और जब कांप उठी मुंबई

1993 mumbai blastनई दिल्ली। 12 मार्च, 1993। आज से बीस साल पहले। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को तब बंबई कहा जाता था। कभी न रुकने वाले इस शहर की रफ्तार उस मनहूस दिन भी तेज थी। सूर्य देवता का रथ जैसे ही आसमान में ठीक ऊपर पहुंचा, यह शहर धमाकों से गूंज उठा। देश के इतिहास में अब तक के सबसे विध्वंसक सिलसिलेवार बम विस्फोट की घटना से मायानगरी सिहर उठी। देश ही नहीं पूरे एशियाई क्षेत्र में इस तरह बड़े पैमाने पर होने वाली यह पहली घटना थी। उस दौरान कोई ऐसे विध्वंसक सीरियल धमाकों की कल्पना भी नहीं कर सकता था।

ये धमाके कितने भयावह थे, इसके संकेत सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से पता चलते हैं, ‘यह दुनिया की पहली ऐसी आतंकी घटना है, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इतने बड़े पैमाने पर आरडीएक्स जैसे घातक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया’। 20 साल बाद बृहस्पतिवार को इस हमले के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई।

समय (कु)चक्र:

-दोपहर 1:30 बजे : बांबे स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग के बेसमेंट में शक्तिशाली कार बम धमाका हुआ। 28 मंजिला बिल्डिंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। करीब 50 मरे।

-2:00 बजे : दूसरा बम विस्फोट शहर के दूसरे इलाके में हुआ। उसके बाद पूरे मुंबई के विभिन्न छोरों पर 3:40 मिनट तक कुल 13 बम धमाके हुए। अधिकांश बम धमाकों में कार का इस्तेमाल किया गया। कुछ विस्फोटों के लिए स्कूटर भी इस्तेमाल किया गया। इनमें डबल डेकर बस में हुए विस्फोट में सबसे अधिक 90 लोग मारे गए। इनमें आरडीएक्स को मुख्य विस्फोटक के रूप में इस्तेमाल किया गया।

साजिश की परतें:

छह दिसंबर, 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा परिसर के गिराए जाने के बाद देश के कई इलाकों में दंगे भड़क गए। दिसंबर, 1992-जनवरी, 1993 के बीच मुंबई भी दंगों की चपेट में रही। उस दौरान टाइगर मेमन समेत कई षड़यंत्रकारियों के बिजनेस को भी नुकसान पहुंचा। टाइगर का मुंबई में रेस्टोरेंट था जिसको दंगे के दौरान नुकसान पहुंचा था।

गुल की गिरफ्तारी: विस्फोट से तीन दिन पहले नौ मार्च, 1993 को उत्तर-पूर्वी मुंबई के एक बदमाश गुल को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसको सांप्रदायिक दंगों में हाथ होने के आरोप में पकड़ा गया था। टाइगर मेमन ने गुल को बम बनाने का प्रशिक्षण हासिल करने के लिए पाकिस्तान भेजा था। वह चार मार्च को दुबई के रास्ते मुंबई पहुंचा। पता चला कि उसकी गैरमौजूदगी में उसके भाई को पुलिस पकड़ ले गई थी। अपने भाई को बचाने के लिए गुल ने पुलिस के समक्ष आत्मसर्पण कर दिया। उसने दंगे में अपनी भूमिका स्वीकारते हुए पुलिस को बताया कि बांबे स्टॉक एक्सचेंज, सहर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और शिव सेना भवन समेत कई प्रमुख स्थानों पर सीरियल बम विस्फोट की योजना टाइगर मेमन द्वारा बनाई जा रही है। पुलिस ने उसकी सूचनाओं को अफवाह करार देते हुए उन पर ध्यान नहीं दिया। उधर, गुल की गिरफ्तारी से टाइगर चौकन्ना हो गया। पहले उसकी योजना शिव जयंती उत्सव के दौरान अप्रैल में बम विस्फोट करने की थी। लेकिन उसने पुलिस के सतर्क होने से ही 12 मार्च को विस्फोट करने का निर्णय लिया।

डी-कंपनी:

