चीन को कड़ी चुनौती देंगे हमारे 40 हजार जवान

govt-set-to-clear-40000-strong-force-along-with-china-borderनई दिल्ली। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी जल्द ही भारत-चीन सीमा पर सेना की मौजूदगी बढ़ाने पर अपनी स्वीकृति दे सकती है। इसके तहत सीमा पर माउंटेन स्ट्राइक कोर गठन का प्रस्ताव है। इसमें 40,000 से अधिक जवान होंगे, इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में होगा।

चीन ने भारतीय सीमा में बनाई पांच किलोमीटर तक सड़क

ऐसा होने पर भारत को पहली बार तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में किसी भी तरह के चीनी हमले के खिलाफ आक्रामक प्रहार करने की शक्ति हासिल होगी। कोर के पास रैपिड एक्शन के लिए दो हाई-एंिट्टयूड डिवीजन होंगी।

चीन पर भरोसा नहीं करते ज्यादातर भारतीय

सूत्रों के मुताबिक, सीमा पर माउंटेन स्ट्राइक कोर गठन के प्रस्ताव को दी जाने वाली सहमति से पहले रक्षा मंत्रालय ऐसे कई सवालों का स्पष्टीकरण दे चुका है, जो वित्त मंत्रालय द्वारा उठाए गए थे। पूर्वोत्तर सीमा के प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय अब वित्त मंत्रालय से किसी और सवाल की उम्मीद नहीं कर रहा है।

12वीं योजना (2012-17) में स्ट्राइक कोर के गठन पर 62,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। चीन की वास्तविक सीमा रेखा (एलएसी) पर आपरेशन गैप और आक्रामक क्षमता बढ़ाने के लिए सेना ने माउंटेन स्ट्राइक कोर, दो इंडिपिंडेंट इंफ्रेंटी ब्रिगेड्स और दो आर्म ब्रिगेड के गठन का प्रस्ताव था।

चीन की सेना के साथ बराबरी की बात हो या ढांचागत के विकास की, भारत ने एक दशक पहले ही इस पर काम करना शुरू किया था। अब पेइनचिंग से कदमताल करने के लिए भारत आक्रामकता के साथ आगे बढ़ रहा है। एक आला अफसर के मुताबिक, माउंटेन स्ट्राइक कोर इस कड़ी में अहम साबित हो सकता है।

इस प्रक्रिया में 12वीं योजना के तहत 81,000 रुपये खर्च होने का अनुमान है। हालांकि कुछ आंतरिक हिस्से जिसमें इंडिपेंडेंट ब्रिगेड्स भी शामिल है, इस पर 13वीं योजना में काम शुरू होगा।

गौरतलब है कि भारत पहले ही असम के लेखापानी और मिस्सामारी में इंफ्रेंटी डिवीजन बना चुका है। 2009-10 में इन्हें अरुणाचल प्रदेश की रक्षा के लिए निर्मित किया गया था।

error: Content is protected !!