चीन के बांध निर्माण पर भारत ने अपनाया कड़ा रुख

चीन की ब्रह्मापुत्र नदी पर तीन और बांध बनाने की योजना पर भारत ने कड़े रुख अख्तियार कर लिए हैं। भारत ने चीन से कहा है कि वह भारत को विश्वास में लिए बिना इस तरह के एकतरफा कदम कैसे उठा सकता है। भारत ने पहली बार इस मामले में दृढ़ता दिखाते हुए चीन से कहा है कि नदी के ऊपरी भाग में किसी तरह के निर्माण कार्य से पहले इस बात का खयाल रखना चाहिए कि उसे किसी तरह का नुकसान न हो।

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि भारत ब्रह्मापुत्र नदी पर होने वाली हर गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हुए है। भारत सरकार ने अपने विचारों और अपनी चिंताओं से चीन के शीर्ष नेतृत्व को अवगत करा दिया है। चीन ने आश्वस्त किया है कि नदी के ऊपरी भाग में किसी भी गतिविधि से भारतीय हितों को नुकसान नहीं पहुंचेगा।

चीन ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्रह्मापुत्र पर तीन और हाइड्रो पावर स्टेशन बनाने की योजना बनाई है। 510 मेगावॉट जलविद्युत संयंत्र लगाने के लिए वह इस नदी एक बांध पहले से ही बना रहा है। ये तीनों उससे भी बड़े हैं। समस्या यह है कि चीन ने यह ऐलान भारत से बातचीत किए बिना ही कर दिया। चीन से होकर भारत और बांग्लादेश जाने वाली ब्रह्मापुत्र नदी में को लेकर भारत की चिंताएं गलत नहीं हैं। यदि चीन ने इस पर कई डैम बना दिए तो भारतीय क्षेत्र अरुणाचल और असम में भारी बाढ़ या सूखे का खतरा रहेगा।

गौरतलब है कि पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था, चीन ने हमें आश्वस्त किया है कि वह अपने विकास कार्यो के लिए नदियों में ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे भारतीय हितों को नुकसान पहुंचे। लेकिन हाल में चीन की नदी पर गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं। वह पानी के बहाव का रुख बदलने की भी योजना बना रहा है। समस्या यह है कि चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनों को मानने से कई बार इन्कार कर चुका है। भारत और चीन के बीच पानी को लेकर कोई समझौता भी नहीं है और न ही चीन इस पर बात करना चाहता है।

हालांकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ब्रह्मापुत्र में ज्यादातर पानी भारत से ही मिलता है। चीन अगर डैम बनाता है तो उससे हमें ज्यादा नुकसान नहीं होगा। भारत भी अरुणाचल प्रदेश और असम में ब्रह्मापुत्र नदी पर डैम बनाने की सोच रहा है, लेकिन ऐसा करने से बांग्लादेश को समस्या हो सकती है। भारत इस मामले में ढाका से बातचीत कर रहा है। लेकिन इस तरह की बातचीत भारत और चीन के बीच नहीं होती है।

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