एक की रियायत देकर तीन रुपये वसूल रहा रेलवे

रेजगारी नहीं होने पर दुकानदार कम से कम एक टॉफी तो पकड़ाता है, लेकिन रेलवे बगैर कुछ दिए ही आपकी जेब ढीली करने पर तुला है। आलम यह है कि यदि टिकट सात रुपये का है और आपने 10 रुपये दिए हैं तो अब तीन रुपये से संतोष कर लीजिए। चौंकिए नहीं, पिछले एक सप्ताह से रेलवे यात्रियों से इसी प्रकार करोड़ों की कमाई कर रहा है।

रेल भाड़ा बढ़ाते समय रेलमंत्री पवन बंसल ने जो आंकड़े पेश किए वे चुभने वाले नहीं थे, लेकिन पर्दे के पीछे से रेजगारी के नाम पर सात-आठ रुपये के बदले 10 रुपये वसूलने की जो व्यवस्था की गई है, उसका काफी असर यात्रियों की जेब पर पड़ रहा है। हालांकि यदि आपकी यात्रा टिकट छह रुपये का है तो पांच रुपये से भी काम चल सकता है। क्योंकि रेल प्रशासन ने एक रुपये की रियायत देने की व्यवस्था भी की है। लेकिन रेल यात्रियों को तीन रुपये की वूसली पर एक रुपये की रियायत भारी पड़ रही है।

आरक्षित यात्रा टिकट पर सफर करने वाले यात्रियों की जेब भले ही कम कटे, लेकिन दैनिक यात्रियों पर तो यह आपदा से कम नहीं। उनका महीने का 180-200 रुपये का खर्च बढ़ गया है। दैनिक यात्री संघ, शाहदरा के अध्यक्ष नितिन नरुला कहते हैं कि रेलवे की नीति लोगों को अर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाली है। यात्रा किराए में भी बढ़ोतरी की गई और अब रेजगारी के नाम अतिरिक्त पैसे भी वसूले जा रहे हैं। हमलोग जल्द ही रेलमंत्री से मिलकर इस मामले में शिकायत करने की तैयार कर रहे हैं। वहीं दैनिक यात्री संघ, पालम के सचिव बालकिशन अमरसरिया कहते हैं कि रेल प्रशासन सुविधाएं तो बढ़ा नहीं रहा है, लेकिन यात्रियों से पैसे वसूलने की नई तरकीब जरूर निकाल रही है।

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