खबर लीक होने पर रुक जाती फांसी

afjalआपरेशन अफजल गुरु को सफलतापूर्वक भले ही अंजाम तक पहुंचा दिया गया हो, लेकिन इसकी खबर लीक होने की स्थिति में पूरे आपरेशन की विफलता की आशंका अंतिम समय तक गृह मंत्रालय के अफसरों को सताती रही।

एक अधिकारी ने स्वीकारा कि खबर लीक होने के बाद अफजल को फांसी देना संभव नहीं होता। आपरेशन में गोपनीयता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, मंत्रालय के दो अफसरों तथा सुरक्षा से संबंधित मंत्रिमंडलीय समूह के अलावा किसी को इस बारे में नहीं बताया गया था।

राजीव गांधी हत्याकांड और दिल्ली स्थित युवा कांग्रेस कार्यालय पर हमले के दोषी आतंकियों के मामले से सबक लेते हुए गृह मंत्रालय ने अफजल मामले में पूरी गोपनीयता बरती। सरकार को आशंका थी कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराए जाने की खबर लीक होने के बाद अफजल की फांसी में कानूनी पेंच फंसाया जा सकता था। राजीव हत्याकांड और युवा कांग्रेस कार्यालय पर हमले के आरोपियों की फांसी में 11 साल की देरी के कारण इसे उम्र कैद में बदलने की अपील सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। गोपनीयता बनाए रखने को गृहमंत्री ने गृह सचिव आरके सिंह, संयुक्त सचिव राकेश सिंह को आपरेशन अफजल की जिम्मेदारी दी। रविवार को राष्ट्रपति के दया याचिका ठुकराने और सोमवार को फांसी की सजा पर क्रियान्वयन के गृहमंत्री के आदेश के बाद गुरुवार को सुरक्षा से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति को इस बारे में बताया गया। इसमें प्रधानमंत्री के अलावा वित्त, रक्षा, विदेश और गृह मंत्री शामिल होते हैं।

शुक्रवार को जब अदालत ने फांसी के लिए शनिवार आठ बजे का वक्त निश्चित कर दिया तो गृह सचिव खुद पी.चिदंबरम को जानकारी देने वित्त मंत्रालय गए। इसके बाद घटनाक्रम तेजी से घूमा,लेकिन इसका पूरा ध्यान रखा गया यह खबर सिर्फ फांसी की सजा को अमली जामा पहनाने के लिए जिम्मेदार अफसरों तक ही सीमित रहे। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और डीजीपी को भी 12 घंटे पहले इसकी सूचना दी गई, लेकिन बाकी राज्यों को अलर्ट अफजल को फांसी हो जाने के बाद ही जारी किया गया।

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