… इसलिए कभी खराब नहीं होता गंगाजल?

gangajalइलाहाबाद। लगभग हर हिंदू परिवार में पानी का एक कलश या कोई दूसरा बर्तन ज़रूर होता था जिसमें होता है गंगाजल। किसी पूजा के लिए, चरणामृत में मिलाने के लिए, मृत्यु नज़दीक होने पर दो बूंद मुंह में डालने के लिए जिससे कि आत्मा सीधे स्वर्ग में जाए। भारत में लोग गंगा जल को पवित्र मानते हैं और बताते हैं कि इसका पानी खराब नहीं होता।

मिथक कथाओं में, वेद , पुराण , रामायण महाभारत सब धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है। कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे। अब सवाल ये है कि गंगा जल आखिर खराब क्यों नहीं होता ?

पतित पावनी गंगा नदी का नाम आते ही ये सवाल अक्सर दिमाग को खटखटा देता है, लेकिन इसका भी… जवाब मिल गया है। दरअसल, हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा का जल इसलिए कभी खराब नहीं होता, क्योंकि इसमें गंधक, सल्फर, खनिज की सर्वाधिक मात्रा पाई जाती है।

राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की के निदेशक डॉ. आरडी सिंह ने बताया कि हरिद्वार में गोमुख गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी हुई अनेकों जीवन दायिनी उपयोगी जड़ी बुटियों के ऊपर से स्पर्श करता हुआ आता है।

अन्य कारण भी
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मुकेश कुमार शर्मा ने बताया कि गंगा जल खराब नहीं होने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। एक यह कि गंगा जल में बैट्रिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया गया है, जो पानी के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है। इससे जल की शुद्धता बनी रहती है। दूसरा गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है, इसलिए भी यह खराब नहीं होता।

हमने बनाया गंगा को मैला
डॉ. सिंह ने बताया कि गंगा हरिद्वार से आगे अन्य शहरों की ओर बढ़ती जाती है वैसे ही शहरों, नगर निगमों और खेतीबाड़ी का कूड़ा करकट तथा औद्योगिक रसायनों का मिश्रण गंगा में डाल दिया जाता है। यही वजह है कि कानपुर, वाराणसी और इलाहाबाद का गंगा जल आज पीने योग्य नहीं रह गया है।

खुद ही साफ होती रहती है गंगा
लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ़ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है।

प्रोफ़ेसर भार्गव का तर्क है, “गंगोत्री से आने वाला अधिकांश जल हरिद्वार से नहरों में डाल दिया जाता है। नरोरा के बाद गंगा में मुख्यतः भूगर्भ से रिचार्ज हुआ और दूसरी नदियों का पानी आता है. इसके बावजूद बनारस तक का गंगा पानी सड़ता नहीं। इसका मतलब कि नदी की तलहटी में ही गंगा को साफ़ करने वाला विलक्षण तत्व मौजूद हैं।”

डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है। दूसरी नदी जो गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ़ कर पाती है, उतनी गंदगी गंगा नदी एक किलोमीटर के बहाव में साफ़ कर देती है।

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