शवों की शिनाख्त में छूटेंगे पसीने

27_06_2013-27deadbodyदेहरादून, [जाब्यू]। केदार घाटी में कुदरत के कहर में जीवन से हाथ धोने वालों का आंकड़ा सरकार अब तक भले ही एक हजार के इर्द-गिर्द बता रही हो, लेकिन आशंका यही है कि यह आंकड़ा काफी ज्यादा होगा। आपदा के बाद जिंदा बचे लोगों को बचाने की मुहिम में ही लंबा वक्त गुजरने के बाद अब शवों की शिनाख्त और मुश्किल हो गई है। केदारनाथ धाम और रामबाड़ा में मलबे में दबे शवों की शिनाख्त तो दूर, जो शव खुले में पड़े मिले या नदियों में बहते मिले हैं उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल हो गया है। कमोबेश यही हालात लापता लोगों को लेकर है।

अभी तक यात्रियों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं रही। इस वजह से लापता लोगों की पहचान करने में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। दोनों ही मामलों में अब विभिन्न स्रोतों से यात्रियों के बारे में मिलने वाली सूचनाएं संकलित की जा रही हैं। इसके लिए परिजनों की ओर से उपलब्ध कराई जा रही यात्रा पर गए अपनों की सूची से भी मिलान किया जा रहा है। बेहद पेचीदा हो चुके इस मामले में सरकार और अधिकारी फूंक-फूंक कर आगे कदम बढ़ा रहे हैं।

मृत और लापता दोनों ही मामलों में शिनाख्त को लेकर संकट बना हुआ है। इस वजह से मृत और लापता में दर्ज लोगों की भी अलग-अलग दो-दो सूचियां बनाई जा रही हैं। जिन शवों की शिनाख्त हो चुकी है उनकी एक सूची बनाई जा रही है। ऐसे शव जिनकी शिनाख्त नहीं हुई, उनकी सूची भी तैयार की जा रही है।

लापता लोगों के मामले में भी इसी तरह दो सूचियां तैयार की जा रही हैं। सही ब्योरे को लेकर अंधेरे में तीर चलाने जैसी नौबत है। इस काम में जुटे अधिकारी कुछ कह पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। संपर्क करने पर लापता लोगों का ब्योरा जुटाने को बनाए गए नोडल अधिकारी एवं सचिव अजय प्रद्योत ने माना कि लापता लोगों के बारे में पहले से कोई ब्योरा नहीं है। ऐसे में परिजनों से मिलने वाली सूचना पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

सरकार की ओर से प्राकृतिक आपदा में मृतकों को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान शासन के अधिकारियों के पेशानी पर बल डाल रहा है। सरकार ने एक माह तक लापता रहने वाले को भी मृत घोषित करने एलान भले कर दिया हो, लेकिन अभी तक कार्ययोजना भी नहीं बन पाई है। सरकार की ओर से मुआवजा राशि तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दी गई है। इस बात का अंदेशा जताया जा रहा है कि असामाजिक प्रवृति के लोग लापता व्यक्तियों के नाम पर अपना दावा करने का प्रयास कर सकते हैं। देहरादून में इस प्रकार की घटना सामने भी आ चुकी है। कानूनन लापता व्यक्ति को सात साल बाद मृत माने जाने का प्रावधान है।

सरकार का कहना है कि विशेष परिस्थिति में एक माह वाले प्रावधान को शामिल किया जा रहा है। जानकारों की मानें तो इसमें कानूनी अड़चन सामने आ सकती है। यही कारण है कि शासन ने कोई शासनादेश जारी नहीं किया है।

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