देहरादून। उत्तराखंड में पिछले दो दिनों से हो रही तेज बारिश और भूस्खलन ने तबाही मचा दी है। पूरे उत्तराखंड में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। बारिश से अब तक 13 लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग मलवों के नीचे आकर घायल हो गए हैं। वहीं, 100 से अधिक लोगों के लापता होने की खबर आ रही है। यही नहीं बारिश के कहर ने चार धाम की यात्रा पर भी ब्रेक लगा दिया है। 20 हजार से अधिक सैलानी पहाड़ों पर फंसे हुए हैं। ऋषिकेश-बदरीनाथ और गंगोत्री मार्ग बाधित होने के कारण ऋषिकेश से चारधाम यात्रा बंद कर दी गई है। चार हजार से अधिक वाहन हाइवे पर रोक दिए गए हैं।
–तस्वीरों में देखें बारिश ने कैसे बरपाया कहर
जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। नदियां खतरे के निशान से ऊपर आ गईं हैं। चमोली में कई पूल टूट गए हैं। कई घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए हैं। प्रशासन ने उत्तरकाशी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। राज्य की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने मृतक आश्रितों को मुख्यमंत्री कोष से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये सहायता देने के निर्देश दिए हैं।
-पढ़ें: दून में बारिश ने बनाया ऑलटाइम रिकॉर्ड इधर, धनौल्टी में बादल फटने की खबर आ रही है। चमोली, हेमकुंड और चारधाम के कई पूल टूट गए हैं। उधर, उत्तरकाशी, चमोली और टिहरी के बीच संपर्क टूट गया है। 100 से अधिक घर पानी में बह गए हैं। वहीं ऊंची इमारते भी पानी में ढह गई है। मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि 24 घंटे और ऐसी ही बरसात होने वाली है। विभाग ने बताया कि अब तक 220 एमएम बारिश दर्ज की गई है। प्रशासन राहत कार्य चलाने में जुटी हुई है।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सोमवार को सचिवालय में समीक्षा बैठक कर रहे हैं। बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य और मुख्य सचिव सचिव सुभाष कुमार के अलावा सचिव आपदा प्रबंधन और विभिन्न जिलों के अधिकारी शिरकत कर रहे हैं। राज्य सरकार ने राजकीय हेलीकाप्टर के साथ ही केदारनाथ व बदरीनाथ में हवाई सेवाएं संचालित कर रही निजी कंपनियों को भी आवश्यकता पड़ने पर सरकार को हेलीकाप्टर मुहैया कराने को कहा है। भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस और बीआरओ से भी बंद मागरें को खोलने में सहयोग मांगा है। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव नागरिक उड्डयन व सचिव आपदा को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय के अंतर्गत सचिवालय में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। यह कंट्रोल रूप चौबीसों घंटे संचालित होगा। अपर सचिव मुख्यमंत्री अमित नेगी को इसका प्रभारी बनाया गया है। मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को मागरें में फंसे यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के साथ ही खाद्यान्न, दवाइयां व अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। कंट्रोल रूम प्रभारी अमित नेगी ने सोमवार सुबह बताया कि रुद्रप्रयाग जिले में रामबाड़ा में आपदा के बारे में अब तक भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है। एनडीआरएफ की टीम रामबाड़ा के निकट हुए भूस्खलन स्थल तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। इस आपदा से हुई जानमाल की क्षति की कोई जानकारी अभी नहीं मिली है।
इसके अलावा चमोली में अलकनंदा और पिंडर खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं, जबकि भागीरथी और असी गंगा के उफान से उत्तरकाशी में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। उत्तरकाशी के जोशियाड़ा में भूस्खलन से दस मकान दब गए। प्रशासन ने इन मकानों को पहले ही खाली करा दिया था। शासन ने तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है।
उत्तर भारत में भी मॉनसून ने 15 दिनों पहले ही दस्तक दे दी है। दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा, गुड़गांव में भी दो दिनों से हो रही जबरदस्त बारिश ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। जगह-जगह जलजमाव हो गया है। मुंबई में भी बारिश का कहर जारी है।
गौरतलब है कि शनिवार शाम को शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने रविवार को भी लोगों का आम जनजीवन बूरी तरह से प्रभावित किया। सुबह से ही ऋषिकेश से बदरीनाथ और गंगोत्री राजमार्ग पर कई स्थानों पर भूस्खलन होने से राजमार्ग बंद हो गया। जिससे कई स्थानों पर सैकड़ों वाहन फंस गए। उधर, भद्रकाली व तपोवन में प्रात नौ बजे के बाद गंगोत्री व बदरीनाथ जाने वाले वाहनों को रोक दिया गया था।
फिलहाल अगले चार दिनों तक स्थिति सामान्य होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं लोकल रूटों पर भी भूस्खलन होने के कारण मार्ग अवरूद्ध हैं जिससे तमाम गांवों का संपर्क शहरों से कट गया है। सड़कें बंद होने के कारण लोकल यात्री भी मार्ग में ही फंसे हुए हैं।