बांध की वजह से जलमग्न हो जाएगा पंचमुखी शिवलिंग

shivlingबांध जैसी विकास परियोजनाओं का खामियाजा सिर्फ जनता को नहीं भुगतना होता, लोगों के साथ उस इलाके की आस्थाएं भी या तो विस्थापित हो जाती हैं या फिर वहीं समाधिस्थ हो जाती हैं।

अब यही हाल होने जा रहा है जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के बिलावर में स्थित पंचमुखी शिवलिंग का। यहां बनने जा रहे पंजतीर्थी बांध से हजारों साल पुराना पांडवों द्वारा निर्मित पंचमुखी शिवलिंग जलमग्न हो जाएगा।

माना जाता है कि विश्व में दो ही पंचमुखी शिवलिंग हैं, एक नेपाल और दूसरा पंजतीर्थी में। शिवलिंग के अस्तित्व पर खतरे को देखते हुए लोग इसे किसी अन्य स्थान पर स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। पंजतीर्थी बांध परियोजना से 184 मेगावाट बिजली और हजारों हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य पानी तो मिलेगा, लेकिन पांच दरियाओं के संगम पर बना पंचमुखी शिवलिंग मंदिर भी पानी में समा जाएगा।

एसडीएम बिलावर डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि बांध निर्माण के लिए तहसील प्रशासन के पास लिखित निर्देश आ चुका है। प्रशासन को सेंटर वाटर कमिशन (सीडब्ल्यूसी) के साथ मिलकर पांच सर्वे करने को कहा गया है। पहले चरण का सर्वे जल्द शुरू किया जाएगा। इसमें प्रभावित क्षेत्र और लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। अनुमान के तौर पर बांध से 13 पंचायतों के करीब 30 हजार लोग प्रभावित होंगे। प्रभावित क्षेत्रों में दुरुग, डुंगाडा बरोटा, धर्मकोट, फिंतर, डडवारा और पंचमुखी शिवलिंग मंदिर भी आ सकता है।

पंचायत डुंगाडा के सरपंच मदन लाल, अपर डुंगाडा के सरपंच करनैल सिंह, सरपंच निरंतर कुमार शर्मा, सरपंच एडवोकेट जतिंद्र सिंह भड़वाल, समाज सेवक एसपी शर्मा, देस राज रैना आदि ने कहा कि पंजतीर्थी बांध बनने से हजारों लोगों को यहां से पलायन करना पडे़गा और अपनी संपत्ति से भी हाथ धोना पड़ेगा। लोगों को पंचमुखी शिवलिंग की भी चिंता है। जिले में रंजीत सागर बांध के निर्माण के समय भी क्षेत्र में महाकाली कामंदिर जलमग्न हो गया था। पंचमुखी शिवलिंग मंदिर में कई लोगों के कुलदेवता का स्थान भी है और यह लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है।

error: Content is protected !!