100 की उम्र, मनरेगा मे मजदूरी!

badmer newsबाड़मेर। कहते हैं मजदूर इतना मजबूर होता है कि उसे न सेहत की परवाह होती है न उम्र का लिहाज, लेकिन मनरेगा में तो हद ही पार होने लगी है। सौ साल पार करने वाले भी मजदूरी कर रहे हैं। आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो बाड़मेर जिले के आंटी गांव की इन्द्रीदेवी 102 साल की उम्र में मनरेगा में मजदूरी पर गई है। समदड़ी की सोमती ने 103 साल की उम्र में 19 दिन मनरेगा में काम किया है। जिले में 90 से 100 की उम्र के 551 लोगों ने अप्रेल व मई माह की भीषण गर्मी में मजदूरी की है। जिस उम्र में चलना फिरना मुश्किल हो उसमें मजदूरी पर जाना ताज्जुब की बात है।
80 पार के साढ़े 13 हजार पंजीकृत 
मनरेगा मजदूरों का उम्र के अनुसार विश्लेषण करें तो जिले में 80 से ज्यादा उम्र के 13 हजार 639 लोग पंजीकृत हैं। इनमें से मई -जून में 551 लोगों को मजदूरी पर दर्शाया है। बाड़मेर पंचायत समिति की आंटी ग्राम पंचायत में तो 102 साल की इन्द्रीदेवी का नाम भी इस सूची में शामिल है।
डूंगरपुर और बाड़मेर आगे
ऎसा नहीं है कि यह स्थिति केवल बाड़मेर में ही है। पिछले साल में वित्तीय वर्ष 2013-14 में डूंगरपुर में 2564, बाड़मेर में 2012, बांसवाड़ा में 1412, श्रीगंगानगर में 1129 लोगों को 80 से अधिक उम्र के बावजूद मजदूरी पर नियोजित किया गया। प्रदेश के अन्य जिलों में यह आंकड़ा पांच सौ से कम ही था। प्रदेशभर में 80 से अधिक उम्र के14 हजार 643 लोगों ने मजूदरी की।
इधर पैंसठ साल अधिकतम
सरकारी सेवा में 60 साल तक ही सेवा की उम्र है। सेवानिवृत्ति के पांच साल बाद यानि 65 की उम्र तक अधिकतम कार्य करने की अनुमति दी जा सकती है।
अधिकतम उम्र का प्रावधान नहीं
मनरेगा में अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहीं है। न्यूनतम उम्र 18 साल जरूरी है। ऎसे में मजदूर नियोजित हो सकते हैं। मनरेगा कार्याें पर बच्चों को झूला झुलाने और पानी पिलाने का कार्य बुजुर्गो और नि:शक्तों से करवाया जाता है।
– रंजनकुमार कंसारा, अधिशासी अभियंता, मनरेगा, जिला परिषद, बाड़मेर

chandan singh bhati 

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