सुनील दुबई और मनोज मेट्रो कराते हैं खेल में ‘खेल’

sunil-and-manoj-are-mastermindनई दिल्ली। दिल्ली पुलिस बेशक अभी स्पॉट फिक्सिंग में अंडरव‌र्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम लेने से बच रही हो लेकिन सट्टेबाजी के खेल में शामिल डॉन के अहम मोहरे उसके हाथ लग चुके हैं। इनकी मदद से दुबई से लेकर देश भर में फैले हवाला और सट्टेबाजी के सिंडीकेट को तोड़ने की कोशिश शुरू हो चुकी है। इस काम में गृह मंत्रालय का भी पूरा सहयोग लिया जा रहा है। पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि जांच जारी है। यह जांच कहां तक जाएगी अभी कहा नहीं जा सकता।

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दिल्ली पुलिस सूत्रों के अनुसार सट्टेबाजी से जुड़ी तमाम जानकारियां पकड़े गए लोगों से पूछताछ में सामने आई हैं। मसलन सट्टेबाज बातचीत के लिए जिन सिमकार्ड का प्रयोग करते हैं उन्हें मुंबई में ‘कच्चा कार्ड’ जबकि उत्तर भारत में ‘डब्बा कार्ड’ बोलते हैं।

फर्जी नाम पते पर लिए गए इन सिमकार्ड का प्रयोग भी महज 15 से 20 दिन के लिए किया जाता है। मुंबई के नलबाजार, चोर बाजार, मोहम्मद अली रोड आदि पर कच्चा कार्ड एक से 3 हजार रुपये कीमत तक में बिकता है। स्पेशल सेल ने जब जीजू जनार्दन, चंद्रेश पटेल उर्फ जूपिटर के साथ दिल्ली के तीन सट्टेबाजों को पकड़ा तो उनके पास से कच्चा कार्ड बरामद हुआ।

पुलिस को इन लोगों के मोबाइल फोन से कराची तथा दुबई फोन किए जाने के सबूत भी मिल गए हैं। सूत्रों के अनुसार दुबई में डी कंपनी (दाऊद इब्राहिम गिरोह) के लिए सट्टेबाजी की कमान सुनील ‘दुबई’ और मनोज ‘मेट्रो’ ने बुर्ज डेरा तथा गोल्ड सूक प्लेस इलाके में संभाल रखी है। यही दोनों लोग मुंबई में बैठे जूपिटर और जूनियर कोलकाता नाम के अपने एजेंटों से खिलाड़ियों से हुई ‘सेटिंग’ तथा मैच के दौरान उनकी तरफ से आने वाले सिग्नल की जानकारी पाकिस्तान में बैठे डी कंपनी के आकाओं को देते थे। उनके निर्देश पर सट्टे का भाव (सट्टेबाजी की भाषा में सौदा कटना) तय करके सट्टा की फोन लाइन दांव लगाने के लिए खोली जाती थीं। जिन पर देश भर में सट्टा लगता था। खास बात यह है कि इस दौरान सट्टे की रकम को लेकर की गई सभी बातचीत रिकॉर्ड की जाती थीं जिससे दांव पर लगी रकम को लेकर कोई गफलत ना रहे। सुनील तथा मनोज पहले मुंबई में ही गैंगस्टर शरद शेट्टी के साथ काम करते थे। लेकिन छोटा राजन के गुगरें द्वारा शरद शेट्टी की हत्या करने के बाद दोनों दुबई भाग गए थे। बाद में उन्होंने दिल्ली में भी अपने ठिकाने बनाए थे।

हालांकि बाद में वह दुबई में जाकर बस गए। इनके लंदन में बैठे कई भारतीय सट्टेबाजों से भी संपर्क हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि मुंबई के होटल इंटर कॉन्टीनेंटल (जहां खिलाड़ी भी ठहरे हुए थे) से पकड़े गए अमित कुमार नामक सट्टेबाज की काफी खिलाड़ियों से बातचीत होती थी। अमित और जीजू जिस शहर में आइपीएल होता था वहां उसी होटल में ठहरते थे, जहां खिलाड़ियों के ठहरने का प्रबंध होता था। सूत्रों के अनुसार जूपिटर को अमित ही बताता था कि किस खिलाड़ी को सट्टेबाजी में इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस काम में श्रीसंत का दोस्त जीजू जनार्दन भी पूरी मदद करता था। जांच में पता चला है कि खिलाड़ियों को दिया जाने वाला पैसा हवाला के जरिये दुबई से आता था वहीं सट्टे में दांव पर लगी करोड़ों की रकम भी हवाला के जरिये ही दुबई भेजी जाती थी। एक मैच पर कई सौ करोड़ रुपये की रकम जमा हो जाती थी। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के विशेष आयुक्त एसएन श्रीवास्तव के अनुसार हवाला की पूरी चेन को खंगालने की दिशा में काम चल रहा है।

क्या है स्पॉट फिक्सिंग का दुबई कनेक्शन

पाकिस्तान। डी कंपनी (अनीस इब्राहिम, टाइगर मेनन, मास्टर, जावेद, जफर उर्फ जोजो)

6दुबई । सुनील दुबई, मनोज मेट्रो

मुंबई । चंद्रेश पटेल उर्फ जूपिटर, जूनियर कोलकाता, जीजू जनार्दन उर्फ बीजू

दिल्ली। बंटी समेत तीन बड़े सट्टेबाज,

मोहरे। अमित कुमार, अजीत चंदीला, अंकित चव्हाण।

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