भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के जयपुर दौरे के कारण सरकार व भाजपा संगठन इतनी हड़बड़ाहट में थे, दोनों की भद पिट गई। पहले सरकार को अपना स्टैंड बदलना पड़ा, बाद में संगठन को एक दिन पहले की गई नियुक्तियों को रद्द करना पड़ा।
ज्ञातव्य है कि सरकार आनंदपाल एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच न करवाने पर अड़ी हुई थी। इसी कारण राजपूतों का तकरीबन तीन सप्ताह लंबा आंदोलन चला, जिसकी वजह से प्रदेश में कई जगह अराजकता फैली, हिंसा, आगजनी व तोडफ़ोड़ हुई और आनंदपाल के गांव में कफ्र्यू लगाना पड़ा। गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया अड़े हुए थे कि वे अपनी पुलिस का मनोबल नहीं तोड़ सकते, चाहें तो सीबीआई जांच के आदेश के लिए हाईकोर्ट चले जाएं। मगर जब राजपूत समाज और उग्र हुए व अमित शाह के जयपुर दौरे के दौरान वहां जमावड़ा करने पर आमादा हो गया तो सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। अमित शाह का दौरा शांतिपूर्वक निपट जाए, इसके लिए आननफानन में सीबीआई की जांच के लिए सहमति दे कर राजपूतों का आंदोलन समाप्त करवाया। इससे जनता के सामने सरकार, विशेष रूप से गृहमंत्री कटारिया की भद पिटी।
शाह के दौरे को लेकर भाजपा संगठन में भी हड़बड़ाहट थी। कहीं उनकी फटकार न पड़ जाए, इस चक्कर में प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने एक साथ दस प्रवक्ता नियुक्त कर दिए। दैनिक भास्कर ने इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए लिखा कि नियुक्तियां देते वक्त संवैधानिक नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। मंत्रियों और मंत्री का दर्जा प्राप्त लोगों की नियुक्ति से यह साबित हो गया कि वसुंधरा परनामी पर बहुत ज्यादा हावी हैं और यह भी संदेश चला गया कि भाजपा में अनुभवी कार्यकर्ताओं की कमी है। इसके अतिरिक्त नियुक्तियों के चक्कर में भाजपा के ही सिद्धांत एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत ताक पर रख दिया गया। यहां तक कि महिला आयोग अध्यक्ष व राज्य वित्त आयोग अध्यक्ष तक को भी प्रवक्ता बना दिए जाने से इन पदों की गरिमा संकट में आ गई।
आखिरकार सरकार के सात मंत्रियों, दो आयोग अध्यक्षों की भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता के तौर पर की गई नियुक्तियों को खुद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने ही संवैधानिक नियमों के खिलाफ बताते हुए दूसरे ही दिन रद्द कर दिया। ज्ञातव्य है कि मंत्री राजेंद्र राठौड़, अरुण चतुर्वेदी, राजपाल सिंह, किरण माहेश्वरी, युनूस खान, वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, महिला आयोग अध्यक्ष सुमन शर्मा, वित्त आयोग अध्यक्ष ज्योतिकिरण और जयपुर मेयर अशोक लाहोटी की प्रवक्ता पद पर नियुक्तियां की गई थीं, जिन्हें सोशल मीडिया पर जम कर बधाइयां मिलीं।
जहां तक अजमेर का सवाल है दोनों मंत्रियों प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल को प्रवक्ता बनाए जाने से यह भी खुसफुसाहट हुई कि कहीं आगामी विधानसभा चुनाव में उनका टिकट जाने की रणनीति के तहत ही तो संगठन में सेवाएं नहीं ली जा रहीं। खैर, अब जबकि नियुक्तियां रद्द हो चुकी हैं, तो इस कयासबाजी का कोई अर्थ ही नहीं रह गया है।
-तेजवानी गिरधर
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