कुंभ में राजनाथ ने चला राम कार्ड

गठबंधन या हिंदुत्व.। भाजपा ने रास्ता ढूंढ लिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा हिंदुत्व और विकास के गठबंधन के सहारे सत्ता में आने की कोशिश करेगी। विकास के माडल राजग शासित राज्य होंगे। इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा कि हिंदू आस्था से जुड़े मुद्दों से पार्टी दूर होती न दिखे। बुधवार को कुंभ नगर में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का संकल्प दोहराकर तो दिल्ली में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास का एजेंडा दिखाकर इसका संकेत दे दिया है। अगले हफ्ते जब मोदी संगम में डुबकी लगाएंगे तो इसकी और पुष्टि हो जाएगी। वक्त आएगा तो विकास की गिनती में भाजपा राजग शासित राज्यों को जोड़कर अपना गठबंधन भी दुरुस्त रखेगी।

पिछले कुछ वर्षो में संघ परिवार के अंदर पड़ी दूरी और मतभेद की धूल को भाजपा ने अब साफ कर दिया है। कुंभ नगर में विश्व हिंदू परिषद [विहिप] के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में साधु संतों ने एकजुट होकर अयोध्या मंदिर निर्माण का आह्वान किया और इसके लिए प्रस्ताव पारित किया तो राजनाथ भी यह कहने से नहीं चूके कि भाजपा भी यही चाहती है। लगे हाथों उन्होंने यह भी कहा कि वह साधु संतों का आशीर्वाद लेने आए हैं। राम मंदिर भाजपा का चुनावी एजेंडा भी रहा है। लेकिन, महत्वपूर्ण यह था कि मार्गदर्शक मंडल की बैठक में कई वर्षो बाद भाजपा अध्यक्ष मौजूद थे।

राजनाथ के एलान का असर भी तत्काल दिखा। पिछले वर्षो में भाजपा पर एजेंडे से दूर हटने का आरोप लगाता रहा विहिप नरम था। विहिप के संरक्षक अशोक सिंहल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘भाजपा के घोषणापत्र में राममंदिर है। पिछली बार यह काम पूरा नहीं हो पाया था, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि यह आगे भी नहीं होगा।’ कुछ दिनों पहले दिल्ली में हुई भाजपा, संघ और विहिप की बैठक के बाद सिंहल यह नरम रुख स्पष्ट संकेत है कि भाजपा से फिलहाल उन्हें गिला-शिकवा नहीं है।

हालांकि उन्होंने इससे पहले मोदी की लोकप्रियता की तुलना नेहरू से कर एक बखेड़ा जरूर खड़ा कर दिया। लेकिन, माना जा रहा है कि राजनाथ ने उन्हें यह समझा दिया है कि राजनीतिक दल होने के नाते भाजपा की अन्य जिम्मेदारियां भी हैं। लिहाजा यह आशा न रखें कि पार्टी उनके सुर में ही बात करेगी। हां, अवसर आया तो उन मुद्दों पर पीछे नहीं हटेगी जो पार्टी की नीति में शामिल हैं।

हिंदू धर्म का सबसे बड़ा जमावड़ा प्रयाग का महाकुंभ 2014 से पहले का आखिरी कुंभ है। लिहाजा 12 तारीख को मोदी की कुंभ में मौजूदगी राजनाथ की इस धारा को और आगे बढ़ाएगी। लेकिन, यह भी ध्यान रखा जाएगा कि राजनीतिक गठबंधन पर आंच न आए। लिहाजा एक तरफ जहां सधे तरीके से हिंदुत्व की अलख जगाई गई वहीं विकास की बात करते हुए भाजपा शासित राज्यों के साथ सहयोगी दलों के नेतृत्व वाली सरकारों का भी गुणगान होगा।

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