फिर फिसली मंत्री जी की जुबान

27_06_2013-27bsgangwarकानपुर, [जासं]। सरकार के मंत्रियों को ये क्या हो गया है। एक तरफ भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते है तो दूसरी तरफ अफसरों को कमीशनखोरी की सलाह भी देते हैं। वो भी बड़ी साफगोई के साथ। कुछ महीनों पहले ही सरकार के एक कद्दावर मंत्री ऐसा बयान देने पर चर्चा में आए और अब लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन राज्यमंत्री भगवत शरण गंगवार ने दस फीसद कमीशन पर मुहर लगा दी, वो भी खुल्लम-खुल्ला। मीडिया ने टोका तो इसे व्यवहारिक भी बता दिया।

बुधवार को सर्किट हाउस में सुबह 11 बजे लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन राज्यमंत्री भगवत शरण गंगवार मौजूद थे। राज्यमंत्री अचानक प्रमुख सचिव उद्योग मुकुल सिंघल से मुखातिब हुए। हाल-चाल के साथ विभाग के बारे में पूछताछ करने लगे। इसके बाद सीडीओ रमाकांत पांडेय से योजनाओं की प्रगति के बारे में जानकारी ली। इसके बाद निर्माण कार्य की गुणवत्ता जांचने के लिए छेनी-हथौड़ी मंगवाने का फरमान सुना दिया। कुछ कर्मचारी हुक्म की तामील करने के लिए दौड़ पडे़ लेकिन फिर वापस नहीं लौटे। काफी देर तक इंतजार करने के बाद जब छेनी-हथौड़ा नहीं आया तो नाराज हो गए। कहने लगे-निर्माण कार्य में धांधली की लगातार शिकायतें आ रही हैं। इसके बाद दाल में नमक खाने की नसीहत दे डाली। इतना कहने के बाद भी नहीं रुके और खुलकर बोले, दस प्रतिशत तक कमीशन पर ही सीमित रहो ताकि कार्यो की गुणवत्ता बनी रहे। मंत्री जी की नसीहत सुनने के बाद पास खडे़ अफसर हैरान रह गए।

बाद में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि व्यवहारिक बात कही थी। कार्य कराने के बाद अधिकारी मानीटरिंग ही नहीं करते जिससे गुणवत्ता पर असर पड़ता है और सरकारी धन की बर्बादी होती है।

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