून 2023: साल 2021-2023 के दौरान आर्कटिक काउंसिल की रूस की अध्यक्षता के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की योजना के तहत 11-12 मई को आर्कान्जेस्क में ‘कॉन्फ्रेंस ऑन बायोरिसोर्सेज एंड फिशरीज इन द आर्कटिक’ का आयोजन हुआ। इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वालों ने आर्कटिक में काम करने और जैविक संसाधनों के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं, फिशरीज इंडस्ट्री के विकास के साथ-साथ समुद्र में मछली पकड़ने के पारंपरिक तरीके के विनियमन पर चर्चा की।
रूस के विदेश मंत्रालय में अम्बैस्डर-एट-लार्ज निकोलय कोरचुनोव ने कहा, “आर्कटिक जोन में बुनियादी ढांचे और निवेश से जुड़ी प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन के समय यह अहम है कि हम समुद्री संसाधनों के जिम्मेदार, टिकाऊ प्रबंधन के सिद्धांतों का पालन करें। पारंपरिक मुख्य आर्थिक गतिविधियों में शामिल होने की वजह से मत्स्य पालन इस इलाके में रहने वाले लोगों और इन सबसे ऊपर मूल निवासियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जैव संसाधनों के संरक्षण एवं उनके रखरखाव के साथ-साथ आर्कटिक इकोसिस्टम की निगरानी रखना मुख्य लक्ष्य है। आर्कटिक कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है, जिनमें से एक जलवायु एवं पर्यावरण के एजेंडा से संबंधित है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक प्रक्रिया में अनियंत्रित मानवीय हस्तक्षेप का आर्कटिक क्षेत्र के पूरे इकोसिस्टम पर काफी नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।”
कॉन्फ्रेंस के प्रमुख कार्यक्रमों में ‘एक्वेटिक बायोलॉजिकल रिसोर्सेज। फिशरीज एंड स्टॉक कंजर्वेशन इन द आर्कटिक’ पर प्लेनरी सेशन का आयोजन भी शामिल था। इस सत्र में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने उत्तरी अक्षांशों में मत्स्य पालन उद्योग की वर्तमान स्थिति के विश्लेषण, जलवायु परिवर्तन की वजह से मत्स्य पालन क्षेत्र में पैदा हुए नए मौकों के साथ-साथ वैज्ञानिक डेटा के आधार पर इन गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन पर चर्चा की। न्यूज एजेंसी टीएएसएस की आधिकारिक प्रवक्ता विक्टोरिया क्लैडिेएवा ने इस सत्र का संचालन किया।
फेडरल एजेंसी फॉर फिशरीज के डायरेक्टर इल्या शस्ताकोव ने कहा, “हमने हाल में काफी अधिक वैज्ञानिक शोध किए हैं, हमारे वैज्ञानिक पोत ने दो बार ट्रांस-ऑर्कटिक को पार किया और विशेषज्ञों ने पूरे आर्कटिक क्षेत्र के मछली के भंडारण का अध्ययन किया। जलवायु परिवर्तन हो रहा है और लापतेव सागर एवं अन्य आर्कटिक सागरों सहित भंडारणों के वितरण में हो रहे बदलावों पर नजर रखना जरूरी है। हमारे द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से इस बात का अधिक सटीक आकलन करने में मदद मिलेगी कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आर्कटिक में क्या होने वाला है।”
