उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आई वी त्रिवेदी ने कहा कि मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य को लेकर आदिवासी इलाकों में विशेषकर मेवाड और वागड में जागरुकता का बहुत अभाव है। इसके लिए युनिसेफ चाहे तो प्रस्ताव दे तो सुविवि एडओन कार्स शुरु कर सकती है साथ ही ग्रीष्मकालीन अवकाश में दो माह के लिए एनएसएस योजना के तहत भी जागरुकता अभियान जैसे कार्यक्रम हाथ में ले सकते है। कुलपति सोमवार को यहां बायोटेक्नोलोजी सभागार में सुविवि के पत्रकारिता विभाग और लोकसंवाद संस्थान जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में युनिसेफ के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला के उद्घाटन के बाद सम्बोधित कर रहे थे। मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य विषयक मुद्दों को संवेदनशीलता के साथ उठाने के लिए मीडिया की भूमिका पर चर्चा करने के लिए तथा मीडियाकर्मियों की क्षमता संवर्द्धन के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कुलपति ने कहा कि कोटडा क्षेत्र में इसी तरह के कुछ विषयों को लेकर जनजाति के लोगों का सर्वे किया गया था जिसमे यह तथ्य उभर कर आया था कि कई योजनाओं का असली लाभ आदिवासी लोगों तो जागरुकता के अभाव में पूरा नहीं पहुंच पाता है। उन्होंने कहा कि मीडिया इस काम को भली भांति कर सकता है औ उसे इस तरह की सकारात्मक स्टोरीज का प्रकाशन करना चाहिए।
राजस्थान विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो संजीव भानावत ने कहा कि सामाजिक सरोकारों से जुडे विषयों को उठाना मीडिया के लिए सबसे बडी चुनौती है। उन्होने कहा कि मीडिया सबसे बडा भाषा शिक्षक है। वह उसी आदमी की भाषा में उस तक उसकी बात पहुंचाई जिसमे वह बोलता और समझता है ताकि उस जरुतमन्द को उसके लाभ की योजनाओं की जानकारी मिल सके। इसके साथ ही महिलाओं और बच्चों से जुडी पत्रिकाओं के सम्पादक उसके पाठकों की रुचि का भी खयाल रखे और उन पर सामग्री थोपे नहीं।
युनिसेफ के मातृत्व और शिशु और योजना की राज्य समन्वयक डा पल्लवी शर्मा तथा डूंगरपुर के समन्वयक डा कपिल अग्रवाल ने पावर प्वाइन्ट प्रजेन्टेशन के माध्यम से राजस्थान की स्थिति को रेखांकित किया और मेवाड वागड में अशिक्षा को दूर करने और जागरुकता को बढाने के लिए मीडिया की जरुरत को आंकडो के साथ बताया।
शहर की पत्रकार तरुश्री शर्मा तथा अर्बुदा पंड्या ने स्वास्थ्य बीट में मातृत्व और शिशु मसलों से जुडी खबरों पर अपने अनुभव बांटे तथा रिपोर्टिंग के दौरान आने वाली समस्याओं को सबके सामने रखा। मदर मिल्क बैंक बनने से लेकर उसमें दुग्ध दान करने तक के सामाजिक सरोकारों के अभियान की जानकारी भी दी गई। वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा रमेश जोशी ने ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के हालात और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज भी गांवों में महिला स्वास्थ्य को नजर अन्दाज किया जाता है। उनके प्रोटीन और विटामिन की पूर्ति की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता यही कारण है कि मातृ और शिशु मृत्यु दर पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाया है। भारतीय लघु एवं मध्यम समाचार पत्र संघ के महासचिव अशोक चतुर्वेदी ने मीडिया को प्रशिक्षण की जरुरत और सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए अलग से चर्चा करवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमे अपनी व्यावसायिक जरुरतों से इतर सामाजिक प्रतिबद्धताओं का निर्वहन भी करना होगा तभी हम अपने कलमकार होने का कर्ज अदा कर पांएगे। लोक संवाद संस्थान के सचिव कल्याण कोठारी ने युनिसेफ की इस योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए इससे जुडे विभिन्न पक्षों को चर्चा के लिए प्रस्तुत किया। पत्रकारिता विभाग के प्रभारी डा कुंजन आचार्य ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम का संचालन किया।
चर्चा सत्र में पत्रकारों तथा पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने विशेषज्ञों से सवाल पूछे तथा उन पर अपनी राय भी रखी। चर्चा सत्र में मोहम्मद असलम खान, शेलेन्द्र सिंह, पूर्वा भाटिया, गणपत सिंह, डा गजरा कंवर, डा परमवीर सिंह आदि ने भाग लिया।
Kalyan Singh Kothari