सामयिक परिवेश ने मनाया 18वां स्थापना दिवस

समाज को मानवता से सींचने की आवश्यकता है : ममता मेहरोत्रा
सांस्कृतिक साहित्यिक संस्था सामयिक परिवेश के 18वें स्थापना दिवस के अवसर पर सर्वे भवन में कवि गोष्ठी सह पत्रिका विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन सविता राज ने किया। देश के प्रसिद्ध गजलकार डॉ कासिम खुर्शीद, युवा गजलकार समीर परिमल, साहित्यकार मुकेश महान, लोक गायिका डॉक्टर नीतू कुमारी नवगीत और पत्रिका की कार्यकारी संपादक सविता राज ने सामयिक परिवेश के नवीनतम अंक का विमोचन किया। इस अवसर पर सामयिक परिवेश की संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता मेहरोत्रा ने कहा कि हर वर्ष हमें निरंतर आगे बढ़ने की, नित नया कुछ न कुछ सीखने की सीख देता है। बीते वर्ष में हमने जो भी किया, सीखा, सफल हुए या असफल उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ना है। समाज से नकारात्मक सोच को मिटाना चाहिए। नफरत से यह संसार नहीं चल सकता है। लोगो को इंसानियत दिखाते हुए इन सबसे ऊपर उठकर प्रेम सन्देश समाज में फैलाना चाहिए। किसी व्यक्ति को धर्म, जाति इत्यादि के नाम पर लोगो में भेदभाव नहीं करना चाहिए। समाज को मानवता से सींचने की आवश्यकता है।
मनुष्य को सभी प्राणियों की मदद करनी चाहिए। इससे समाज में अच्छे विचार पनपते है। लोगो को आत्मविश्लेषण कर मानवता के पथ पर अग्रसर होना चाहिए। दूसरो को तकलीफ में देखकर जिन्हे तकलीफ हो वही मानवता कहलाती है।जिन्दगी में ऐसे कुछ काम करे कि लोग उसे याद रखें। जीवन में बहुत लोगो के पास धन और पैसे होते है। उससे वह गरीब और बेसहारा लोगो की मदद कर सकते है। लोगो को दुनिया में मानवता व्यक्त करने के लिए नेक काम करने चाहिए, ताकि लोग उन्हें याद रखे।इंसान जब जाता है तो किसी भी तरह का वस्तु या पैसे अपने संग लेकर नहीं जाता है। संसार में मनुष्य को अपने बड़ो से अच्छा बर्ताव करना चाहिए। बड़ो का सम्मान और छोटो से प्यार करें। दूसरों की सहायता करकेअच्छे इंसान बनें। मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह प्यासे को पानी पिलाये और भूखे को भोजन करवाए , यह मानवता की पहचान है। दुनिया में कई लोग ऐसे है जिन्होंने अच्छे और भले काम किये है, उनके काम को आज भी याद किया जाता है।महात्मा गाँधी और नेता जी ने देश को स्वतंत्र करने के लिए कई बलिदान दिए थे। उन्होंने अपनी इच्छाएं छोड़ लोगो के बारें में सोचा और आज़ादी के लिए लड़े। यह मानवता की पहचान है
पत्रिका के विमोचन के बाद कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें कासिम खुर्शीद,मुकेश महान,समीर परिमल,सविता राज,मीना कुमारी परिहार,सुधा पाण्डेय,प्रतिभा रानी,नीतू नवगीत,अनुपमा सिंह,अरविंद अकेला, सुनील कुमार उपाध्याय, विद्यापति चौधरी, रूबी भूषण, विनय कुमार,अविनाश बंधू,डॉ. राकेश मिश्रा,डॉ. वंदना,विभा सहित अनेक कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया ।

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