18 साल, 43 बैठकें, न साफ हुई यमुना, न हल हुए मुद्दे

yamuna-is-dirty-afterनई दिल्ली। तीन दशक से यमुना की सफाई पर चर्चा तो जरूर हो रही है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। आखिर क्यों? उत्तर प्रदेश ने केंद्र के साथ यह सवाल तो उठाया ही। साथ ही, यह भी कहा कि दिल्ली में सीवरेज का गंदा पानी यमुना में गिराकर केंद्र उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा व दूसरे जिलों में पीने के पानी का संकट खड़ा कर रहा है।

समस्या के तात्कालिक समाधान के लिए वृंदावन शहर से आगे बहाव की तरफ डाउनस्ट्रीम केंद्र के सहयोग से बैराज बनाना जरूरी हो गया है। उत्तर प्रदेश के सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, लोक निर्माण व सहकारिता मंत्री शिवपाल यादव ने मंगलवार को यहां अपर यमुना रिव्यू (समीक्षा) कमेटी की पांचवीं बैठक में ऐसे कई सवाल उठाए।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत कमेटी के सदस्य हैं। शिवपाल ने कहा कि अपर यमुना बोर्ड 18 साल पहले बना था। तब से बोर्ड की 43 बैठक व रिव्यू कमेटी की चार बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन न तो विवादित मुद्दों का हल निकला और न यमुना ही निर्मल हो पाई।

उलटे दिल्ली के नालों व सीवर का गंदा पानी यमुना में गिरकर ओखला के आगे मथुरा, आगरा व दूसरे जिलों में पीने के पानी का संकट खड़ा कर रहा है। मथुरा-वृंदावन धार्मिक लोक महत्व के लिहाज से, तो आगरा विश्व प्रसिद्ध ताजमहल व अन्य सांस्कृतिक धरोहरों की वजह से जाना जाता है।

सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि समस्या के तात्कालिक समाधान के लिए वृंदावन के डाउनस्ट्रीम पर केंद्रीय मदद से एक बैराज बनाना जरूरी हो गया है। उसके लिए उत्तर प्रदेश भी अपना अंशदान देने को तैयार है। साथ ही, स्थायी समाधान के लिए बीते 30 साल से लंबित लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना और किसाऊ व रेणुका बांध परियोजना का निर्माण पूरा कराना जरूरी है। बरसात का पानी इन बांधों में रोककर उसे गैर बरसात के दिनों में नदियों में छोड़ा जा सकता है।

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