मैं मोदी को सांप्रदायिक नहीं मानता-अन्ना हजारे

anna 01इंदौर। मध्य प्रदेश में जनतंत्र यात्रा के आखिरी दिन बुधवार को इंदौर पहुंचे अन्ना ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ईमानदार मानने से इनकार कर दिया। इससे पहले दिल्ली में जन लोकपाल के लिए अनशन के दौरान भी अन्ना ने नरेंद्र मोदी के विकास की तारीफ की थी, जिसके कारण वह विरोधियों के निशाने पर आ गए थे।
मोदी के सांप्रदायिक नेता होने का सबूत नहीं- गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सांप्रदायिक विचारधारा के नेता होने के सियासी आरोपों पर उन्होंने कहा, मोदी के सांप्रदायिक नेता होने का अब तक कोई सबूत मेरे सामने नहीं आया है। हालांकि, इसके साथ ही कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही पार्टियों को आड़े हाथ लेते हुए अन्ना ने कहा कि मैं किसी भी पार्टी का पक्षधर नहीं हूं। न कांग्रेस गुणवत्ता पर चल रही है और न ही बीजेपी। उन्होंने कहा कि जब तक भारत का प्रधानमंत्री किसी पार्टी द्वारा चुना जाएगा, तब तक देश और समाज को सही प्रधानमंत्री नहीं मिलेगा। अन्ना ने कहा, देश को सही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तब ही मिलेंगे, जब इनका चुनाव सीधे जनता करेगी।’
अरविंद की पार्टी को भी समर्थन नहीं: हजारे ने दावा किया कि भारतीय संविधान उम्मीदवारों को समूह में चुनाव लडऩे की इजाजत नहीं देता। उन्होंने कहा कि जनता को संविधान की मूल भावना के मुताबिक निर्वाचन की पार्टी आधारित व्यवस्था को खत्म करके खुद अपने उम्मीदवार खड़े करना चाहिए। उन्होंने एक सवाल पर कहा, चूंकि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी एक सियासी दल है। लिहाजा मैं इस पार्टी का भी समर्थन नहीं कर सकता।
अक्टूबर से फिर शुरू होगा आंदोलन: हजारे ने जन लोकपाल बिल को लेकर केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। इसके साथ ही, आने वाले दिनों में बड़े जन आंदोलन का शंखनाद करने के संकेत देते हुए कहा, हम अभी जनता को जगा रहे हैं। जनता को जगाने के बाद हो सकता है कि अक्तूबर 2013 से जनवरी 2014 के बीच मैं दिल्ली के रामलीला मैदान में फिर से आंदोलन करूं और देश की जनता 2011 की तरह दोबारा सड़कों पर उतर जाए। क्या वह भारत में मिस्र की तर्ज पर तख्तापलट की संभावनाएं देखते हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा, अगर सरकार ने जनता के मुद्दों पर विचार नहीं करते हुए अपनी सीमाएं लांघ दीं, तो देश अहिंसक क्रांति की राह पर आगे बढ़ सकता है।
कांग्रेस-बीजेपी से लेना देना नहीं- हजारे ने एक सवाल पर सफाई दी, ‘यह कहना सरासर गलत है कि मैं कांग्रेस के विरोध में हूं। हमें कांग्रेस और बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन मेरा सवाल है कि बीजेपी ने कोयला घोटाले का संसद में उचित विरोध क्यों नहीं किया?
कोयला घोटाले पर इस्तीफा दें मनमोहन: अन्ना हजारे ने कथित कोयला घोटाले में नैतिक आधार पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इस्तीफा मांगते हुए कहा कि इस बड़े घपले का सच सामने आ रहा है और देश के शीर्ष राजनीतिक पद पर मनमोहन का ज्यादा देर तक बने रहना उचित नहीं है। हजारे ने कहा, कोयला घोटाले की तस्वीर एकदम साफ है। इस घोटाले का सच सामने आ रहा है। लिहाजा मनमोहन का अब ज्यादा देर तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहना ठीक नहीं है। उन्हें नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारते हुए इस ओहदे से इस्तीफा दे देना चाहिए। अन्ना ने कोयला घोटाले को बड़ा घपला करार दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच को सही अंजाम तक पहुंचाकर सच को सबके सामने लाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से उम्मीद जगती है।

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