जस्टिस वर्मा ने दिल्ली पुलिस की नैतिकता पर उठाए सवाल

दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद कानून में बदलाव के लिए बनी कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस जे एस वर्मा ने कानून-व्यवस्था पर तो गंभीर सवाल उठाए ही हैं, साथ ही दिल्ली की सुरक्षा का दायित्व संभालने वालों के रवैये पर आश्चर्य जताया है। जस्टिस वर्मा इस बात से हैरान हैं कि घटना के बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार जब मीडिया से मुखातिब हुए तो उनके चेहरे गंभीरता के बजाय हंसी थी।

जस्टिस वर्मा ने नैतिकता के सवाल को एक उदाहरण के जरिए उठाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि एक हादसे के बाद देश के पूर्व रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपने पद से इस्तीफा यह कहते हुए दे दिया कि वह इस पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं, जबकि उस हादसे से लिए वह सीधे-सीधे जिम्मेदार नहीं थे। लेकिन दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार की जिम्मेदारी होते हुए भी उन्होंने नैतिकता नहीं दिखाई।

जस्टिस वर्मा ने साथ ही केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह के रवैये पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि दोनों अधिकारियों का रवैया एक जैसा लगा। प्रेस कांफ्रेंस में दोनों अधिकारियों की तस्वीरें हंसते हुए दिखी। जस्टिस वर्मा का कहना है कि जिस वक्त दोनों को वारदात पर खेद जताना चाहिए था और पीड़िता परिवार के प्रति सहानुभूति जतानी चाहिए थी, वैसे वक्त वे प्रश्न मुद्रा में थे। जस्टिस वर्मा ने कहा कि गृह सचिव ने आरोपियों के पकड़ने को लेकर जिस वक्त दिल्ली पुलिस की पीठ थपथपाई वह सही वक्त नहीं था।

जस्टिस वर्मा ने इसके साथ ही गैंगरेप की घटना के बाद दिल्ली पुलिस के रवैये की भी खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर पुलिस ने जिस तरह कार्रवाई की वह निंदनीय है। जस्टिस वर्मा ने कहा कि गैंगरेप के खिलाफ लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, इसकी तारीफ की बजाए कार्रवाई करना मूर्खतापूर्ण फैसला था। पुलिस प्रदर्शनकारियों को उठाए गए कदमों की जानकारी दे सकती थी लेकिन ऐसा करने की बजाय प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें, आंसू गैस के गोले और लाठियां बरसाई गई। जस्टिस वर्मा ने इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक करार दिया।

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