समर्थन के लिए सोनिया से आज मिलेंगे जेएमएम नेता

मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के इस्तीफे और विधानसभा भंग करने की सिफारिश के बाद राज्य झारखंड में नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने की संभावना जताई जा रही है। इस बाबत झामुमो नेता हेमंत सोरेन मंगलवार रात दिल्ली पहुंच गए हैं और आज वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं।

इससे पहले झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने कहा कि वह प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे और उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस समर्थन करेगी। मंगलवार को राजभवन में झामुमो की ओर से अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापसी का पत्र राज्यपाल को सौंपने के बाद बातचीत में सोरेन ने यह बात कही।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बालमूचु ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में सत्ता के पीछे नहीं भाग रही है। हां, अगर झामुमो सरकार बनाना चाहेगी तो उसका साथ देंगे। बालमूचु ने मुंडा सरकार गिराने में कांग्रेस की भूमिका के बारे में पूछने पर कहा कि यह अनर्गल आरोप है। मुंडा सरकार गठबंधन सहयोगियों के आपसी विवाद के कारण गिर गई। हां, यदि झामुमो नई सरकार के लिए उचित प्रस्ताव लेकर आती है तो कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड में झामुमो को समर्थन देने से कांग्रेस को कोई परहेज नहीं है, क्योंकि केंद्र वह संप्रग सरकार के साथ है।

झारखंड का झमेला

अपनी स्थापना के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहे झारखंड में एक बार फिर सियासी संकट गहरा गया है। वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर बने झारखंड राज्य में पिछले 12 वर्षो के दौरान आठ सरकारें धराशायी हो चुकी हैं :

मुख्यमंत्री पार्टी अवधि दिन

बाबूलाल मरांडी भाजपा 15 नवंबर 2000-17 मार्च 2003 852

अर्जुन मुंडा भाजपा 18 मार्च 2003-दो मार्च 2005 715

शिबू सोरेन झामुमो दो मार्च 2005-12 मार्च 2005 10

अर्जुन मुंडा भाजपा 12 मार्च 2005-14 सितंबर 2006 555

मधु कोड़ा निर्दलीय 14 सितंबर 2006-27 अगस्त 2008 709

शिबू सोरेन झामुमो 27 अगस्त 2008-18 जनवरी 2009 144

राष्ट्रपति शासन – 19 जनवरी 2009-29 दिसंबर 2009 344

शिबू सोरेन झामुमो 30 दिसंबर 2009-31 मई 2010 152

राष्ट्रपति शासन – एक जून 2010-11 सितंबर 2010, 102

अर्जुन मुंडा भाजपा 11 सितंबर 2010-अब तक 845

किस्सा कुर्सी का :

– प्रदेश में अब तक आठ सरकारें बन चुकी हैं और दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है

– राज्य सत्ता की धुरी ज्यादातर भाजपा और झामुमो के बीच घूमती रही है

– अर्जुन मुंडा और शिबू सोरेन दोनों एक दूसरे को तीन-तीन बार सियासी पटखनी दे चुके हैं

सियासी उठा-पठक :

बाबूलाल मरांडी

वर्ष 2000 में प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। 2003 में राजग सरकार की सहयोगी जदयू नेताओं ने मरांडी के ऊपर कुशासन का आरोप लगाकर भाजपा नेतृत्व से उनको हटाने की मांग की। जदयू नेता लालचंद महतो की बिजली बोर्ड चेयरमैन राजीव रंजन को हटाने की मांग के साथ विद्रोह शुरू हुआ था। नतीजतन बाबूलाल मरांडी को इस्तीफा देना पड़ा और अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने। 2006 में मरांडी ने भाजपा से अलग होकर झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक (जेवीएम पी) का गठन किया।

शिबू सोरेन

राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन कभी भी छह महीने से अधिक मुख्यमंत्री नहीं रह सके। पहली बार 2005 के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद संख्या बल में कम होने के बावजूद राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने उनको सरकार बनाने का आमंत्रण दिया। सोरेन ने दावा किया कि वह सदन में बहुमत साबित कर देंगे। 10 दिनों बाद बहुमत का जुगाड़ नहीं होने पर उनको इस्तीफा देना पड़ा। वह राज्य की अब तक की सबसे अल्पकालिक सरकार है।

दूसरी बार, 2008 में जब वह मुख्यमंत्री बने तो तमार उपचुनाव में गोपाल कृष्ण पातर से हारने के कारण उनको कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसी तरह तीसरी बार 2009 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा में संप्रग सरकार के पक्ष में वोट किया। नतीजतन भाजपा द्वारा समर्थन खींचने के बाद उनको पदत्याग करना पड़ा

अर्जुन मुंडा

तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इससे पहले 2005 में जदयू और निर्दलीयों के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा के नेतृत्व में निर्दलीयों ने उनसे समर्थन वापस ले लिया था, जिसके चलते उनको इस्तीफा देना पड़ा था। दरअसल कोड़ा इस बात से नाराज थे कि पश्चिमी सिंहभूमि में उनके निर्वाचन क्षेत्र में सड़क ठीक कराने के मसले पर मुख्यमंत्री ध्यान नहीं दे रहे थे।

मधु कोड़ा

2006 में किसी राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले तीसरे निर्दलीय विधायक थे। इससे पहले 1971 में ओडिशा में निर्दलीय विधायक विश्वनाथ दास एवं 2002 में एफए खोंगलम, मेघालय के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। फिलहाल कोड़ा भ्रष्टाचार के कई मामलों में जेल में कैद हैं।

विधानसभा चुनाव नतीजे, कुल सीटें-81

2000 :

पार्टी, सीटें

भाजपा, 32

झामुमो, 12

कांग्रेस, 11

राजद, 9

जदयू, 8

अन्य, 9

2005 :

पार्टी, सीटें

भाजपा, 30

झामुमो, 17

कांग्रेस, 9

राजद, 7

जदयू, 6

अन्य, 12

2009 :

पार्टी, सीटें

भाजपा, 18

झामुमो, 18

कांग्रेस, 13

जेवीएम (पी), 11

एजेएसयू, 6

राजद, 5

जदयू, 2

अन्य, 8

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