फाइलों में रेंग रही है सैनिकों की ‘सुरक्षा’

bullet-proof-jacket-is-still-a-dreamनई दिल्ली। सीमा पर जवानों के लिए जितना जरूरी हथियार है उतना ही जरूरी बुलेट प्रूफ जैकेट भी है। बीते चार साल से सैनिकों के लिए उनकी जरूरत के मुताबिक जैकेट खरीदने की कवायद चल रही है। नियंत्रण रेखा और आतंकवाद निरोधी अभियानों के लिए साढ़े तीन लाख जैकेट से अधिक की आवश्कता है। इसे पूरा करने के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना से चल रही कोशिशें 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दूसरे साल में भी अभी अधूरी हैं।

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रेंग रही खरीद की प्रक्रिया में तकनीकी गड़बड़ी के कारण निविदा वापस ली गई। नई निविदा जारी करने में एक साल लग गया। गत वर्ष दिसंबर में सेना के लिए 1,86,138 बुलेट प्रूफ जैकेटों की खरीद की निविदा पर निर्माताओं के प्रस्ताव चंद हफ्ते पहले ही जमा हो सके।

सूत्रों के मुताबिक, इन प्रस्तावों का अभी आकलन चल रहा है। महत्वपूर्ण है कि बीते दो सालों से संसद की रक्षा मंत्रलय संबंधी समिति भी इस पर चिंता जताते हुए जैकेट खरीद की प्रक्रिया में तेजी लाने की सिफारिश करती रही है।

उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री एके एंटनी की अगुवाई वाली रक्षा खरीद परिषद ने अक्टूबर 2009 में 1,86,138 बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इस खरीद के लिए निविदा भी मार्च 2011 में जारी की गई। जैकेट के परीक्षण में पेश आई दिक्कतों के कारण उसे दिसंबर 2011 में अचानक वापस ले लिया गया। इसके बाद खरीद की शर्ते बदलने के बाद ठिठकी कवायद दिसंबर 2012 में आगे बढ़ पाई। महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) नियंत्रण रेखा और उग्रवादियों व आतंकियों से मुकाबले में डटे जवानों के लिए 3,53,765 बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने को मंजूरी दे चुकी है। यह जरूरत मौजूदा पंचवर्षीय योजना में पूरी होनी है। इसकी पहली किस्त में 1,86,138 जैकेट खरीद का फैसला नहीं हो पाया है। ऐसे में अगले 1,67,627 जैकेट की खरीद को फौजियों को और इंतजार करना पड़ सकता है।

सेना के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने की कवायद में तीन श्रेणियों में जैकेट खरीदे जाने हैं जिनका भार क्रमश 10.1 किग्रा से 11.3 किलोग्राम होगा। वहीं 1,86,138 जैकेट की खरीद पर 930.69 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी।

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