बांग्लादेश: मौत की सजा को कानून में संशोधन

bangladeshबांग्लादेश की संसद ने एक कानून में संशोधन किया है जिससे सरकार इसलामी पार्टी के नेता अब्दुल कादिर मुल्ला को दी गई जेल की सजा को अदालत में चुनौती दे सकेगी।

बांग्लादेश में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी जमात-ए-इसलामी नेता अब्दुल कादिर मुल्ला को मौत की सजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

सरकार की इस घोषणा का राजधानी ढाका में लोगों ने स्वागत किया।

जमात प्रमुख अब्दुल कादिर मुल्ला को 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई में कथित युद्ध अपराधों के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।

लेकिन अब इस सजा को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी। सरकार के इस ताजा कदम के बाद जमात-ए-इसलामी पर प्रतिबंध लगाए जाने का भी रास्ता साफ हो गया है।

दो हफ्ते पहले कादिर को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद ढाका और दूसरे शहरों में भारी प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

मौत की सजा का विरोध

प्रदर्शनकारी मुल्ला और 10 दूसरे अभियुक्तों को मौत की सजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इन सभी पर पाकिस्तान के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कथित तौर पर युद्ध अपराध करने के आरोप हैं। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर युवावर्ग शामिल है।

सरकार की घोषणा से ठीक एक दिन पहले जमात-ए-इसलामी समर्थकों और पुलिस के बीच झड़पों में तीन लोग मारे गए थे।

जमात-ए-इसलामी ने मौत की सजा के विरोध में आज देश व्यापी हड़ताल बुलाई है। कल रविवार को हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने कानून में बदलाव के सरकारी फैसले पर खुशी जाहिर की।

इस कदम के बाद बांग्लादेश की सरकार अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्राइब्युनल के फैसलों के खिलाफ अपील कर सकती है। इस ट्राइब्युनल का गठन वर्ष 2010 में किया गया था। इसका मकसद उन बांग्लादेशियों को सजा देना था जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर युद्ध में कथित तौर पर अत्याचार किए।

कानून में बदलाव के सरकारी कदम के बाद इस विशेष ट्राइब्युनल को जो अधिकार मिले हैं उसकी मदद से उन संस्थाओं और राजनीतिक दलों को सजा दी जा सकती है जो युद्ध अपराधों में शामिल थे।

कानून मंत्री शफीक अहमद के मुताबिक ऐसे दलों को राजनीति से प्रतिबंधित किया जा सकता है।

आलोचकों का कहना है कि कानून में संशोधन जमात-ए-इसलामी को ध्यान में रखकर किए गए हैं। जमात ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता का विरोध किया था।

उधर जमात ने सरकार के कदम को उसे बरबाद करने की सरकारी कोशिश बताया है।

अभियुक्तों में से आठ जमात-ए-इसलामी के नेता हैं जबकि दो बांग्लादेश नेशनल पार्टी के सदस्य हैं। बीएनपी औऱ जमात ने सरकार पर उनके खिलाफ राजनीतिक विद्वेष की नीति से काम करने का आरोप लगाया है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1971 की लड़ाई में 30 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।

 

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