राजस्थान विज्ञान कांग्रेस का त्रिदिवसीय सम्मेलन सम्पन्न

jaipur newsजयपुर / द्वितीय राजस्थान विज्ञान कांग्रेस का त्रिदिवसीय सम्मेलन आज निवाई स्थित डॉ. के.एन. मोदी विश्वविद्यालय में सम्पन्न हो गया। इस सम्मेलन में ‘‘21वीं सदी में युवाओं एवं महिलाओं के विकास और सामाजिक बदलाव के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों’’ विषय पर देश-विदेश के रिसर्च स्कोलर एवं वैज्ञानिकों के साथ कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं कई देशों के राष्जदूतों एवं शिक्षाविदों ने विचार मंथन में भाग लिया।
राजस्थान विज्ञान कांग्रेस के महामंत्री एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सम्पादक तरूण जैन ने बताया कि सम्मेलन के दौरान विज्ञान प्रदर्शनी में भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ भारत सरकार के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् द्वारा राज्य स्तरीय विज्ञान संचारक सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अलायन्स ऑफ ग्लोबल एज्युकेशन आयोजन के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण सम्मान, बाल वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कृत किया गया।
सम्मेलन में विज्ञान विषय में रूचि जाग्रत करने के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई चेतना एवं नवाचारों के विकास के लिए देश के ख्यात नाम विशेषज्ञों के साथ विचार साझा किये।

प्रसूता व नवजात की मौत एवं कुपोषण रोकने में संतुलित आहार की भूमिका के लिए चूहों पर अनूठा परीक्षण
जयपुर / वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सामाजिक सरोकार के तहत आयोजित राजस्थान विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन में महिलाओं की गर्भावस्था में संतुलित आहार के लिए यूहों पर अनूठा परीक्षण करने के बारे में चल रही परियोजना के बारे में बताया गया।
मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में प्राणी शास्त्र विभाग की ओर से इन दिनों चूहों पर अनूठा परीक्षण किया जा रहा है। इसमें गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार पर गत वर्ष से शोध चल रहा है।
अगले दो साल तक चलने वाले इस परीक्षण में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से फैलोशिप प्रदान की गई है। विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रागिनी शर्मा के निर्देशन में पिछले 1 वर्ष से चल रहे इस परीक्षण में गर्भवती मादा चूहों के समूह को नियमित आहार के साथ मेथी, पौदीना व सौफ आदि दी जा रही है। इस परीक्षण के माध्यम से यह पता लगाया जा रहा है कि गर्भवती चूहों को इनसे कितना पोषण मिल रहा है। इस परियोजना में लहसुन, अण्डा, साबूदाना, आलू, मंगफली, तिल का भी परीक्षण किया जायेगा।
उक्त परियोजना के संदर्भ में बताया गया है कि राजस्थान सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में कुपोषणग्रस्त महिलाओं को गर्भ के दौरान आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी के कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परियोजना के शोधार्थी सांवर मल काटवा ने बताया कि चूहों पर किया जा रहा परीक्षण सफल रहा तो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को दिया जाने वाला संतुलित आहार तय करने में मदद मिलेगी। इससे प्रसूता एवं नवजात की मौत रोकने एवं कुपोषण की गंभीर समस्या को कम करने में भी सहायता मिलेगी। इस परीक्षण में शोधार्थी सांवर लाल काटवा, नीलम जैन, दिपीका रानी, अमृता जैतावर लगे हुए है।
(कल्याण सिंह कोठारी)
मीडिया सलाहकार
94140 47744

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