कॉन्फ्रेंस में आर्कटिक में मछलियों के भंडार के अध्ययन और प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर बात हुई। शस्ताकोव ने कहा, “भूराजनीतिक परिस्थितियों में हो रहे बदलावों को नजर में रखते हुए ह मौकों की तलाश करेंगे और ऐसे देशों के साथ सहयोग करेंगे जिनके साथ हमने वैज्ञानिक शोध को लेकर समझौते किए हैं। हम उनके साथ मिलकर नेगोशिएट करेंगे और उपयुक्त समाधान निकालेंगे। उदाहरण के लिए फिशरीज सेक्टर में चीन हमारा पुराना साझीदार है और हमारे प्रमुख कारोबारी पार्टनर्स में से एक है। सुदूर पूर्व में हमने मत्स्य पालन को लेकर चीन के साथ कई करार किए हैं। साझा हितों की वजह से फिशिंग इंडस्ट्री हमेशा राजनीति से परे रही है। याद कीजिए कि जब 1970 के दशक में बेरिंट सागर के भंडार लगभग नष्ट हो गए थे तब यूएसएसआर और नॉर्वे ने बेरिंट और नॉर्वे के समुद्रों के साझा प्रबंधन के लिए एक करार पर हस्ताक्षर किए थे। इसके परिणामस्वरूप पूरे इकोसिस्टम को बचा लिया गया था और उसके बाद अन्य देशों ने उस तंत्र (ज्वाइंट रशियन-नॉर्वेइयन फिशरीज कमीशन) को मछलियों के भंडार के प्रबंधन की सबसे अच्छी प्रणालियों में से एक माना था। मेरे ख्याल से आर्कटिक में समान तरीके की प्रणाली होनी चाहिए। आर्कटिक में हम अन्य देशों के साथ नेगोशिएट करने और काम करने की कोशिश करेंगे। लेकिन स्वाभाविक रूप से यह समान शर्तों पर आधारित होना चाहिए। यह भंडार को बचाने और उसे बढ़ाने का एकमात्र रास्ता है।”
कॉन्फ्रेंस के दौरान सात राउंडटेबल मीटिंग और एक सेमिनार का आयोजन भी हुआ जिसमें विशेषज्ञों ने आर्कटिक में फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के तरीकों के साथ-साथ इकोसिस्टम पर नजर बनाए रखने और उसके संरक्षण पर चर्चा की एवं आर्कटिक जोन में एनाड्रोमस मछली की प्रजातियों के भंडार का आकलन किया एवं क्षेत्र की कंपनियों को विशेषज्ञ उपलब्ध कराने के लिए एक एचआर पॉलिसी पर चर्चा की। ‘इंटरनेशनल सेमिनार ऑन द डेवलपमेंट ऑफ एक्वाकल्चर इन द आर्कटिक’ के दौरान विशेषज्ञों ने वाणिज्यक उत्पादों के स्थायी उत्पादन के लिए जरूरी सीमा तक रशियन फीड एवं प्लांटिंग सामग्री के उत्पादन के लिए फैसिलिटी स्थापित करने के उपायों पर चर्चा की।
आर्कान्जेस्क क्षेत्र के गवर्नर अलेक्जेंडर त्सिबुलस्की ने कहा, “निकट भविष्य में उत्तरी सागरों में मौजूद संभावनाएं जलीय जैव संसाधन की पकड़ और मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में नजर आएंगी जिन्हें वाणिज्य से जोड़ा जा सकेगा। हमें इसमें संभावनाएं नजर आ रही हैं। नॉर्दर्न सी रूट निकट भविष्य में सभी उत्तरी क्षेत्रों के विकास का वाहक बनेगा।”
कॉन्फ्रेंस में प्रमुख मंत्रालयों, एजेंसियों और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ वैज्ञानिक एवं कारोबारी समुदाय के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
पहले ‘कॉन्फ्रेंस ऑन बायोरिसोर्सेज एंड फिशरीज इन द आर्कटिक’ का आयोजन फेडरल एजेंसी फॉर फिशरीज, रूस के सुदूर पूर्व एवं आर्कटिक क्षेत्र के विकास से जुड़े मंत्रालय और आर्कान्जेस्क क्षेत्र की सरकार ने किया।
आर्कटिक काउंसिल की अध्यक्षता के दौरान रूस ने आर्कटिक के वातावरण को बचाने और रिस्टोर करने, जलवायु अध्ययन करने, पर्यावरण से जुड़ी आपात स्थितियों को रोकने के साथ-साथ पर्यावरणीय सुरक्षा को मजबूती देने एवं क्षेत्र की मौजूदा एवं भविष्य की पीढ़ियों की पर्यावरणीय एवं सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के लिए आर्कटिक क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के सतत इस्तेमाल को लेकर समन्वित उपायों पर खास ध्यान दिया। आर्कटिक के वनस्पतियों और जीवों की विविधता को बचाने एवं उन्हें रिस्टोर करने के साथ-साथ जैव प्रजातियों एवं उनकी रिहाइश को बचाने पर रूस खास तौर पर गौर करता है।