मनरेगा को स्कीम के रूप में लागू करना संवेदनहीनता

Ashok-Gehlot_CMजयपुर। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योेजना (मनरेगा) को समाप्त कर स्कीम के रूप में उसे लागू करने की बात करना ही संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। गहलोत ने रविवार को यहां एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने राजस्थान की फ्लैगशिप योजनाओं में शामिल पेंशन और नि:शुल्क दवा योजना को भी आमजन के हित में एक्ट बनाकर लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद ने गरीबों के लिए सर्वसम्मति से मनरेगा कानून बनाया था और इसके पीछे भावना थी कि जिनको काम की तलाश है उन्हें यह काननू सरकार से काम प्राप्त करने का अधिकार देता है।
गहलोत ने कहा कि भाजपा के पिछले शासन में इस भावना को समझे बगैर बिना जरूरत के काम खोल दिए गए और इसके परिणामस्वरूप इस मद में व्यय काफी बढ़ गया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में नम्बर वन बनने के चक्कर में भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया कि उसने स्थाई रूप ले लिया।उन्होंने कहा कि इस कानून को समाप्त करने से पहले की तरह गरीब मजदूर काम के लिए भटकते रहेंगे। प्रशासनिक मशीनरी की दया के पात्र बन जाएंगे भ्रष्टाचार और बढ़ेगा एवं उनको अपनी मजदूरी का उचित पारिश्रमिक भी नहीं मिल पाएगा।

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