पत्रकारों ने एसडीओ के मार्फत सीएम को भेजा ज्ञापन

press club shahpuraशाहपुरा (भीलवाड़ा) / भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ में देर रात को षराब की दुकान से हो रही बिक्री की कवरेज करने पहुंचे पत्रकार अषोक कुमार साहु के साथ दुकान के सेल्समेन व साथियों द्वारा मारपीट कर अभ्रदता करने तथा जान से मारने की धमकी देने के मामले को लेकर प्रेस क्लब षाहपुरा के पदाधिकारियों ने षुक्रवार को यहां एसडीओ के मार्फत मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन भेजकर दोशी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
प्रेस क्लब अध्यक्ष चांदमल मूंदड़ा व जर्नलिस्ट एसोसियेषन आफ राजस्थान (जार) के जिला अध्यक्ष मूलचंद पेसवानी की अगुवाई में एसडीओ के मार्फत मुख्यमं़त्री के नाम पर दिये ज्ञापन में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पुलिस द्वारा कार्रवाई न होने पर चिंता व्यक्त की गई तथा अविलंब उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। ज्ञापन में पत्रकार साहु के साथ हुई इस वारदात को पत्रकारिता पर हमला बताया गया है।
ज्ञापन देने के समय प्रेस क्लब के पदाधिकारी जार के षाहपुरा सयंोजक अविनाष षर्मा, रामप्रकाष काबरा, सुर्यप्रकाष आर्य, राजेंद्र पाराषर, मोनू छीपा, गणेष सुगंधी, रमेष पेसवानी, भेरूलाल लक्ष्कार, आदि मौजूद थे।
कठपुतली के माध्यम से पहचान बनायी थी श्याम माली ने

संचिना कला संस्थान शाहपुरा के संरक्षक व लोक कला मंडल उदयपुर के सहायक निदेशक श्याम माली के निधन होने पर संचिना की ओर से शोक सभा का आयोजन किया गया। संस्था अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में श्याम माली के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।
संचिना अध्यक्ष पारीक ने इस मौके पर कहा कि संचिना के संरक्षक श्याम माली साहित्य अकादमी से पुरस्कृत होने के साथ करीब तीस साल से कला मंडल उदयपुर से जुड़े हुए थे। बीते वर्षों में श्याम माली ने कठपुतली कला को जीवंत बनाने में योगदान दिया था। उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा, बाल विवाह, बाल श्रम सहित कई सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ कठपुतली के माध्यम से जन चेतना अभियान चलाकर पहचान बनाई थी। राजस्थान कठपुतलियों को विश्व रंगमंच पर स्थापित करने के लिए वे विदेश भी गए।
उपाध्यक्ष मूलचंद पेसवानी ने कहा कि श्याम माली ने पिछले वर्ष ही स्वामी विवेकानंद के जीवन वृत पर कठपुतली नाटिका का निर्माण किया था। विभिन्न राज्यों में 150 से अधिक मंचन इस नाटिका का किया गया। विवेकानंद कठपुतली नाटिका के अंग्रेजी वर्जन का मंचन करने के लिए वे सितंबर में अमेरिका जाने वाले थे।
महासचिव सत्येंद्र मंडेला ने कहा कि राजस्थानी कठपुतली को विश्व रंगमंच पर स्थापित करने वाले श्याम माली स्वामी विवेकानंद के शिकागो में 11 सितंबर, 1893 को हुए संबोधन के इतिहास को कठपुतलियों से उसी दिन, उसी जगह पर दोहराने वाले थे। इसकी तैयारी में थे, लेकिन उनकी यह तमन्ना पूरी नहीं हो सकी।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने कहा कि श्याम माली का मानना था कि कला को जीवंत बनाने के लिए इस बात की आवश्यकता है कि कलाकार अपनी पात्रता के साथ स्वंय संवेदनशील होकर कार्य करे। कलाकार के संवेदनशील होने पर ही पात्रता को जिया जा सकता है।
बैठक में उपस्थित सदस्यों ने परमपिता परमेश्वर से उनकी आत्मा को चिरंशाति प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए अनुरोध किया।

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