घरों में गूंजने लगे सांझी गीत, बाजारों में छाई रौनक

balotara samacharबालोतरा / रंगों का पर्व होली आने में अब सिर्फ 9 दिन का समय बचा है। होली के दिन ढूंढ आयोजन को लेकर सभाओं का दौर शुरू हो गया है। जिन घरों में ढूंढ़ोत्सव आयोजित होगा, उन घरों में महिलाओं की ओर से सांझी गीत गाने का दौर शुरू हो गया है। पर्व ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है गांवों के साथ शहर में भी होली के फाग गीत सिर चढ़कर बोलने लगे है। वहीं शहर में स्थित म्यूजिक की दुकानों पर फाग गीतों की धूम मची है। पर्व को लेकर शहर में चंदा मांगने वाली बच्चों की टोलियां घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा करने में जुट गई है। गांवों में ग्रामीण फाग गीत गा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह फाल्गुनी गीत बजने के साथ ही देर शाम तक चंग पर महिलाएं लूर ले रही हैं। गली-मौहल्लों की चौपालों पर देर शाम तक हथाई करने वाले हथाईबाजों में भी पर्व की तैयारियों को लेकर ही चर्चाएं हो रही हैं।

शुरु हुई होली की खरीदारी
जिन घरों में बच्चों की पहली होली है, वहां ‘ढूंढ’ की तैयारियां शुरू हो गई हैं। महिलाएं बाजारों में कपड़ों की खरीदारी में जुटी हैं। शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ‘ढूंढ’ का ज्यादा प्रचलन है। साथ ही इसकी तैयारियां परवान चढ़ चुकी है। रंग, अबीर, गुलाल रंग-बिरंगी पिचकारियां बाजार में आ चुकी हैं, वहीं शिशु जन्म पर मनाए जाने वाले एक खास रस्म ‘ढूंढ़ोत्सव’ को लेकर भी बेहद उत्साह देखा जा रहा है।

ढूंढ़ पहुंचाने का दौर शुरू
जिन घरों में शिशु जन्म को लेकर मनाई जाने वाली खास रस्म ढूंढ़ोत्सव को लेकर रिश्ते-नातेदारों की ओर से ढूंढ पहुंचाने का दौर शुरू हो गया है। इसमें शिशु के ननिहाल की तरफ से आटे व गुड़ से बनी साकलियां, मेंदा के खाजे, मिठाई सहित बच्चे तथा घर वालों के कपड़े व सोने-चांदी के जेवर होते हैं। इसे एक तरह से बच्चे की मिनी शादी भी कहा जाता है, जिन घरों
ढूंढ़ोत्सव है, उन घरों में सभाओं का दौर शुरू हो गया। परिजन अपने रिते-नातेदारों को दावत देने में जुटे हुए तो महिलाएं घरों में सांझी गीत गा रही हैं।

होलकियां बनाने में जुटे बच्चे
होली की तैयारियों में होलकियां की बात न की जाए, तो सारी बातें ही अधूरी रह जाएगी। इसके लिए शहर में बच्चे लंबे समय से गोबर इकट्ठा करने से लेकर उसे तैयार करने में लगे हैं। इसमें बच्चे गोबर के छोटे-छोटे उपले बनाते हैं, जिसके बीच में छेद किया रहता है। उपले को पहले सुखाया जाता है, फिर छेद में रस्सी डालकर माला बनाते हैं और उस माला को होलिका पर अर्पित की जाती है। वहीं गांवों में होलिका मैदान में ही होलिका दहन किया जाता है।

चंदा वसूलने में जुटी बच्चों की टोलियां
होली पर चंदा देना यहां की परंपरा का अंग है। होलकियां बनाने में जुटे बच्चों व युवाओं की टोलियां घर-घर जाकर चंदा मांग रहे हैं। यहां परंपरा है कि घर आने वाले चंदा मांगने वालों को गुलाल व अबीर से बिना रंगे जाने नहीं दिया जाता। ढूंढ़ोत्सव को लेकर गेरिये भी अभी से रिहर्सल करने लगे हैं।

गांवों में देर रात तक गेर व लूर की धमचक
होली पर ग्रामीण अंचल में उत्साह परवान पर रहता है। गांवों में चौपालों के पास देर रात तक ग्रामीण चंग की थाप पर फाग गीत गाने लगे हैं। गेर दल भी थिरकते नजर आने लगे हैं। मंदिरों के पास गांवों की महिलाएं देर शाम तक फाग गीतों के साथ लूर की धमचक मचाने लगी है।

जगदीश सैन पनावड़ा
+91 9799234612

error: Content is protected !!