जमीन का पट्टा रद होने के खिलाफ रामदेव पहुंचे कोर्ट

ramdev baba2013-2-26

शिमला,(राजेंद्र डोगरा)। हिमाचल के सोलन जिले में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की जमीन का पट्टा रद कर परिसर को पुलिस कब्जे में लेने संबंधी हिमाचल सरकार के आदेश को बाबा रामदेव ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने लीज पर दी गई 96.2 बीघा जमीन गैर-कानूनी ढंग से अपने कब्जे में ली है, जो एकतरफा कार्रवाई है। न सरकार ने किसी प्रकार का नोटिस दिया और न ही प्रावधानों का पालन किया। मामले की सुनवाई 27 फरवरी को होगी। याचिका में कहा गया है कि लीज डीड एक पंजीकृत दस्तावेज है,अत: इसे न्यायिक आदेश से ही खारिज किया जा सकता है, न कि प्रशासनिक आदेश से। 11 करोड़ रुपये खर्च करके निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। सरकार का कदम नाजायज है। यह भूमि 17 लाख 31 हजार 214 रुपये की अदायगी के पश्चात 99 साल की लीज पर दो फरवरी 2010 को ली थी।

उधर, रामदेव की भूमि का पट्टा रद करने का व्यापक विरोध हो रहा है। ऊना जिले से बाबा के सैकड़ों समर्थक इसके विरोध में होने वाले प्रदर्शन में हिस्सा लेने साधुपुल जाने की तैयारी में हैं। रामदेव के 27 फरवरी को प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए जमीन भी मिल गई है। अब तक उन्हें कहीं भी कार्यक्रम करने की स्वीकृति नहीं मिल पा रही थी।

मामले में एक नया मोड़

रामदेव और प्रदेश सरकार के बीच लीज डीड को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। इसके तहत पुलिस ने उपायुक्त सोलन से प्राप्त एक पत्र के आधार पर जांच शुरू कर दी है, जिसमें कहा गया है कि बाबा को यह जमीन गलत रिपोर्ट के आधार पर दी गई थी। भाजपा सरकार के समय बाबा को जमीन की लीज दिए जाने की जांच में जुटी जिला प्रशासन की टीम ने पाया कि तत्कालीन अधिकारियों ने भूमि से संबंधित अपनी रिपोर्ट में सरकार को बताया था कि यह वेस्ट लैंड है।

अब जब फिर से मामले की विस्तृत जांच शुरू हुई तो राजस्व अधिकारियों के सामने इस बात का खुलासा हुआ, जबकि बताया जा रहा है कि साधुपुल की यह भूमि वेस्ट लैंड थी ही नहीं। उपायुक्त सोलन मीरा मोहंती की ओर से पुलिस अधीक्षक सोलन को दी गई शिकायत में कहा गया है कि साधुपुल की जमीन को बाबा रामदेव को देने के लिए तत्कालीन अधिकारियों ने 2009 में भूमि के राजस्व रिकार्ड संबंधी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। उक्त रिपोर्ट में इस जमीन को (हिमाचल प्रदेश विलेज कॉमन वेस्टिंग एंड अनयूटिलाइजेशन एक्ट 1974) के तहत वेस्ट लैंड (निहित भूमि) बताया गया था।

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