अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग दस
अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाओं के बारे में जारी इस सीरीज में मेरे पत्रकार मित्र श्री अमित टंडन ने भी हाथ बंटाया है। मुझे उन्होंने ही ध्यान दिलाया कि हमारे पत्रकार साथी श्री अमित वाजपेयी व श्री क्षितिज गौड़ की विकास यात्रा से भी सुधि पाठकों को अवगत कराया जाए। मेरे आग्रह पर यह नजरिया श्री टंडन ने ही लिखा है। हूबहू पेश है:-

श्री अमित वाजपेयी
अजमेर की पत्रकारिता में एक शख्स का उल्लेख बहुत जरूरी हो जाता है। पिछले 20-22 साल में आई पत्रकारिता की आधुनिक क्रांति में उस वक्त युवा पीढ़ी का जो बेच आया था, उसमें एकदम फ्रेश और लेखन से एकदम अनजान एक लड़का दैनिक भास्कर में आया। तब उसे तत्कालीन शाखा प्रबंधक श्री अनिल शर्मा ने विज्ञापन दाताओं के प्रतिष्ठान के सिंगल कॉलम के राइट अप लिखने की जि़म्मेदारी सौंपी। दअरसल ये एक ऐसी पत्रकारिता है, जिसमें अखबार वालों को अपने विज्ञापन दाताओं को उपकृत करके खुश रखना पड़ता है, क्योंकि उन्हीं से रेवेन्यू आता है। ऐसे में जो कंपनी, दुकानदार या शोरूम विज्ञापन देता है, तो कोई छोटी मोटी तारीफ वाली फ्री खबर की उम्मीद करता है। बस ये न्यू कमर पत्रकार विज्ञापनदाताओं की इसी उम्मीद को पूरा करते थे। आज वो पत्रकार अपने शऊर, योग्यता, क्षमता और लगन के बल पर अनेक वरिष्ठ साथियों से आगे निकल कर राजस्थान पत्रिका, जयपुर में स्थानीय संपादक के पद पर आसीन हैं।
हम बात कर रहे हैं श्री अमित वाजपेयी की। भास्कर के शुरुआती दौर में किराए के छोटे से भवन में, टिन शेड के नीचे बैठ कर जब संपादकीय टीम ख़बरों में उलझी होती थी, तब प्रशिक्षु पत्रकार श्री वाजपेयी स्वयं श्री गिरधर तेजवानी, श्री यशवंत भटनागर या मेरे पास आकर अपने छोटे-छोटे राइट अप पर मार्गदर्शन लिया करते थे।
मिलनसारिता, व्यवहार कुशलता और हंसमुख स्वभाव ऐसा कि मना तो उन्हें कोई कर ही नहीं सकता। और फिर वक्त पंख लगा कर फास्ट फॉरवर्ड होकर भागा। श्री वाजपेयी को मुख्य धारा की रिपोर्टिंग में लिया गया। बड़ी तेजी से कुछ सीखने की ललक का उदाहरण बन कर श्री वाजपेयी ने बहुत जल्द अपना स्थान ना केवल पक्का किया, बल्कि अपने हुनर के दम पर उस मुकाम को ऊंचा उठाया। उन्हें रिपोर्टिंग में कई महत्वपूर्ण बीट्स दी गईं, जो आम तौर पर काफी सीनियरिटी प्राप्त करने के बाद मिलती हैं। फिर एक समय आया के शहर में राजस्थान पत्रिका ने अपना स्वतंत्र संस्करण शुरू किया और श्री वाजपेयी का चयन उसमें बतौर सिटी रिपोर्टर हुआ। वहां भी अपनी कार्यकुशलता से उन्होंने अनेक विभागों की बीट्स पर अनके महत्वपूर्ण और एक्सक्लूसिव खबरें देकर स्वयं को साबित किया। तत्पश्चात उन्हें सबसे बड़ी और दमदार कही जाने वाली बीट मिली, यानी क्राइम बीट। उसके बाद तो श्री वाजपेयी ने खबरों पर खबरें छाप कर जैसे क्राइम रिपोर्टिंग को एक अलग रूप से प्रस्तुत किया। मेन न्यूज के बाद उसके फॉलो अप पर पूर्ण नजऱ रखना। उनकी सबसे बड़ी खासियत है के वे अपनी बीट में सोर्स डेवलप करने में बड़े माहिर हैं। आज भी निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं और गौरव का विषय है कि आज उनका नाम अजमेर के पत्रकारों में प्रथम श्रेणी में शुमार है।

श्री क्षितिज गौड़
एक नाम जो और याद आता है, वो है श्री क्षितिज गौड़ का। शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने का ख्वाब था उनका। तमन्ना थी कि विश्वविद्याल में व्याख्याता बनें, मगर किस्मत ने पत्रकारिता में रोक लिया।
श्री गौड़ ने पत्रकारिता अंशकालिक कार्मिक के तौर पर ये सोच कर शुरू की थी कि शिक्षा जगत के अपने वांछित पद को प्राप्त करने के बाद वहीं सेटल हो जाएंगे और पत्रकारिता को फिर अंशकालिक ही रखेंगे, अथवा छोड़ देंगे। आम तौर पर कई शिक्षक या सरकारी कर्मचारी पार्ट टाइम पत्रकारिता करते आ रहे हैं। बहरहाल श्री क्षितिज गौड़ एक बार जो पत्रकारिता में प्रविष्ट हुए तो इसी बिरादरी के होकर रह गए। भास्कर में कई वर्ष तक रिपोर्टिंग करने के बाद दैनिक नवज्योति में सेवाएं दीं। टाइम्स ऑफ इंडिया के स्थानीय संवाददाता के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।
-अमित टंडन
7976050493

मेरा नजरिया ये है कि श्री वाजपेयी वाकई अपने आप में अनूठा उदाहरण हैं। कम समय में लंबी छलांग लगाने वाले वे अजमेर के पहले पत्रकार हैं। जाहिर है ऐसा केवल प्रतिभा व लगन से ही संभव हो सकता है। इसी प्रकार श्री गौड़ अंग्रेजी की भी पत्रकारिता करने के कारण अलग श्रेणी में गिनती होती है। उनका सोच का दायरा कुछ भिन्न है, इस कारण हिंदी के साथी पत्रकारों के बीच वे अलग से ही नजर आते हैं। अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ है और सटीक रिपोर्टिंग करते हैं, जो कि अंग्रेजी पत्रकारिता की पहचान है। कभी अंग्रेजी की खबर पर गौर कीजिए। आपको साफ अंतर नजर आ जाएगा कि अंग्रेजी की खबर टू द पाइंट होती है, जबकि हिंदी में खबर कुछ फ्लेवर लिए हुए होती है।
मेरा ख्याल है कि ये दोनों पत्रकार व्यावसायिक हो चुकी पत्रकारिता में पूरी तरह से फिट हैं। दोनों ने तेजी से आगे बढऩे का जज्बा दिखाया और कामयाबी भी हासिल की। ऐसे साथियों को देख कर लगता है कि वरिष्ठता इतने मायने नहीं रखती, जितना की योग्यता।

-तेजवानी गिरधर
7742067000

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