कश्मीर पर है केवल भारत का हक, पाक करता बेवजह किचकिच

गणतंत्र दिवस के मौके पर हम एक सीरीज चला रहे हैं जिसके तहत हम सैन्य शक्ति, इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी अनसुनी कहानियां बताएंगे। इस सीरीज के तहत आज हम आपको कश्मीर विवाद पर भारत का पक्ष बता रहे हैं। जम्मू-कश्मीर हमारा है और हमारा ही रहना चाहिए क्योंकि कश्मीरी अवाम ने भी भारत के साथ दशकों से रहना पसंद किया है।

कश्मीर विवाद ने जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूरे देश के लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है। इस विवाद ने कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष युद्ध दिए। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की अवाम इस खून खराबे से त्रस्त है। चलिए हम आपको कुछ तथ्यों के साथ तकरें के जरिए बता रहे हैं कि कश्मीर भारत का है।

पाक अधिकृत कश्मीर, जी हां यह वही क्षेत्र है जिस पर वास्तविक रुप से भारत का हक है लेकिन वह पाकिस्तान के कब्जे में है। आज तक पाकिस्तान ने अपने द्वारा अधिकृत कश्मीरी भूभाग खाली नहीं किया है, बल्कि कुटिलतापूर्वक वहां कबाइलियों को बसा दिया है।

-जम्मू-कश्मीर की लोकतांत्रिक और निर्वाचित संविधान-सभा ने 1957 में एकमत से महाराजा द्वारा कश्मीर के भारत में विलय के निर्णय को स्वीकृति दे दी थी। यह पूरी दुनिया के लिए कश्मीरी अवाम का पैगाम था जिसके बाद भी पाक का बदरंग राग आज तक जारी है।

-आज तक भारतीय संविधान के तहत जम्मू कश्मीर में अनेक चुनाव हुए। इन चुनावों में कश्मीरी जनता ने वोट डालकर एक तरह से भारत में अपने स्थायी विलय को ही मान्यता दी है। जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनैतिक दल भी पाकिस्तान के धर्म पर आधारित दो-राष्ट्र सिद्धान्त को नहीं मानते। इसके बावजूद पाकिस्तान गाल बजाता रहता है।

-कश्मीर का भारत में विलय ब्रिटिश भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के तहत कानूनी तौर पर भी सही था। भारत की सहृदयता तो देखिए राज्य को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्तता दे रखा है। अब आप ही बताएं कानूनी रुप से और कश्मीरी अवाम की चाहत भी, भारत के साथ रहने की है तो फिर पाकिस्तान के भेजे में यह बात क्यों नहीं घुसती है?

गौरतलब है कि पाकिस्तान पीओके में लगातार भारत के खिलाफ आतंकी शिविर चला रहा है। कश्मीरी युवकों को भी बरगलाता रहा है।

आपकी राय। हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ कश्मीर का पाकिस्तान राग अलापता है। आज भी पाकिस्तान के कब्जे में भारतीय क्षेत्र है। हमारी सरकार को अपने क्षेत्र को वापस लेने के लिए अब कौन से कदम उठाने चाहिए? इस विवाद के समा धान का क्या जरिया होना चाहिए? संयमित भाषा में अपनी राय दें।

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