सभी को आइना दिखाने लगे पुलिस कमिश्नर

delhi-police-commissioner-comment-on-political-parties-media-and-societyनई दिल्ली। सोमवार को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर (सीपी) नीरज कुमार को न संसद का न सरकार का और न ही सांसद का डर था। संसद में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा गुड़िया प्रकरण पर दिए गए बयान (‘दूसरे राज्यों में भी रेप के मामले होते हैं’) और दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना से मुलाकात के बाद नीरज कुमार संवाददाता सम्मेलन में खुद पर चौतरफा उठ रही उंगलियों से बेपरवाह नजर आ रहे थे।

उन्होंने इस्तीफे से दो टूक इनकार के साथ गुड़िया का जिक्र करते हुए उल्टे पूछा कि ऐसी घटनाओं में पुलिस क्या कर सकती है? कुछ प्रश्नों का उन्होंने सीधा जवाब दिया तो कुछ का जवाब बेहद बचकाना लहजे में मीडियाकर्मी से ही पूछा।

उन्होंने अपने तरीके से दिल्ली के अन्य सरकारी महकमों को भी आइना दिखाया। बातों-बातों में उन्होंने समाज के काले चेहरों की ओर भी संकेत किया। यह सवाल उठाया कि घरों के भीतर जो विश्वास का गला घोंटा जा रहा है, उसमें पुलिस क्या कर सकती है? गुड़िया रेप मामला सामने आने के पांच दिन के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए इस्तीफे के सवाल पर संवाददाता से ही पूछा कि आपकी गलतियों पर क्या आपके संपादक इस्तीफा देते हैं? रेप मामले पर उन्होंने समाज की बीमार मानसिकता की आड़ में एक तरह से पुलिस की बेबसी को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के 97 प्रतिशत मामले में अपनों का या जानने वालों का ही हाथ होता हैं। बाप अगर अपनी बेटी से बंद कमरे में रेप करे तो इसे रोकना क्या पुलिस के लिए संभव है?

इस्तीफे के सवाल पर उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को भी दर्पण दिखाने की कोशिश की। उन्होंने साफ कहा कि इस्तीफा मांगने के मामले में राजनीतिक दलों का उद्देश्य कुछ और ही होता है। गौरतलब है गुड़िया रेप घटना के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता सांसद संदीप दीक्षित और गिरिजा व्यास द्वारा पुलिस कमिश्नर से इस्तीफे की मांग की गई थी। दीक्षित ने कहा था कि सीपी को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इससे पहले भी 16 दिसंबर रेप मामले में वे नीरज कुमार से इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। उस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी सीपी के इस्तीफे की मांग की थी। 16 दिसंबर दुष्कर्म मामले में जब संदीप दीक्षित जन आंदोलन में भाग लेने गए थे तो आंदोलनकारियों ने उनकी कार को पलट दिया था। आंदोलनकारियों का कहना था कि यहां नेताओं की कोई जरूरत नहीं है। जहां पर यह घटना हुई थी वहां से कुछ दूरी पर पुलिसकर्मी भी खड़े थे। करीब दो माह बाद सेवानिवृत हो रहे पुलिस कमिश्नर के इस संवाददाता सम्मेलन की बातों के अर्थ सचिवालय में निकाले जा रहे थे। कमिश्नर के एक जवाब को राष्ट्रमंडल खेल से जोड़कर देखा जा रहा था। सम्मेलन में एक तरह से सीपी ने दिल्ली सरकार को भी दर्पण दिखाया है। विभागीय कार्रवाई पर उनका यह कहना कि दिल्ली पुलिस अपने मातहत के विरुद्ध जितनी सख्त कार्रवाई करती है ऐसा अन्य विभागों में देखने को नहीं मिलता। हालांकि उनका यह कोई राजनीतिक बयान नहीं था लेकिन चर्चा तो इस बात को लेकर ही हो रही थी कि उनका इशारा दिल्ली सरकार की तरफ है। जहां अरबों के घोटाले के आरोप लगे हैं, लेकिन कार्रवाई किसी के खिलाफ नहीं हुई है।

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