आगरा: मैं धोखे में रही और मेरी बेटी चली गई

agara murder caseआगरा। सुराग कुछ इशारा करें, पुलिस की जांच कहीं भी घूमे। मां को मलाल है कि वह धोखे में रही और बेटी की जान चली गई। वहीं साथ हंसने-खिलखिलाने वाली बहन के जेहन में वही एक बात कि अनहोनी ही उसकी लाड़ली बहन को मौत के आगोश में खींच कर ले गई। बहन के ये आखिरी शब्द अब तक कानों में गूंज रहे हैं कि दीदी गलती हो गई।

दयालबाग शिक्षण संस्थान में छात्रा की हत्या के मामले में शुरू से ही सभी उस बदहवाश मां के दिल की बात जानना चाहते थे, जिसकी अनजाने में खुद हत्यारे से बात हुई। सोमवार को परिवार मीडिया से बात करने को सामने आया तो मां के सामने यही सवाल था कि उस दिन बेटी का फोन किसने रिसीव किया और वह आवाज किसकी थी? सुबकती मां के दिल से यही दर्द निकला कि मैं धोखे में रही और मेरी बेटी चली गई। उन्होंने बताया कि बेटी का फोन अक्सर उसके जूनियर रिसीव कर लेते थे। कभी-कभी मजाक भी करते थे। जब घटना वाले दिन शाम को उन्होंने बेटी को फोन किया तो किसी लड़के ने रिसीव किया। उसने कहा कि उनकी बेटी सदर गई है। इसीलिए वह समझ नहीं सकी कि माजरा क्या है? पहले की तरह सोचा कि कोई जूनियर होगा, इसलिए नजरअंदाज कर दिया। मां का कहना है कि उस आवाज को पहचान तो नहीं पा रहीं, लेकिन कानों में जरूर गूंज रही है। मां का कहना था कि बस एक इच्छा है कि हत्यारे जल्द पकड़े जाएं।

ऐसा ही कुछ मलाल छात्रा की बड़ी बहन को है। जब उससे पूछा कि क्या घटना वाले दिन छात्रा की दिनचर्या में कोई बदलाव था, इस पर उसने बताया कि छोटी बहन को लैब में जो काम अगले दिन करना था, वह उसने उसी दिन देर शाम के लिए निर्धारित कर लिया। दोपहर में फोन पर बात हुई तो उसने कहा भी था कि दीदी गलती हो गई। मैंने कल का असाइनमेंट आज ही लगा लिया। शाम को लेट हो सकती हूं। बहन को लगता है कि यदि छोटी बहन ने ऐसा न किया होता तो शायद ये घटना नहीं होती।

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