मुंबई अंडरव‌र्ल्ड के डॉन दाउद इब्राहीम ने पाकिस्तानी मदद से इस पूरी घटना को अंजाम दिया। उसका खास गुर्गा टाइगर मेमन इसका सूत्रधार रहा। विस्फोटों के बाद मुंबई अंडरव‌र्ल्ड सांप्रदायिक आधार पर दो भागों में बंट गया। दाउद का दायां हाथ माना जाने वाला छोटा राजन उससे अलग हो गया। उसने अलग संगठन बना लिया। तब से दोनों के बीच गैंगवार जारी है। छोटा राजन के शूटरों ने सात आरोपियों की हत्या कर दी।

किरदार:

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि दाउद इब्राहीम, टाइगर मेमन और याकूब मेनन प्रमुख षड़यंत्रकारी हैं :

-दाउद इब्राहीम (57) : बम विस्फोट कार्रवाई को अंजाम दिलाने और वित्तीय सहायता पहुंचाने के कारण देश का सबसे वांछित अपराधी। मुंबई में संगठित अपराध का सरगना। अमेरिका ने 2003 में उसको वैश्विक आंतकी घोषित किया। इंटरपोल की वांछित सूची में शामिल। कई बार भारत ने पाकिस्तान को प्रमाण भेजे हैं कि वह पाकिस्तान में छिपा बैठा है लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा खंडन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्णय में कहा कि वह पाकिस्तान में हैं। फिलहाल आइएसआइ के सहयोग से आतंकी वारदातों, ड्रग्स, अवैध रूप से हथियारों की सप्लाई के अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क का मुखिया।

-टाइगर मेमन (52) : बम विस्फोट का प्रमुख आरोपी। दाउद का विश्वस्त सहयोगी। चांदी का तस्कर। इसका पूरा नाम इब्राहीम मुस्ताक अब्दुल रज्जाक नदीम मेमन है। सीबीआइ और इंटरपोल को इसकी तलाश है। इसे टाइगर इसलिए कहा जाता है क्योंकि एक बार इसने वन-वे सड़क पर 100 किमी/घंटे की खतरनाक रफ्तार से गाड़ी चलाकर एक एक स्मगलर को पीछा कर रही मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस से बचाया था। भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार दाउद के साथ मिलकर आइएसआइ को सहयोग प्रदान कर रहा है। कराची में इसका घर है और दुबई में एक रेस्टोरेंट।

-याकूब मेमन : टाइगर का छोटा भाई है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट। मेमन परिवार का सबसे शिक्षित सदस्य। 1994 में भारत लौटकर आत्मसर्पण करने के बाद से ही जेल में है। इसकी फर्म भाई टाइगर की काली कमाई को संभालती थी। 27 जुलाई, 2007 को विशेष टाडा कोर्ट ने इसको प्रमुख षड़यंत्रकारियों में शामिल मानते हुए मौत की सजा सुनाई। इसको आपराधिक षड़यंत्र रचने और अपनी फर्म के माध्यम से धन मुहैया कराने का दोषी पाया गया। आंतकी गतिविधियों के लिए गैरकानूनी तरीके से हथियारों, गोला-बारूद और खतरनाक विस्फोटकों को पहुंचाने का दोषी पाया गया। अन्य आरोपियों को हथियारों का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए दुबई के रास्ते पाकिस्तान भेजने के लिए टिकट का प्रबंध करने के मामले में भी इसको दोषी ठहराया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी टाडा अदालत के निर्णय को सही ठहराते हुए इसकी फांसी की सजा बरकरार रखी।

-मेमन परिवार : यह परिवार मुंबई में माहिम इलाके की अल-हुसैनी बिल्डिंग में रहता था। माना जाता है कि बम विस्फोट से पहले ही टाइगर अपने पूरे परिवार के साथ दुबई भाग गया। 1994 में टाइगर और भाई अयूब को छोड़कर पूरा परिवार भारत लौट आया।

-एस्सा और यूसुफ मेमन : टाइगर मेमन के भाई हैं। टाडा अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यूसुफ सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है। उसका इलाज चल रहा है

-रुबिना मेमन : ट्रायल में इसकी मारुति वैन को पहले प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। इसने अपनी कार में विस्फोटक ले जाने की अनुमति दी थी। टाडा अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। परिवार के अन्य सदस्यों सुलेमान, हनीफा और रहीन को संदेह का लाभ देते हुए टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया था।

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