कौन है संत शोभन सरकार जिसने पूरे देश को हिला दिया

shobhanसंतश्री शोभन सरकार ने अपने सपने से पूरे देश में हलचल मचा दी, आइए जानते हैं संतश्री के बारे में…
कानपुर के मैथा ब्लॉक के शकुलनपुरवा के एक परिवार में शोभन सरकार का जन्म हुआ
वह मंधना के बीपीएमजी इंटर कालेज में पढ़ते थे
मंधना के लोग बताते हैं कि स्कूल में वह खाली समय में पेड़ के नीचे बैठकर रामचरित मानस या गीता पढ़ते थे
हाईस्कूल के लगभग दस साल बाद बाबा ने घर छोड़ दिया। किशोरावस्था (15 वर्ष) में गुरु स्वामी सत्संगानंद जी की शरण में आ गए
आश्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि स्वामी सत्संगानंद जी बड़े स्वामी के नाम से भी जाने जाते थे
शोभन सरकार ने 8 वर्ष लगातार उनके सानिध्य में तप किया
बड़े स्वामी सहिमलपुर गांव ब्लॉक अमौली बिन्दकी फतेहपुर से 70 वर्ष पूर्व दूधी कगार जंगल में आए। वृक्ष के नीचे तपस्या की। बाद में छोटी कुटी बनाई। मवईया बिन्दकी के स्वामी परमानंद की बड़े स्वामी से निकटता थी। शोभन सरकार उन्हें भी गुरु का दर्जा देते थे
गुरु जी बड़े स्वामी के आदेश पर ही शोभन सरकार ने पहले बागपुर (कानपुर देहात) फिर कानपुर के शिवली स्थित शोभन में जाकर आश्रम का निर्माण कराया। वर्ष 1977 में बड़े स्वामी ने शरीर त्यागा
शोभन मंदिर के आसपास के गांवों को जोड़ने के लिए सड़कें बनवाईं
पांडुनगर पर निगोहा, बागपुर, सिंहपुर और प्रतारपुर पुल बनाकर शोभन से कई गांवों को जोड़ा। मंदिर के चारों ओर तालाब का निर्माण कराया। इसमें पांडु नदी से आई धारा भी मिलती है।
तालाब में पानी भरने के कई सबमर्सिबल लगे हैं। तालाब ओवर फ्लो होने पर खेतों तक पानी जाता है।
पौराणिक मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति और एक हाल था।
अब यह मंदिर विशालकाय रूप ले चुका है। यहां प्रसाद या पैसा नहीं चढ़ता है। मंदिर में रोज हजारों लोगों का भोजन बनता है।
10 रुपए में दाल-चावल, रोटी और सब्जी मिलती है।
शोभन सरकार ने कानपुर स्थित चौबेपुर के सुनौढम, सिंहपुर, मैथा, सरसौल के आगे दूधी घाट में मंदिरों का विकास कराया। बीच में विवाद होने पर उन्होंने मंदिर का सर्वराकार नियुक्त कर आश्रम की रजिस्ट्री तक कर दी। उन्नाव के बक्सर, फतेहपुर के दूधी कगार में भीं आश्रम बनाया।
कौन थे राजा राव राम बक्श सिंह
इतिहासकारों के मुताबिक बक्सर के राजा राव राम बख्श सिंह 1857 में आजादी की जंग में अंग्रेजों से पराजित हो गए थे। अंग्रेजों ने बाद में उन्हें फांसी दे दी थी। किले में खजाने की बात से अनजान अंग्रेजों ने बाद में उनका किला व महल ध्वस्त कर दिया था जिसके चलते खजाने का राज वर्षों तक राज ही बना रहा।
कहां है डौंडियाखेड़ा
यूपी के उन्नाव जिले की बीघापुर तहसील मेंगंगा के किनारे स्थित बक्सर से दो किमी पहले डौडियाखेड़ा गांव पड़ता है। लखनऊ से इसकी दूरी 50 किमी व कानपुर से लगभग 80 किमी है।

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