मोदी खुद बयां करेंगे अपनी कहानी

n modi 450-320अहमदाबाद। एक सामान्य टी वेंडर से देश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार खुद अपनी कहानी बयां करेंगे। साल के आखिर तक एक कॉफी टेबलबुक आएगी, जिसमें मोदी एक हजार सवालों के जवाब देंगे। मोदी से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर सवाल करें तो वह असहज हो जाते हैं। गुजरात पर 12 साल तक राज करने के बाद भी मोदी खुद को कॉमन मैन या सरकारी तिजोरी का चौकीदार बताते हैं।

मोदी पर लिखी गई दर्जनों पुस्तकों के बाद अब आपके हाथ ऐसी पुस्तक आएगी, जिसमें उन्होंने खुद अपनी कहानी बयां की है। पत्रकार व लेखक किशोर मकवाणा पुस्तक के संपादक है। किताब में मोदी के घर छोड़कर जाने, साधू-संत व कई आश्रमों के अलावा हिमालय व कैलाश मानसरोवर में बिताए दिनों की यादें होंगी। आज मोदी को वीजा देने से इन्कार करने वाला अमेरिका पहले भी बतौर संघ प्रचारक मोदी को वीजा देने से मना कर चुका है। तब मोदी को कोई संपत्ति नहीं होने के कारण वीजा नहीं मिला था। बचपन में मोदी ने मेहसाणा जिले के अपने गांव वड़नगर में एकांकी नाटक ‘पीले फूल’ किया था, जिसमें बीमार बेटे के इलाज के लिए एक दलित मां की बिडंबना ने उन्हें गरीबों व वंचितों की सेवा के लिए प्रेरित किया। नास्ते में फल व रात के खाने में कढ़ी-खिचड़ी पसंद करने वाले मोदी कभी कभार गुजराती फास्ट फूड खाखरा खाकर भी काम चला लेते हैं। बचपन में मोदी के घर इस्त्री नहीं थी। तब मोदी अपने कपड़े लोटे में अंगारे डालकर प्रेस करते या तह बनाकर बिस्तर के नीचे दबा देते थे। पिता दामोदर दास मोदी के लाए केनवास शूज स्कूल के ब्लैक बोर्ड से गिरी चॉक के चूरे से चमकाते थे।

संन्यासी बनने से भी रोके गए थे मोदी7 अक्टूबर, 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने मोदी भाजपा के सबसे लंबे शासन करने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं। विवेकानंद क्यों मोदी के रोल मॉडल बने और स्नातक नहीं होने के कारण रामकृष्ण मिशन वालों ने उन्हें संन्यासी बनने से रोक दिया। देश में आपातकाल के दौरान कैसे वह भूमिगत रहकर जेल में बंद स्वयंसेवकों की मदद करते रहे। इन सभी सवालों के जवाब मोदी ने पुस्तक में दिए हैं।

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