दिल्ली गैंगरेप मामला: जवाब देने के बजाय फाइल घुमा रही सरकार

दिल्ली गैंगरेप की भेंट चढ़ी फिजियोथेरेपिस्ट के स्वास्थ्य को लेकर आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी की फाइल अभी तक विभागों की टेबल पर ही घूम रही है। नोएडा निवासी देवाशीष भट्टाचार्य ने गृह मंत्रालय में सूचना के अधिकार के प्रावधान-7 के तहत पीडित छात्रा के जीवन और स्वतंत्रता की चिंता का हवाला देते हुए जानकारी मांगी थी जिसका जवाब 48 घंटे के अंदर देने का प्रावधान है। विभागों की लापरवाही का आलम यह है कि अभी तक उन्हें सटीक जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है।

आरटीआइ के जवाब में गृह मंत्रालय ने लगभग छह दिनों बाद भट्टाचार्य को सिर्फ इतना बताया कि उसकी फाइल स्वास्थ्य मंत्रालय को भेज दी गई। भट्टाचार्य ने छात्रा की मौत के बाद 29 दिसंबर को एक आरटीआइ स्वास्थ्य मंत्रालय में लगाई। इसमें उन्होंने पूछा कि जब पीड़िता के स्वास्थ पर स्वास्थ्य मंत्रालय तथा स्वास्थ्य विभाग हर मिनट जानकारी रख रहा था तो ऐसे में आखिर क्या वजह थी, जिससे 48 घंटे बाद भी जवाब नहीं दिया गया। दूसरे सवाल में उन्होंने पूछा कि जब सामान्य श्रेणी के सवालों के जवाब देने की प्रक्रिया पांच दिनों के अंदर शुरू कर देने का प्रावधान है तो किस वजह से स्वास्थ्य मंत्रालय को इसे संबंधित विभाग में भेजने में छह दिन लग गए। जबकि यह सवाल आरटीआई के जिस प्रावधान के तहत सवाल पूछे गए थे, उसमें 48 घंटे के अंदर जवाब देना अनिवार्य है।

तीसरे सवाल में उन्होंने पूछा कि आखिर क्या वजह है कि सरकार ईमानदारी से इस सवाल का जवाब नहीं दे रही है और इस मामले में जानकारी देने में उसे कहां परेशानी हो रही है। यदि सरकार पीड़िता को सच में बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई है तो डॉक्टरों के नाम बताने में उसे कहां परेशानी हो रही है। हैरत की बात यह है कि भट्टाचार्य द्वारा ये सवाल पूछे हुए 384 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है।

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