कहीं भगोड़े पुलिसवालों के पास तो नहीं थी डीएसपी की रिवाल्वर

questions-raised-on-slain-dsp-revolver-foundइलाहाबाद। इलाहाबाद प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में सीओ जिया उल हक की हत्या के बाद पुलिस और फोरेंसिक टीम ने गांव के चप्पे-चप्पे को खंगाला था मगर तब पिस्टल का कुछ पता नहीं चला था। अचानक सीबीआइ ने पुलिसकर्मियों पर शिकंजा कसा तो पिस्टल मिल गई। साथ ही कारतूस भी बरामद हो गए। इस बरामदगी ने तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं।

माना जा रहा है कि पुलिस ने पिस्टल तो पहले ही हासिल कर ली थी, मगर आरोपों में घिरे कुछ पुलिसकर्मी इसको पचाए हुए थे। ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि पुलिस ने कहीं सीबीआइ के दबाव में तो पिस्टल की बरामदगी उजागर नहीं की। आशंका है कि सीओ की हत्या के बाद गांव पहुंची पुलिस ने पहले ही पिस्टल बरामद कर ली थी मगर उस वक्त सीओ की हत्या को लेकर कई पुलिसकर्मी भी आरोपों के घेरे में थे। यह भी स्पष्ट हो चुका था कि हत्या से पहले सीओ की जमकर पिटाई की गई थी।

इतना सब कुछ होने में एक घंटे से अधिक का वक्त लगा था, फिर भी पुलिसकर्मी वहां नहीं पहुंचे थे। कई पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो ग्राम प्रधान की हत्या का आरोपी कामता पाल चार दिन पहले ही सीबीआइ के संपर्क में आ गया था। कामता ने लखनऊ में सीबीआइ कार्यालय पहुंच कर अपना पक्ष रखने की इच्छा जताई थी पर सीबीआइ अधिकारियों ने उसे कुंडा पहुंच कर जांच कर रहे अधिकारियों से संपर्क करने को कहा था। कामता कुंडा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। प्रधान के भाई व लड़के की गिरफ्तारी के बाद वह कुंडा गया।

इस बीच वेदांती गोरखपुर के सांसद आदित्यनाथ के बाद भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. राम विलास वेदांती भी राजा भैया के बचाव में उतर आए हैं। उनका कहना है कि आजम खां के इशारे पर राजा भैया को फंसाया जा रहा है। इस मामले में सीबीआइ से भी निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है क्योंकि सीबीआइ केंद्र सरकार के दबाव में हैं।

डॉ. वेदांती ने कहा, जनता से हुई हिंसक झड़प में सीओ जिया उल हक हादसे का शिकार हुए थे लेकिन साजिश के तहत राजा भैया को फंसाया जा रहा है। आजम खां जो कह रहे हैं, वही सीओ की पत्नी परवीन बोल रही हैं। आजम खां और बुखारी के दबाव में राजा भैया से मंत्री पद से इस्तीफा लिया गया जबकि उनका घटना से कोई लेना देना नहीं है।

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