होली में घर जाने वालों के छूट रहे पसीने

train-and-flight-over-crowded-on-the-eve-of-holiनई दिल्ली। होली में अब एक सप्ताह का समय शेष रहा गया और लोगों के घर जाने की मुश्किलें पहले के मुकाबले कई गुणा बढ़ गई हैं। एक ओर मुसाफिरों का दिवाला निकल रहा है वहीं दूसरी ओर दलालों की चांदी कट रही है। हर बार की तरह इस बार भी यात्रियों के लिए रेलवे के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। लोग दलालों की दया के सहारे यात्रा करने को मजबूर हैं।

कमलेश सिंह को सपरिवार पटना जाना है और वह पहले से टिकट नहीं टिकट नहीं ले सके हैं। पहले उन्होंने सामान्य ट्रेनों में टिकट लेने की कोशिश की लेकिन कंफर्म टिकट नहीं मिली। अब स्पेशल ट्रेनों में टिकट के लिए दलालों के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने बताया कि दलाल शयनयान श्रेणी की टिकट के लिए 415 रुपये के बदले 1600 रुपये की मांग कर रहे हैं।

ऐसा ही कुछ हाल दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा अर्पणा चौधरी का है। उसे अपनी तीन दोस्तों के साथ भागलपुर जाना है लेकिन उसे कंफर्म टिकट की बात तो दूर, वेटिंग टिकट भी नहीं मिल पा रहा है। दलाल 455 रुपये की टिकट के लिए 1800 रुपये मांग रहे हैं। टिकट के लिए मारामारी और दलालों का खेल पिछले 10 दिनों से चल रहा है। ऐसे में उन्होंने अपने घर जाना ही कैंसल कर दिया। एक अन्य मुकेश कुमार बताते हैं कि उन्हें होली में बलिया जाना है। उन्होंने तत्काल टिकट के लिए दलाल से संपर्क किया है। वह स्लीपर के लिए 2000 रुपये मांग रहे हैं। इससे भी बुरा हाल मिश्रा दंपती का है। उन्हें दो छोटे बच्चों के साथ गोरखपुर जाना है लेकिन टिकट नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया सामान्य और स्पेशल सभी ट्रेनों के लिए एसी टू तक में प्रयास कर लिया लेकिन कहीं टिकट नहीं है। दलाल एसी थर्ड में प्रति सीट 3000 रुपये तक मांग रही हैं। यानी मूल भाड़े से चार गुणा से ज्यादा।

सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-गुवाहाटी रूट पर चलने वाली सभी ट्रेनों के बर्थ दलालों की मर्जी के मुताबिक बिक रहे हैं। इसके लिए दिल्ली-एनसीआर में हजारों दलाल सक्रिय हैं। संवाददाता ने पड़ताल में पाया कि त्योहार पर चलने वाली विशेष ट्रेनों में भी यही हाल है। एक तो सामान्य यात्रियों को विशेष गाड़ियों के बारे में पता ही नहीं है और जिन्हें पता है उन्हें भी दलालों के शरण में ही जाना पड़ रहा है।

रेलवे के एक अधिकारी बताते हैं कि यात्रियों की जरूरत के हिसाब से ट्रेनों की पर्याप्त संख्या न होने के कारण भी इस तरह की परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि त्योहार के मौसम में इस तरह की समस्या आम है। रेलवे ने दलालों की सक्रियता पर लगाम कसने के लिए ही स्लीपर क्लास में भी यात्रियों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य किया है। इससे दलालों द्वारा फर्जी नाम से टिकट बुक कराने और उसे महंगे दामों पर बेचने पर लगाम लगेगी।

उधर, दूसरी ओर विमानन कंपनियां भी त्योहारी सीजन का लुत्फ उठा रही है। लोगों की मजबूरियों का फायदा उठाते हुए उन्होंने टिकट की कीमतें कई गुणा बढ़ा दी हैं। दिल्ली-पटना, लखनऊ-दिल्ली, चेन्नई-कोलकाता, बेंगलूर-दिल्ली, हैदराबाद-नई दिल्ली, नई दिल्ली-पुणे, मुंबई-नई दिल्ली समेत कई रूट पर दाम से चार से पांच गुना कीमत वसूली जा रही है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 24 मार्च को नई दिल्ली से पटना के लिए अधिकतम 18 हजार रुपये तक वसूले गए हैं, जबकि आम दिनों में टिकट पांच से छह हजार रुपये में मिल जाते हैं। इस बहती गंगा में स्पाइस जेट, जेट एयरवेज, इंडिगो सहित कई निजी कंपनियों हाथ धो रही हैं।

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